भारत

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नदियां क्यों बाढ़ लाती हैं
Posted on 07 Oct, 2009 08:29 AM

शहरीकरण के कूड़े ने समस्या को बढ़ाया है। यह कूड़ा नालों से होते हुए नदियों में पहुंचता है, जिससे नदी की जल ग्रहण क्षमता कम होती है। पिछले तीन दशकों में पूरे देश में यह रोग बुरी तरह से लगा कि पारंपरिक तालाब, बावड़ी सुखा कर उस पर रिहायशी कालोनी या व्यावसायिक परिसर बना दिए जाएं। प्राकृतिक रूप से बने तालाब व पहाड़ जल संचयन के सशक्त स्रेत और बाढ़ से बचाव के जरिए हुआ करते थे। प्रकृति के इस जोड़-घटाव

सुरक्षा कवच को चाहिए सुरक्षा
Posted on 06 Oct, 2009 07:40 AM

1980 में ओज़ोन का छेद 3.27 मीलियन स्कवेयर किमी में फैला था, जो 2007 में बढ़कर 25.02 मीलियन स्कवेयर किमी हो गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इसी तेज़ी से ओज़ोन नष्ट होती रही, तो 2054 तक धरती के आस-पास से ओज़ोन का सुरक्षा कवच समाप्त हो जाएगा..

Global warming
समुद्री पानी का अ-लवणीकरण
Posted on 05 Oct, 2009 05:10 PM


आपको कैसा लगेगा, यदि कोई आपसे पूछे कि क्या आप गला तर करने के लिये समुद्र के ताजे पानी का एक गिलास लेंगे? ज़ाहिर है कि आप इसे मजाक समझेंगे, क्योंकि समुद्र का पानी पीने के लायक नहीं होता… लेकिन निकट भविष्य में यह सम्भव होने जा रहा है। न सिर्फ़ तकनीक और विज्ञान के जरिये इसे सुलभ और आसान बनाया जायेगा, बल्कि कुछ देशों में इस दिशा में काम हो चुका है जबकि कुछ देशों में प्रगति पर है।

सूखी धरती पर कैसे करें खेती
Posted on 28 Sep, 2009 07:19 AM
भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 9 प्रतिशत (31.7 करोड़ हैक्टर) शुष्क (एरिड) क्षेत्र है । इस शुष्क क्षेत्र का सबसे अधिक भाग (62 प्रतिशत) अकेले राजस्थान राज्य में है । शेष क्षेत्र गुजरात (19 प्रतिशत), पंजाब व हरियाणा (9 प्रतिशत), कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश (10 प्रतिशत) राज्यों में है ।
जलवायु परिवर्तन पर कोपेन हेगेन सम्मेलन
Posted on 26 Sep, 2009 06:56 AM

सन् 1972 में स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में मानव वातावरण पर एक सम्मेलन हुआ था। सबसे पहले यहीं बदलते पर्यावरण पर विचार-विमर्श हुआ, फिर 1992 में रियो द जनेरो में अर्थ समिट हुआ जहां पर्यावरण को लेकर चिंता जाहिर की गई और यह माना गया कि कार्बन उत्सर्जन में कमी नहीं की गयी तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस दौरान बैठकों का दौर चलता रहा और अब आने वाले दिसंबर में कोपेन हेगन में
नरेगा- दिशा निर्देश
Posted on 23 Sep, 2009 08:26 AM
इस अध्याय में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के मुख्य प्रावधानों का सारांश दिया गया है जिसमें केन्द्रिय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी अधिकारिक दिशा निर्देश का भी समावेश किया गया है।

2.1 अधिनियम के उद्देश्य
नरेगा-संदर्भ एवं राष्ट्रीय महत्त्व
Posted on 22 Sep, 2009 10:22 PM

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम:संदर्भ एवं राष्ट्रीय महत्त्व



1.1 संदर्भ
आर्थिक वृद्धि दर में बढ़त और स्टाक मार्केट की आक्रमक चढ़ाई ने भारत को दुनिया की सबसे आकर्षक अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में ला खड़ा किया है। भारत ने विदेशी निवेश के मामले में तो अमेरिका को भी विश्व के दूसरे स्थान से हटा दिया है। अब इस संदर्भ में प्रथम स्थान पर चीन के बाद भारत की ही गिनती होती है। किन्तु यह अप्रत्याशित प्रदर्शन भारत की उस दुखती रग को छिपाता है जिसको लोगों ने 2004 के ऐतिहासिक चुनावों में अपने मत के माध्यम से उजागर किया -
भूमिका
Posted on 22 Sep, 2009 07:21 PM
दिसंबर 2005 में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने समाज प्रगति सहयोग से निवेदन किया कि हाल ही में पारित राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारण्टी अधिनियम पर संस्था एक प्रशिक्षण पुस्तक तैयार करे। इससे पूर्व समाज प्रगति सहयोग ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक में प्रशिक्षण पुस्तक के संभावित आकार पर एक प्रस्तुति की थी। अप्रैल 2006 तक पुस्तक का पहला मसौद
हाथ उठें निर्माण में
Posted on 22 Sep, 2009 07:11 PM

आज देश में विश्वास और विश्वसनीयता कासंकट पैदा हो गया है। दूर-दराज़ के ग्रामीणआदिवासी क्षेत्रों में तो एकता का यह सूत्रा बहुतही कमज़ोर है। हम सभी को अपने ग्रामीण,आदिवासी भाई-बहनों की ओर हाथ बढ़ाना है,उनके दुख-दर्द, उनकी वेदना को समझना हीनहीं, अनुभव भी करना है। विकास की एक नवीनपरिभाषा स्थापित करनी है। इस सृजनात्मक संघर्षमें देश के युवा वर्ग का नेतृत्व रहेगा, ऐसी मेरीआशा है। इस संघर्ष में आवश्य
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