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नहीं करने देंगे जल-जंगल-जमीन पर कब्जा
Posted on 07 Mar, 2015 06:53 AM पीवी राजगोपाल एक ऐसा नाम है जिन्हें भूमिहीनों को उनकी जमीन के हक के लिए जाना जाता है। वह कई सालों से गरीबों की लड़ाई लड़ रहे हैं। राजगोपाल के नेतृत्व में यूपीए सरकार के समय भूमिहीनों के हित के लिए आन्दोलन शुरू हुआ था। तब सरकार ने उनकी माँगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। लेकिन वायदा पूरा नहीं किया। उन्हीं माँगों को लेकर एक बार फिर से अब आन्दोलन कर रहे हैं। इस मुद्दे पर उनसे रमेश ठाकुर ने बातची
विकास से जोखिम रहित विकास तक
Posted on 05 Mar, 2015 08:38 AM आपदाओं का असर कम करने के राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय और स्थानीय स्तर
आपदा प्रबन्धन प्रयासों में आमूल परिवर्तन
Posted on 04 Mar, 2015 09:03 AM प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रति वर्ष हजारों लोग अकाल मृत्यु के शिका
जीवन, सम्पत्ति और संरचनाओं का संरक्षण
Posted on 03 Mar, 2015 07:46 AM राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष जनरल एन.सी. विज, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम सेवानिवृत्त के साथ योजना की बातचीत के अंश
जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव
Posted on 02 Mar, 2015 06:59 AM जलवायु परिवर्तन के कृषि पर तात्कालिक एवं दूरगामी प्रभावों के अध्यय
आपदाओं से निबटने के लिए क्या करें, क्या न करें
Posted on 28 Feb, 2015 11:54 PM भूकम्प के समय आपकी सबसे बढ़िया प्रतिक्रिया होगी कि निकल भागें, ओट ल
आर्थिक-सामाजिक उत्थान के स्वयंसेवी प्रयास
Posted on 28 Feb, 2015 11:35 PM आपसी मेलजोल और सामूहिक प्रयासों से हम न केवल अपनी समस्याएँ हल कर सक
पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की ऊँची उड़ान
Posted on 27 Feb, 2015 01:33 AM पवन ऊर्जा उत्पादन के मामले में भारत तेज रफ्तार से तरक्की कर रहा है। अगर वर्तमान योजनाएँ समय से पूरी हो गईं तो चालू कैलेण्डर वर्ष के अन्त तक पवन ऊर्जा उत्पादन की स्थापित क्षमता 10,000 मेगावाट को पार कर जाएगी। पवन ऊर्जा उत्पादन के मामले में जारी सकारात्मक रुझान को देखकर ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत में ऊर्जा खपत का महत्वपूर्ण हिस्सा इससे पूरा होने लगेगा।
पानी बचाएँ जीवन बचाएँ
Posted on 24 Feb, 2015 10:52 PM हमारी पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है इसमें से 97.5 प्रतिश
कृषि : विकास की रीढ़ बनने में बाधा कैसी?
Posted on 24 Feb, 2015 10:25 PM 'किसानों का स्थान पहला है चाहे वे भूमिहीन मजदूर हों या मेहनत करनेवाले जमीन मालिक हों। उनके परिश्रम से ही पृथ्वी फलप्रसू और समृद्ध हुई है। मुझे इसमें सन्देह नहीं कि यदि हमें लोकतान्त्रिक स्वराज्य हासिल होता है — और यदि हमने अपनी स्वतन्त्रता अहिंसा से पाई तो जरूर ऐसा ही होगा — तो उसमें किसानों के पास राजनीतिक सत्ता के साथ हर किस्म की सत्ता होनी चाहिए। किसानों को उनकी योग्य स्थिति मिलनी ही चाहिए औ
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