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भारत
पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन एवं पर्यावरण प्रबंधन
Posted on 14 Sep, 2023 12:54 PMसारांश :
पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ई.आई.ए.) एक ऐसी महत्वपूर्ण विधा है जिसके द्वारा किसी भी परियोजना / क्रियाकलाप से संबंधित निर्णय लेते समय, उससे पर्यावरण प्रबंधन संबंधित मुद्दों को शामिल किया जाता है ताकि सतत् विकास सुनिश्चित किया जा सके कुछ वर्षों पूर्व परियोजनाओं को केवल तकनीकी एवं वित्तीय व्यावहारिकता (फाइनेंशियल लायबिलिटी) के आधार पर ही आंकलन किया जाता थ
सभी के लिए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की लागत और लाभ
Posted on 13 Sep, 2023 04:35 PMपृष्ठभूमि
भारत जैसे कल्याणकारी देश में पेयजल को अक्सर सार्वजनिक माल (पब्लिक गुड्स) की श्रेणी में गिना जाता है, और जल आपूर्ति योजनाओं के बल पर चलाई जाने वाली सरकारी नीतियों को बाज़ार की किसी भी नाकामयाबी से निपटने के अमोघ अस्त्र के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा 73वें संविधान संशोधन ने पेयजल को संविधान की 11वीं अनुसूची में डाल कर उसके प्रबंधन की ज़िम्मेदारी ग
मृदा अपरदन और संरक्षण (Soil Erosion and Conservation in Hindi)
Posted on 13 Sep, 2023 01:09 PMमिट्टी के संरक्षण में केवल मृदा अपरदन पर काबू पाना ही शामिल नहीं है, बल्कि मिट्टी अथवा मृदा की कमियों को दूर करने, खाद और उर्वरक का प्रयोग, सही तरीके से बारी-बारी से फसल उगाना, सिंचाई, जल निकासी, आदि अनेक पक्ष भी इसके अंतर्गत आते हैं। इस व्यापक प्रक्रिया का लक्ष्य उच्च स्तर तक मृदा की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाना है। इस अर्थ में, मृदा संरक्षण, सामान्यतः, भूमि के इस्तेमाल में सुधार लाने के उद्देश्य से
कामायनी महाकाव्य में जलवायु परिवर्तन
Posted on 12 Sep, 2023 02:07 PMभूमंडल के मौसम और जलवायु के प्रति मानव हमेशा से जिज्ञासु रहा है। यह केवल मानव ही नहीं, वरन् पृथ्वी के विभिन्न प्रकार के प्राणियों और वनस्पतियों के अस्तित्व से भी जुड़ा रहा है। यह सत्य है कि जिज्ञासा विज्ञान की जननी है। प्रश्न से ही उत्तर मिलता है और उत्तर तक पहुँचने के लिए कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। जब प्रश्न का उत्तर मिल जाता है तो जिज्ञासा शांत हो जाती है, परंतु हमेशा नई-नई जिज्ञासाएँ
पर्यावरण जागरूकता विकसित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
Posted on 12 Sep, 2023 12:34 PMपर्यावरण जागरूकता की दिशा में आज भारत सहित दुनियाभर की अनेकों सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाएँ प्रयास कर रहीं हैं। लोगों में पर्यावरण के प्रति जन-जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए आज इंटरनेट तथा सोशल मीडिया भी एक महत्वपूर्ण जरिया साबित हुआ है। व्यापक पैमाने पर जीव-जंतुओं का दस्तावेज रखने वाली आईयूसीएन (IUCN) जैसी तमाम वेबसाइटों पर लोग आसानी से दुनिया के दुर्लभ जीव जंतुओं के बारे में जानकारी हासिल कर
आक्रामक स्लग : भारतीय कृषि एवं स्थानीय प्रजातियों के लिए खतरा(Invasive slugs: a threat to Indian agriculture and local species)
Posted on 12 Sep, 2023 12:28 PMहमारे आस-पास के पर्यावरण में बहुत सारे ऐसे जीव-जंतु पाये जाते हैं जिनके बारे में अभी ज्यादातर लोग अनजान है। हम ऐसे जीवों को अक्सर आस-पास के वातावरण में देखते तो हैं लेकिन हमें ये नहीं पता होता कि आखिर इनकी पहचान क्या है? क्या ये कोई आक्रामक प्रजाति है? हमारे पर्यावरण एवं कृषि हेतु ये हानिकारक हैं अथवा लाभदायक?
ग्रेवॉटर प्रबंधन के लिए कार्य योजना
Posted on 11 Sep, 2023 03:24 PMविडंबना यह है कि पानी, इस ग्रह पर सबसे प्रचुर संसाधन, सबसे अधिक मांग वाला भी है !
बदलाव के लिए दो मिशन
Posted on 11 Sep, 2023 01:20 PMज़्यादातर लोगों ने एकता में शक्ति के उदाहरण के रूप में लकड़ियों के गट्ठर का किस्सा तो सुना ही होगा। उसका सार यह है कि आप अकेली लकड़ी की डंडी को तो आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन जब उन्हीं डंडियों को इकट्ठा कर उनका गट्ठर बना दिया जाता है तो उसे तोड़ पाना नामुमकिन हो जाता है। यही होती है एकता में शक्ति। इसी एकता का अन्य रूप है सम्मिलन, यानि 'कन्वर्जेस' – जब विचारों, प्रयासों, परियोजनाओं और योजनाओं
जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव
Posted on 11 Sep, 2023 12:41 PMकिसान कई पीढ़ियों से खेती के लिए मौसमी बरसात पर ही निर्भर रहे हैं लेकिन अब बदलते मौसम के कारण उन्हें नुकसान हो रहा है। देश में फसल उत्पादन में उतार-चढ़ाव का कारण कम वर्षा, अत्यधिक वर्षा अत्यधिक नमी, फसलों पर कीड़े लगना, बेमौसम बारिश, बाढ़ व सूखा और ओलों की बौछार आदि मुख्य है। पिछले कुछ सालों से मौसम चक्र ने हमें चौकाने और परेशान करने का जो सिलसिला शुरू किया है जो हमारे लिए और खेती के लिए मुसीबत