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हिमालय का भूगोल बदल देगा नया वन कानून
नये वन कानून के प्रावधानों पर पर्यावरणविद् को आशंका है कि यह 'वन' की परिभाषा और सुप्रीम कोर्ट के 1996 के गौडावर्मन फैसले को पलट देगा। इस फैसले ने बहुत हद तक वन संरक्षण को बढ़ावा दिया था क्योंकि इसके तहत पेड़ों वाले उन इलाकों को भी वन कानून के दायरे में ला दिया गया था जो औपचारिक रूप से 'वन' के रूप में अधिसूचित नहीं थे, लेकिन जंगल माने जा सकते थे Posted on 27 Oct, 2023 05:22 PM

संसद के मानसून सत्र में नया वन (संरक्षण) कानून संसद यानी वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) विधेयक पारित हो गया। वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के बदले आने वाले इस कानून की विशेषता है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से 100 किमी.

हिमालय का भूगोल बदल देगा नया वन कानून
भूस्खलन और अनियोजित भूमि योजना ढहा रहे कहर
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक रिपोर्ट बताती है कि पहाड़ी राज्यों में जो योजनाएं हैं, वे पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। आम तौर पर पहाड़ी क्षेत्र ढलान अस्थिरता से जुड़े होते हैं, और इन क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका अधिक होती हैं। Posted on 27 Oct, 2023 05:12 PM

जहां एक तरफ देश में भारी बारिश और भूस्खलन से  पहाड़ी राज्यों में तबाही जारी है, दूसरी तरफ  राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित 2019 रणनीति दस्तावेज से कुछ चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आए हैं ये किस प्रकार विचारहीन शहरी नियोजन तथा निर्माण संबंधी कानूनों और विस्तृत भूमि उपयोग नीति के अभाव ने इस समस्या को अधिक व्यापक बनाया। आपदाएं आती रहीं फिर भी इनसे संबंधित चिंताओं को बार- बार नजरअं

भूस्खलन और अनियोजित भूमि योजना ढहा रहे कहर
वायु गुणवत्ता प्रबंधन में करियर के विविध अवसर
वायु प्रदूषण और गुणवत्ता के विशेषज्ञ वैज्ञानिक वायु गुणवत्ता डाटा एकत्र करने के साथ उनके स्रोत, कारणों और परिणामों का पता लगाने के लिए डाटा का बारीकी से  विश्लेषण करते हैं. वे वायु प्रदूषण प्रयोगशालाएं स्थापित और उन्हें संचालित करते हुए वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के विकास और क्रियान्वयन का अग्रिम मोर्चा संभालते हैं. Posted on 21 Oct, 2023 04:10 PM

ये  तारीख थी 5 जून 1972 और स्थान था स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम जब सभी देशों ने एक स्वर से वायु प्रदूषण की परिभाषा की अंगीकार किया. बाद में आर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने इस पर मुहर भी लगाई यह कुछ यों थी  किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मानवीय गतिविधि के माध्यम से नुकसानदेह और/अथवा प्राकृतिक व कृत्रिम सामग्री को वातावरण में छोड़ना।  

वायु गुणवत्ता प्रबंधन में करियर
स्वच्छता उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है
1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत में समृद्ध भविष्य के निर्माण की दिशा में अपनी उर्जा लगाते हुए एक असाधारण यात्रा शुरू की प्रगति की इस पद पर असंख्य चुनौतियों में से एक बड़ी चुनौती है स्वच्छता की चुनौती आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के लिए प्रयास करने के बावजूद खुले में शौच और अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं की चुनौती देश के स्वास्थ्य और गरिमा पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है Posted on 21 Oct, 2023 02:36 PM

स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष के दौरान महात्मा गांधी ने या प्रसिद्ध उक्ति कही थी स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है यह मानते हुए कि हमारे राष्ट्र के उज्जवल भविष्य की यात्रा हमारे परिवेश की स्वच्छता और हमारे लोगों के कल्याण के साथ शुरू होनी चाहिए।  

स्वच्छ भारत मिशन
क्या किया जा सकता था और क्या किया जाना चाहिए !
विकास के नाम पर सरकार और सरकारी मशीनरी के संरक्षण में देश के पूंजीपति देश की पर्यावरण संपदा के लुटेरे बन गये हैं। तथाकथित विकास का यह विध्वंसक रथ जिधर भी जाता है, प्रकृति और पर्यावरण का विनाश करता जाता है। विकास के नाम पर विनाश का ताजातरीन उदाहरण उत्तराखंड का ऐतिहासिक नगर जोशीमठ, इसी विकास की चपेट में कराह रहा है। क्या किया जा सकता था और क्या किया जाना चाहिए, पढ़ें चिपको आंदोलन के संस्थापकों में से एक चंडी प्रसाद भट्ट का यह विशेष लेख Posted on 21 Oct, 2023 11:20 AM

ऐसा लगता है कि बहस बहुत सीमित दायरे में हो रही है। वर्तमान आपदा ने हमें विचार-विमर्श तथा मंथन के लिये विवश किया है। राज्य व्यवस्था अपनी स्वाभाविक जिम्मेदारी, जो उत्तराखंड़ जैसे पर्वतीय राज्य में और भी केन्द्रीय हो जाती है, से यह विचार विकसित नहीं कर सकी है। पुरानी कहानी छोड़ दें तो भी नये राज्य को जन्मे 22 साल होने जा रहे हैं। इस बीच राज्य के पारिस्थितिक इतिहास को ठीक से पढ़ लिया जाना चहिये था।

केदारनाथ आपदा
जाति और जल का ‘अछूत’ रिश्ता
जल और जाति का गठजोड़ आज़ादी के 75 साल बाद भी अनसुलझा है और यह सरकार की नीतियों की एक महत्वपूर्ण खामी है। सरकार को दलितों तक पानी की सुरक्षित पहुंच बनाने के लिए अलग प्रावधानों की पेशकश करनी चाहिए। इन प्रावधानों के बिना कोई भी नीति दलितों से अछूती ही रहेगी। Posted on 20 Oct, 2023 11:51 AM

ग्रामीण भारत में दलितों की पीट-पीटकर हत्या करने की हाल की घटनाएं, विशेष कर पेयजल की उपलब्धता को लेकर, अब आम जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। 2019 में शुरू हुआ जल जीवन मिशन, 2024 तक 18 करोड़ ग्रामीण परिवारों को पाइप से जलापूर्ति के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में लगभग आधे रास्ते पर है। हालांकि, यह उपलब्धि पानी तक पहुंचने की कोशिश कर रहे दलितों की लगातार कोशिशों और क्रूर घटनाओं से प्रभावित है।

महाड़ सत्याग्रह : बाबा साहेब ने कहा था कि अस्पृश्यता सारतः राजनीतिक सवाल है
बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय
हिमालय में भूकंप और भूस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है। इन प्राकृतिक आपदाओं से हिमालय के जलविद्युत परियोजनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। हिमालय में 273 जलविद्युत परियोजनाओं में से 67 परियोजनाओं को भूकंप के प्रभाव से बचाने की जरूरत है। हिमालय की समृद्ध प्रकृति को सुरक्षित रखने के लिए, सड़कों का विस्तार और जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण सतर्कता से किया जाना चाहिए। पर्यावरणीय नियमों का पालन करने से हम हिमालय की सुंदरता को बरकरार रख सकते हैं Posted on 19 Oct, 2023 02:48 PM

ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर, हिमालयी ग्लेशियर ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। हिमालयी क्षेत्र में हिमपात और हिमनद पूरे उपमहाद्वीप में विभिन्न नदियों के लिए पानी के मुख्य स्रोत हैं। ये स्रोत ब्रह्मपुत्र, सिंधु और गंगा जैसी नदी प्रणालियों में पानी के सतत प्रवाह को बनाए रखने में मदद करते हैं। एक अरब से अधिक लोगों का जीवन इन नदियों पर निर्भर है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, हिमालय के ग्लेशियर

बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय,pc-सर्वोदय जगत
अकल्पनीय जल-संकट की ओर बढ़ रहा देश
अपनी एक रिपोर्ट में नीति आयोग के द्वारा कहा गया है कि वर्ष 2030 तक देश के 40% लोगों की पहुंच पीने के पानी तक नहीं होगी. पिछले 10 सालों में देश की करीब 30 फीसदी नदियां सूख चुकी हैं। वहीं पिछले 70 सालों में 30 लाख में से 20 लाख तालाब, कुएं, पोखर, झील आदि पूरी तरह खत्म हो चुके हैं। ग्राउंड वाटर (भूजल) की स्थिति भी बेहद खराब है। देश के कई राज्यों में पर तो ग्राउंड वाटर का लेवल करीब 40 मीटर तक नीचे जा चुका है।वही भारत का दक्षिण का राज्य चेन्नई में धरती के 2000 फीट नीचे भी पानी नहीं मिला है। Posted on 18 Oct, 2023 01:12 PM

जलपुरुष राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि देश भर में 10 साल पहले कुल 15 हजार के करीब नदियां थीं। इस दौरान करीब 30 फीसदी नदियां यानी साढ़े चार हजार के करीब सूख गई हैं, ये केवल बारिश के दिनों में ही बहती हैं। वे बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले उनकी टीम ने देश भर में एक सर्वे किया था, जिससे पता चला कि आजादी से लेकर अब तक देश में दो तिहाई तालाब, कुएं, झील, पोखरे, झरने आदि पूरी तरह सूख चुके हैं। आजादी के समय दे

अकल्पनीय जल-संकट की ओर बढ़ रहा देश
भरतपुर, राजस्थान की मिट्टी में क्लोरपाइरीफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशकों का विद्युत रासायनिक निर्धारण
क्लोरपाइरोफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशकों का विद्युत रासायनिक अध्ययन मरकरी ड्रॉप इलेक्ट्रोड की सहायता से डिफरेंशियल पल्स पोलरोग्राफी विधि द्वारा भरतपुर (राजस्थान) को मिट्टी में किया गया। इस शोध से पता चला है कि मिट्टी में कीटनाशकों का मरकरी ड्रॉप इलेक्ट्रोड द्वारा विद्युत विश्लेषण एक सटीक और सस्ती विधि है। इस विधि में नमूनों की आसानी से तैयारी की जाती है और कम लागत वाले अभिकर्मकों का उपयोग अतिरिक्त लाभ है। Posted on 16 Oct, 2023 01:42 PM

सारांश

क्लोरपाइरोफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशकों का विद्युत रासायनिक अध्ययन मरकरी ड्रॉप इलेक्ट्रोड की सहायता से डिफरेंशियल पल्स पोलरोग्राफी विधि द्वारा भरतपुर (राजस्थान) को मिट्टी में किया गया। ELICO CL-362 पालरोग्राफिक विश्लेषक का उपयोग करंट वोल्टेज रिलेशनशिप ( पालरोग्राम) के मापन के लिए किया गया था, इसके पोलरोग्राफिक सेल में इलेक्ट्रोलाइजिंग इलेक्ट्

 भरतपुर, राजस्थान की मिट्टी में क्लोरपाइरीफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशक
हिण्डन संरक्षण के लिए संगोष्ठी का आयोजन
रविवार को गाजियाबाद हित संरक्षण, संवर्धन तथा समन्वयक समिति के तत्वावधान में जीवनदायिनी हिण्डनः वर्तमान और भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में एनजीटी के पूर्व चेयरमैन और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आदर्श गोयल एवं गाजियाबाद के पूर्व जिलाधिकारी डॉ अजय शंकर पाण्डेय की उपस्थिति विशेषरूप से महत्वपूर्ण रही।
Posted on 16 Oct, 2023 12:21 PM

गाजियाबाद, 15 अक्टूबर 2023। राजनगर स्थित आईएमए भवन में रविवार को गाजियाबाद हित संरक्षण, संवर्धन तथा समन्वयक समिति के तत्वावधान में जीवनदायिनी हिण्डनः वर्तमान और भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। एकदम नई थीम पर आयोजित इस संगोष्ठी में हिण्डन से जुड़े और हिण्डन के लिए काम करने वाले विभिन्न व्यक्ति एवं संगठन एक मंच पर एकत्रित हुए। यही नही संगोष्ठी में एनजीटी के पूर्व चेयरमैन और उच्चतम न्या

हिण्डन नदी वर्तमान और भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
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