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भूजल की खोज और अवधारणा (Discovery and concept of groundwater in Hindi)
वर्षा के द्वारा प्राप्त सतही जल का कुछ भाग धीरे-धीरे संचारित होकर गुरुत्वाकर्षण के कारण भूमि के नीचे चला जाता है। अतः भूजल बनने की यह क्रिया जलभृत कहलाती है और संचित जल भूजल कहलाता है। गुरुत्व प्रभाव के फलस्वरूप भूमिगत जल धीरे-धीरे मृदा के भीतर चला जाता है। निचले क्षेत्रों में यह झरनों एवं धारा के रूप में बाहर आ जाता है। Posted on 08 Dec, 2023 03:32 PM

भूमि के नीचे पाये जाने वाले जल को ही भूजल कहते हैं। वर्षा के जल अथवा बर्फ के पिघलने से पानी का कुछ भाग भूमि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है या कुछ जलराशि भूजल की ऊपरी परत से रिस-रिसकर जमीन के नीचे चली जाती है और यही जल भूमि जल बनता है।

भूजल की खोज और अवधारणा
पनबिजली व बड़े बांध 
भारत में ताप व पनबिजली का विकास साथ-साथ किया जा रहा है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि पूरे बिजली तंत्र के समुचित संचालन के लिए पनबिजली का अनुपात 40 प्रतिशत रहना चाहिए। 1963 में यह अनुपात 50 प्रतिशत था मगर घटते- घटते 1998 में मात्र 25 प्रतिशत रह गया था। केन्द्रीय बिजली अभिकरण ने भारत में पनबिजली क्षमता 84,000 मेगावॉट आंकी है जो 1,48.700 मेगावॉट स्थापित क्षमता के तुल्य है। भारत में छोटे पैमाने की पनबिजली परियोजनाओं की सम्भावित क्षमता 6000 मेगावॉट आंकी गई थी। Posted on 07 Dec, 2023 05:07 PM

पनबिजली, ऊर्जा का नया व प्रदूषण रहित स्रोत है। इसे बड़े पैमाने पर विकसित किया जा सकता है। इसके लिए जांची परखी टेक्नॉलॉजी उपलब्ध है। जलाशय आधारित पनबिजली परियोजनाएं प्रायः बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं का हिस्सा होती हैं। इनमें बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल प्रदाय आदि घटक भी होते हैं। अलबत्ता ऐसे उदाहरण भी हैं जहां पनबिजली को ही एकमात्र या सबसे प्रमुख लाभ माना गया है। प्रवाहित नदी में पनबिजली उत्पा

पनबिजली व बड़े बांध 
कीटनाशक और स्वास्थ्य का संकट
भारत में पहली बार कीटनाशक का प्रयोग मलेरिया नियंत्रण के लिए आयातित डी.डी.टी. के रूप में किया गया था। इसके बाद 1948 में टिड्डी नियंत्रण के लिए बी.एच.सी. का उपयोग हुआ। अधिकांश कटिबन्धीय देशों में डी.डी.टी. का उपयोग वाहकों द्वारा फैलाई जाने वाली मलेरिया जैसी बीमारियों के नियंत्रण में होता है। वहीं बी. एच.सी. कृषि उत्पादन में एक सस्ते कीटनाशी के रूप में प्रयुक्त होती है। बाद में हम मलेरिया नियंत्रण को केन्द्र में रख भारत में जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में कीटनाशकों के इस्तेमाल की पड़ताल करेंगे। Posted on 07 Dec, 2023 04:39 PM

3 दिसम्बर 1984 की रात भोपाल के एक कीटनाशक बनाने वाले संयंत्र से अचानक घातक मिथाइल आइसो सायनेट गैस रिसने लगी। यूनियन कार्बाइड के इस हादसे ने लगभग 3000 लोगों की जान ले ली और सैकड़ों हज़ार लोगों को बीमार कर दिया। लगभग इसी समय अमरीका के पश्चिमी वर्जीनिया में भी कुछ ऐसी ही दुर्घटनाएं हुई। इन और इन जैसी तमाम दुर्घटनाओं ने कीटनाशकों के इस्तेमाल से जुड़े खतरों की ओर जनता का ध्यान खींचा। साथ ही जन स्वास

कीटनाशक और स्वास्थ्य का संकट
नॉनस्टिक कड़ाहियों का प्रदूषण
अब तक वैज्ञानिक गण पर्यावरण में टी.एफ.ए. की बढ़ती मात्रा का दोष हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स नामक गैसों को दिया करते थे। ये गैसें क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स के स्थान पर प्रयुक्त की जाती हैं क्योंकि क्लोरोफ्लोरो कार्बन ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाती है। किन्तु देखा यह गया है कि बड़े शहरों की हवा में जितना टी. एफ.ए. होता है Posted on 07 Dec, 2023 02:29 PM

शंका है कि नॉनस्टिक कड़ाहियां या फ्राइंग पैन हमारे वातावरण में एक ऐसा रसायन छोड़ रही हैं जो प्राकृतिक रूप से नष्ट नहीं होता। आम तौर पर कड़ाही को नॉनस्टिक बनाने के लिए उन पर टेफ्लॉन जैसे किसी पॉलीमर का लेप चढ़ाया जाता है। कनाडा के वैज्ञानिकों ने बताया है कि गर्म करने पर टेफ्लॉन विघटित होकर ट्राई फ्लोरो एसीटिक एसिड (टी.एफ.ए.) बनाता है। टी.एफ.ए.

नॉनस्टिक कड़ाहियों का प्रदूषण
चमड़ा पकाने में देशी टेक्नॉलॉजी
चमड़ा उद्योग का कच्चा माल मूलतः मरे हुए जानवरों से प्राप्त होता था। भारत में दुनिया के किसी भी देश से ज़्यादा मवेशी थे। लिहाज़ा यहां चमड़ा उद्योग के लिए भरपूर कच्चा माल उपलब्ध था। इस बात ने ब्रिटिशों का ध्यान आकर्षित किया। जल्दी ही कच्चा चमड़ा और अधपका चमड़ा भारत से इंग्लैण्ड को होने वाले निर्यात का एक प्रमुख आइटम बन गया। यह बीसवीं सदी के शुरू की बात है। टैनिंग के लिए चमड़े की मात्रा व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए म्युनसिपल बूचड़खाने स्थापित कर दिए गए। Posted on 07 Dec, 2023 12:58 PM

भारत में, और खासकर तमिलनाडु में चमड़ा उद्योग का लंबा इतिहास रहा है। टैनिंग यानी चमड़ा पकाने की प्रक्रिया में चमड़े को सड़ने से बचाने की व्यवस्था की जाती है; इसके लिए वनस्पति पदार्थों का भी उपयोग किया जाता है और रसायनों का भी। पारम्परिक रूप से स्थानीय पेड़ों की छाल और फलियों का उपयोग चमड़ा पकाने में किया जाता रहा है। वनस्पति पदार्थों की मदद से चमड़ा पकाना, रंग करना और फिनिशिंग करना तमिलनाडु में

चमड़ा पकाने में देशी टेक्नॉलॉजी
सरदार सरोवर विवाद
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से सरदार सरोवर की ऊंचाई 90 मीटर करने की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। यह बात अलग है कि इस ऊंचाई से होने वाले संभावित विस्थापितों के पुनर्वास की दिशा में कोई गम्भीर पहल नहीं हुई है (गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला में कहा गया था कि फैसले से तीन सप्ताह के भीतर ही विस्थापितों का पूर्ण पुनर्वास किया जाएगा)। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की थी। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर माननीय राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहे इन शब्दों "नदी घाटी परियोजनाएं आदिवासियों को उजाड़ रही हैं" से विस्थापित हो रहे लोगों में कुछ आशा जगी है। इस मसले पर चर्चा बदस्तूर जारी है। इसी चर्चा की एक कड़ी की बतौर प्रस्तुत है प्रवीण कुमार का यह लेख । Posted on 06 Dec, 2023 02:18 PM

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरदार सरोवर बांध के निर्माण को हरी झण्डी दे दी, जो पिछले छह वर्षों से रुका पड़ा था। इस संदर्भ में कुछ तथ्य गौरतलब हैं। पिछले वर्ष भारत के कम्प्ट्रोलर व ऑडिटर जनरल (सी.ए.जी.) ने अपनी रिपोर्ट में उसी बात की पुष्टि की थी जिसे कई समितियां कहती आई हैं इन्दिरा सागर व सरदार सरोवर परियोजना के प्रभावित लोगों के पुनर्वास की स्थिति अत्यन्त घटिया है। मेग्सेसे पुरस्कार से सम्मानि

सरदार सरोवर विवाद
जी20: पृथ्वी, लोग, शांति और समृद्धि के लिए
भारत की जी20 की अध्यक्षता एक मील का पत्थर है जो सफलतापूर्वक जलवायु और विकास दोनों मुद्दों का समर्थन कर रही है और यह पहचान रही है कि देशों को गरीबी उन्मूलन और पर्यावरण संरक्षण के बीच चयन नहीं करना चाहिए। सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का नेतृत्व करने में हमारे अपने अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए भारत के विकासात्मक मॉडल ने वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता हासिल की है। यह सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं है कि भारत ने समावेशिता का समर्थन किया है। जनभागीदारी कार्यक्रमों के माध्यम से, देश भर के नागरिक जी20 से संबंधित कार्यक्रमों और गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हुए। Posted on 01 Dec, 2023 12:38 PM

हमारी जी20 की अध्यक्षता की शुरुआत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्पष्ट अधिदेश दियाँ गया था कि यह एक महत्वाकांक्षी और समावेशी अध्यक्षता होनी थी, जिसने अपने केंद्र में ग्लोबल साउथ के हितों को रखा था। हमने इस निदेश को पूरे दिल से अपनाया, हर बाधा को एक अवसर में बदल दिया और इस प्रक्रिया में हमने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की नई दिल्ली लीडर्स घोषणा (एनडीएलडी) जिसमें 83 पैराग्राफ शामिल थे.

बहुत बड़ा सबक है सिलक्यारा सुरंग हादसा
वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों, डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, अमिकों और सुरक्षा कर्मियों, सेना व भारतीय वायुसेना के रात दिन अनवरत अथक परिश्रम और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी द्वारा उत्तरकाशी में कैंप कर केन्द्र को एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित कर राहत व बचाव ऑपरेशन की रफ्तार को गति देने में जो अहम भूमिका निभाई, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। इनकी लगन और मेहनत के बलबूते 17 दिन सुरंग में फंसे रहने और जिंदगी और मौत के बीच जुझते 8 राज्यों यथा हिमाचल, उत्तराखंड, असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के मजदूर बाहर आ सके और खुली हवा में सांस ले सके। Posted on 01 Dec, 2023 12:24 PM

उत्तराखंड में चार धाम सड़क परियोजना के तहत बन रही सिलक्यारा सुरंग के हादसे ने मुरंगों की सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल खड़े कर दिए है जिन पर विचार किया जाना बेहद जरूरी है। साथ ही इस हादसे में 348 घंटे जिंदगी की जंग लड़ते रहे 41 मजदूरों की सकुशल जिंदा वापसी न केवल हर्ष का, गर्व का विषय है बल्कि इस आपदा के दौर में राहत व बचाव विचार कार्यों में देश की 15 से अधिक एजेंसियों के 650 से ज्यादा इंजीनियरों,

बहुत बड़ा सबक है सिलक्यारा सुरंग हादसा,Pc-Wikipedia
बड़ा तालाब भोजवेट लैंड की 1100 हेक्टेयर जमीन अब तक वानिकी अधिसूचित नहीं
17 लाख पेड़ों के संरक्षण में ये महत्वपूर्ण है, नोटिफिकेशन से तालाब किनारे ग्रीन लैंड बचाव हो सकेगा
Posted on 29 Nov, 2023 04:51 PM

बड़ा तालाब भोज वेटलैंड के 1100 हेक्टेयर क्षेत्रफल को वानिकी वन मंडल को दिए जाने के कैबिनेट के निर्णय के बावजूद अब तक इसे लेकर कोई नोटिफिकेशन नहीं हुआ है। जून में निर्णय हुआ था जिसके तहत भोज वेटलैंड की जमीन को अतिक्रमण और अवैध निर्माण से बचाते हुए यहां की ग्रीनरी को बरकरार रख कर नई ग्रीनरी विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था। इसको लेकर गंभीरता दिखाते हुए नोटिफिकेशन जारी होता तो वानिकी वन मंडल यहां

बड़ा तालाब भोजवेट लैंड की 1100 हेक्टेयर जमीन अब तक वानिकी अधिसूचित नहीं
एस्ट्रोनॉट बनकर छुएं सफलता का आसमां
कमांडर की अंतरिक्ष यान के मिशन को सफलतापूर्वक संचालित करने और उड़ान को सुरक्षित ढंग से पूर्ण करने की जिम्मेदारी होती है फ्लाइट इंजीनियर यानी पायलट अंतरिक्ष यान को नियंत्रित और संचालित करने में कमांडर की सहायता करता है। इसके अतिरिक्त अंतरिक्षयान से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों एवं अन्य पेलोड ऑपरेशनों में फ्लाइट इंजीनियर कार्य करता है। Posted on 29 Nov, 2023 04:18 PM

एस्ट्रोनॉट बनने के लिए इंजीनियरिंग से स्नातक होना पहली शर्त है। वहीं एयरोस्पेस या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री अतिरिक्त योग्यता के तौर पर काम कर सकती है एस्ट्रोनॉट बनने के लिए यह जानना जरुरी है एस्ट्रोनॉट क्या होता है और इनको करना क्या होता है?

एस्ट्रोनॉट बनकर छुएं सफलता का आसमां
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