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भारत
लवणीय जल सिंचाई द्वारा गुलाब (रोजा डेमासीना) की खेती (Rose (Rosa damascena) cultivation by saline water irrigation)
Posted on 23 Nov, 2023 04:46 PMगुलाब (रोजा डेमासीना)
गुलाब विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय पुष्प है इसलिए इसे फूलों का राजा भी कहा जाता है। यह झाड़ीनुमा एक बहुवर्षीय पौधा है जो सुन्दर पुष्पों के लिए उगाया जाता है। इसके फल को हिप कहते हैं जो विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है। इसके फूल से जैम, जैली व मालाएं बनाई जाती हैं। गुलाब के फूलों से मुख्यरूप से इत्र निकाला जाता है तथा इसके लिए चेली गुलाब का सर्
![गुलाब की खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/OIG.bG96nGYSt6bSSvRCFz.jpeg?itok=pLQ-uu4H)
लवणीय जल सिंचाई द्वारा प्याज (एलियम सिपो) की खेती (Onion (Allium sipo) cultivation by saline water irrigation)
Posted on 23 Nov, 2023 04:25 PMप्याज (एलियम सिपो)
शल्क कन्दीय फसलों में प्याज का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका प्रयोग कच्चे सलाद के रूप में तथा सब्जियां, अचार, पाउडर एवं फ्लेक्स जैसे उत्पाद बनाने में होता है। प्याज में विटामिन सी, फॉस्फोरस आदि प्रमुख पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। प्याज में चरपराहट एवं तीखापन इसमें उपस्थित गंधक के एक मौलिक एलिल प्रोपाइल डाई सल्फाइड के कारण होता है
![प्याज की खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/OIG.0805W2.jpeg?itok=Jkx_FbXI)
लवणीय जल सिंचाई द्वारा तिल (सेसेमम इंडिकम) की खेती (Cultivation of sesame (Sesamum indicum) by saline water irrigation)
Posted on 23 Nov, 2023 03:32 PMतिल (सेसेमम इंडिकम)
तिल और तिली के तेल से सब परिचित है। रंग के हिसाब से तिल तीन प्रकार के होते हैं, श्वेत, लाल एवं काला तिल । औषधि के लिए काले तिल से प्राप्त तेल अधिक उत्तम समझा जाता है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका व चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक देश है। विश्व के कुल क्षेत्रफल में भारत का 19 प्रतिशत तथा उत्पादन में 10 प्रतिशत योगदान है। तिल
![तिल की खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/OIG%20%2873%29.jpeg?itok=MF9fPa11)
लवणीय जल सिंचाई द्वारा सौंफ (फीनिकुलम वलगेयर) की खेती (Fennel (Foeniculum vulgare) cultivation by saline water irrigation)
Posted on 23 Nov, 2023 02:53 PMसौंफ (फीनिकुलम वलगेयर)
सौंफ मसाले की एक प्रमुख फसल हैं। इसका उपयोग औषधि, अचार, चटनी, मुरब्बा आदि में किया जाता है। आयुर्वेद में सौंफ एक विशेष स्थान रखती है, इसका प्रयोग अतिसार, खूनी पेचिस, कब्ज, नजला तथा मस्तिष्क की कमजोरी जैसी बीमारियों में किया जाता है। भारत में कुल 54290 हैक्टर में सौंफ की खेती की जाती है। इसमें राजस्थान व उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं।
![सौंफ की खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/OIG.pB_.jpeg?itok=Cu910VA6)
लवणीय जल सिंचाई द्वारा मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम) की खेती (Cultivation of fenugreek (Trigonella foenum- graecum) by saline water irrigation)
Posted on 22 Nov, 2023 04:58 PMमेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम
मेथी की खेती पूरे भारतवर्ष में की जाती है। इसकी सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी में प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हमारे देश में मेथी का उपयोग शाक एवं मसाले के रूप में किया जाता है। मेथी की पत्तियाँ एवं कोमल फलियाँ सब्जी
![मेथी (ट्राइगोनेला फीनम- ग्रीकम) की खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/download%20%2820%29.jpg?itok=EHaqoYgu)
लवणीय जल सिंचाई द्वारा गैंदा (टेगेटस इरेक्टा) की खेती (Marigold (Tegatus erecta) cultivation by saline water irrigation)
Posted on 22 Nov, 2023 04:30 PMगैंदा (टेगेटस इरेक्टा
गैंदा एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक मौसमी फूल है। इसकी सुन्दरता एवं टिकाऊपन के कारण पुष्प व्यापार में गुलाब के बाद सर्वाधिक बिकने वाला फूल है। इसके फूलों का विभिन्न रूपों जैसे माला, वेणी, झालर, घर की सजावट, पूजा, गुलदस्ता बनाने आदि में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। गैंदा एक आसानी से उगाया जा सकने वाला पौधा है और इस पर कीट एवं बीमारियों का प
![गैंदा (टेगेटस इरेक्टा) की खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/images%20%288%29.jpg?itok=NC0hQ2Nj)
लवणीय जल सिंचाई द्वारा ईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा) की खेती (Cultivation of Isabgol (Plantago ovata) by saline water irrigation)
Posted on 22 Nov, 2023 03:49 PMईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा)
ईसबगोल अपने बीजों व भूसी के कारण महत्वपूर्ण औषधीय फसल है। इसकी भूसी का उपयोग औषधि के रूप में कब्ज, पेचिश, दस्त इत्यादि अनेक पेट के विकारों में उपचार के लिए किया जाता है। भारतवर्ष में इसके बीज व भूसी का वार्षिक उत्पादन क्रमशः 13000 टन व 3200 टन होता है, जिसका 90 प्रतिशत विदेशों में निर्यात कर दिया जाता है। इस प्रकार ईसबगोल के निर्यात द्व
![ईसबगोल (प्लांटेगो ओवेटा) की खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/180px-Psyllium_seed_husk_pile%20%281%29.jpg?itok=oNES9IqI)
लवणीय जल सिंचाई द्वारा तुलसी की खेती (Cultivation of basil by saline water irrigation)
Posted on 22 Nov, 2023 03:11 PMपरिचय
देश के मूलभूत प्राकृतिक संसाधनों जैसे भूमि, जल तथा जैव विविधता इत्यादि की गुणवत्ता दिनोंदिन अत्यधिक तेजी से घटती जा रही है। प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन व अवैज्ञानिक कृषि पद्धतियाँ इसके प्रमुख कारण हैं। देश की खाद्यान्न एवं पोषण की सुरक्षा को स्थिर रखने के लिए कृषि अनुसंधान तथा विकास के हमारे वर्तमान दृष्टिकोण में एक बड़े बदलाव की आवश्यकता है। इसमें
![लवणीय जल सिंचाई द्वारा तुलसी की खेती](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Basil-Basilico-Ocimum_basilicum-albahaca.jpg?itok=qIF6jkqQ)
अमृत सरोवर मिशन - तालाब एवं जल संरक्षण का महाअभियान
Posted on 22 Nov, 2023 01:44 PMजल ही जीवन है, जल के बिना मानव का जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता है। जल हमारे लिए ही नहीं अपितु पशु-पक्षी, जीव-जंतु, मनुष्य इत्यादि सबके लिए अनिवार्य है। जल का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। एक कहावत है "जल है तो कल है।" पृथ्वी का लगभग तीन-चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किंतु इसमें से 97 प्रतिशत जल खारा है जो पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य पानी मात्र 3 प्रतिशत है इसमें भी 2 प्रतिशत जल हिम एवं ह
![अमृत सरोवर मिशन](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/images%20%287%29_0.jpg?itok=MhHbyNws)
परिवहन तंत्र का वायु गुणवत्ता पर दुष्प्रभाव
Posted on 21 Nov, 2023 05:03 PMभापरिषद (आईसीएमआर मात्र 2019 का एक अध्ययन बताता है कि भारत में 16.7 लाख लोगों की मृत्यु के लिए वायु प्रदूषण एक प्रमुख कारक था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यहां अस्थमा एवं सांस के बीमारियों से विश्व में सबसे अधिक मृत्यु होती है। वहीं दिल्ली के संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय शोध बताता है कि अगर समय रहते प्रदूषण पर काबू नहीं किया गया तो वर्ष 2025 तक 32 हजार लोग प्रदूषित जहरीली हवा के कारण असामयिक
![परिवहन तंत्र का वायु गुणवत्ता पर दुष्प्रभाव](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-11/Transportaion%20.jpeg?itok=sz0Zy14K)