एस्ट्रोनॉट बनने के लिए इंजीनियरिंग से स्नातक होना पहली शर्त है। वहीं एयरोस्पेस या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री अतिरिक्त योग्यता के तौर पर काम कर सकती है एस्ट्रोनॉट बनने के लिए यह जानना जरुरी है एस्ट्रोनॉट क्या होता है और इनको करना क्या होता है? एस्ट्रोनॉट दो तरह के होते हैं: फ्लाइट इंजीनियर्स यानी पायलट एस्ट्रोनॉट और कमांडर फ्लाइट इंजीनियर शटल को उड़ाते हैं और अंतरिक्ष स्टेशन को नेविगेट (संचालित) करते हैं। कमांडर की अंतरिक्ष यान के मिशन को सफलतापूर्वक संचालित करने और उड़ान को सुरक्षित ढंग से पूर्ण करने की जिम्मेदारी होती है फ्लाइट इंजीनियर यानी पायलट अंतरिक्ष यान को नियंत्रित और संचालित करने में कमांडर की सहायता करता है। इसके अतिरिक्त अंतरिक्षयान से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों एवं अन्य पेलोड ऑपरेशनों में फ्लाइट इंजीनियर कार्य करता है।
ऐसी हो योग्यता
इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार, एस्ट्रोनॉट बनने के लिए बेसिक साइंस और इंजीनियरिंग से स्नातक होना पहली शर्त है। इसके अलावा एयरोस्पेस या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री आपके लिए अतिरिक्त योग्यता के तौर पर काम कर सकती है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IIST) एक ऐसा संस्थान है, जो कि भारत में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग एवं एवियोनिक्स में कोर्स ऑफर करता है।
अन्य जरूरी चीजें
एक अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए कुछ बुनियादी योग्यताओं अथवा क्षमताओं का होना अति आवश्यक है। इन बातों को 'द राइट स्टाफ' कहा जाता है। ये महत्वपूर्ण क्षमताएं इस प्रकार हैं:
- एस्ट्रोनॉट बनने के लिए आप में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए।
- दबाव के समय आपका मानसिक संतुलन बरकरार होना चाहिए।
- अंतरिक्ष में जाने के लिए बेहतरीन लोगों को चुना जाता है, जो कि शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से मजबूत होते हैं।
अगर आप एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने के लिए लगभग 330 किलोमीटर की दूरी पृथ्वी से अंतरिक्ष की ओर तय करनी होती है। वहां पर मौजूद कक्षीय प्रयोगशाला / डोरमेट्री में कई तरह के कार्यों में शामिल होना होता है, जहां पर गुरुत्वाकर्षण लगभग शून्य होता है। मतलब कि आप ठीक से पैदल भी नहीं चल पाते हैं और हमेशा हवा में रहते हैं। एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष स्टेशन में कम से कम तीन से चार महीने का समय बिताते हैं। इस दौरान उन्हें पौधे उगाने, क्रिस्टलों का निर्माण करने सहित अनेकों प्रयोग करने होते हैं। ऐसे में आपका शरीर अंतरिक्ष में रहने के लिए उपयुक्त और फिट भी होना चाहिए। इसके अलावा आप विज्ञान और खासकर अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति जिज्ञासु होने चाहिए। आप में कठिन परिश्रम एवं धैर्यशीलता हो और विभिन्न तरह के व्यक्तियों से बातचीत करने में सक्षम हों और किसी प्रोजेक्ट पर लंबे समय तक काम करने के लिए तैयार हों तथा जोखिम लेने की हिम्मत रखते हों।
प्रमुख संस्थान
- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई www.univ.tifr.res.in
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, भुवनेश्वर www.niser.ac.in
- आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज, नैनीताल www.aries.ernet.in
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बंगलूरू www.iiap.res.in
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर www.jitk.ac.in
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम www.jist.ac.in
- बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, राची www.bitmesra.ac.in
स्रोत :- अमर उजाला उड़ान
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