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कितना सार्थक अक्षय ऊर्जा का विकल्प
Posted on 29 May, 2012 01:03 PM अक्षय ऊर्जा हमारे लिए अच्छा तो है साथ में कुछ सावधानियां भी बरतनी पड़ेगी। अभी अक्षय ऊर्जा भारत जैसे देश में अपने आरंभिक चरण में ही है। यदि अभी से इसके प्रसार में जरूरी सावधानियां अपना ली गईं, तो हमें बहुत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं पर यदि इन सावधानियों की उपेक्षा की गई तो यह बहुत महंगा सौदा भी साबित हो सकता है। अक्षय ऊर्जा के बारे में जानकारी दे रहे हैं भारत डोगरा।
Renewable Energy
‘ई-कचरे’ पर एक नया कानून
Posted on 28 May, 2012 10:42 AM मशीनीकरण तथा औद्योगिकीकरण के वर्तमान दौर में जैसे-जैसे मनुष्य विकास की ऊंचाइयों का स्पर्श करता जा रहा है, वैसे-वैसे नए रूपों में प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है, जिसमें से ‘इलेक्ट्रानिक कचरा’ भी एक है। इलेक्ट्रानिक कचरा स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। घरों अथवा कल-कारखानों में प्रयोग में लाया जाने वाला इलेक्ट्रानिक सामान जब खराब तथा अप्रोज्य हो जाता है तथा व्यर्थ समझकर उसे फेंक दिया जाता है तो उ
विकसित देश दोषी तो हमारे अमीर क्यों नहीं
Posted on 25 May, 2012 09:10 AM क्योटो प्रोटोकॉल को 2012 से आगे बढ़ाना, न्यायोचित सिद्धांत के आधार पर तापमान समझौता के नीतियों को पारित करना और 'सामूहिक जवाबदेही' के उसूल को संयुक्त राष्ट्र की तापमान कमेटी में समाहित कराना। भारत इन तीन लक्ष्यों के साथ क्योटो प्रोटोकॉल को आगे बढ़ाना चाहता था। भारत का प्रस्ताव यों तो न्यायसंगत लगता है। पृथ्वी का तापमान बढ़ने का कारण औद्योगिक सभ्यता है जिसका विशेष लाभ उन्नत देशों और बाकी देशों म
मलेरिया के विद्रोही तेवर
Posted on 23 May, 2012 10:42 AM मलेरिया की औषधियां एक के बाद एक प्रतिरोधक क्षमता खोती जा रही हैं। पिछले कुछ वर्षों से प्राणघातक मलेरिया भी अपने पैर जमाता जा रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि चिकित्सक बजाए दवा विक्रेताओं या प्रतिनिधियों की सलाह के उपचार की प्रामाणिकता को सिद्ध करें और प्रत्येक मरीज को एक पृथक इकाई मानकर उसकी बीमारी का निदान करें। मलेरिया के विद्रोही तेवर के बारे में बताती अंकिता मलिक।
आने वाला विश्व पर्यावरण दिवस का त्यौहार
Posted on 22 May, 2012 03:50 PM

गंगा नदी मैली और संकरी हो रही है। देश कि अन्य छोटी व मझली नदियों को तो बीझन लग गई है। धरती के सीने में अमृत समान

राजीव गांधी के अधूरे सपने को आयोग नहीं, संकल्प की तलाश
Posted on 21 May, 2012 03:44 PM

सरकार का जलविद्युत परियोजनाओं को ही सबसे सस्ता व सबसे कम नुकसानदेह बताने का उसका नजरिया बदला नहीं है। इस पर सरका

ganga mahasangram
गंगा तभी बचेगी, जब उसका उद्गम बचेगा
Posted on 17 May, 2012 04:59 PM गंगा नदी पर बनते बांध और कल-कारखानों, घरों से लगातार निकलते कचरे की वजह से गंगा का अस्तित्व संकट में आ गया है। गंगा के पवित्रता पर छाए हुए संकट को देखकर पहली बार संसद इतनी चिंतित दिखी। लोकसभा में गंगा नदी पर हुई चर्चा के दौरान सदस्यों ने गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए प्रंधानमंत्री से मांग की गंगा तभी बचेगी, जब उसके ऊपर कोई बांध नहीं होगा। इसी छाए संकट को उजागर कर रहे हैं उमाकंत लखेड़ा।
भूजल पर संकट
Posted on 17 May, 2012 10:46 AM बढ़ते जनसंख्या और शहरीकरण के विस्फोट की वजह से सबसे ज्यादा असर भूजल पर पड़ा है। इसके अंधाधुंध दोहन से आज भूजल संकट में है। भूजल की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए कई राज्यों ने भूमिगत जलकर्षण के बारे में कानून बनाए हैं या कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं। जहाँ कानून बने हैं, वहाँ उनकी व्यापक अनदेखी भी हुई है। भूजल पर बढ़ते संकट को उजागर कर रही हैं स्वाति शर्मा।
प्रार्थना नहीं, अब रण होगा
Posted on 15 May, 2012 03:41 PM “सरकार, बापू के तीन बंदर।”
“यदि हमें सरकार का समर्थन प्राप्त होता, तो हम पानी छोड़-छोड़ कर सरकार को कोसते नहीं।”
“जिस संत या साधू के आश्रम का अवजल गंगा में जाये, वह साधू नहीं, शैतान।”
“ प्राणोत्सर्ग के द्वार पर पहुंची साध्वी पूर्णाम्बा की तपस्या।”
“ यदि एक भी गंगा तपस्वी के प्राण गये, तो जिम्मेदारी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री की होगी।”
Ganga mukti sant sammelan
रासायनिक खाद से जमीन में घुलता जहर
Posted on 14 May, 2012 04:48 PM देश में हरित क्रांति आने की वजह से रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है और किसानों के मित्र कहे जाने वाले किड़े, केंचुएं खत्म हो रहे हैं। कृषिभूमि को धीरे-धीरे रसायनों की लत से मुक्त कर हमें अपने देश में उपलब्ध जैविक खाद का भरपूर उपयोग करना होगा और किसानों को इस कार्य के लिए तकनीकी और आर्थिक सहायता देनी होगी जिससे हमारे कृषिभूमि के साथ नदी, तालाब का पानी जहर
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