भारत

Term Path Alias

/regions/india

आई बी रिपोर्ट से असहमति जरूरी क्यों
Posted on 04 Aug, 2014 10:57 AM सामाजिक कार्य में धन की कमी रोड़ा बनकर खड़ी हो जाए, तो धन उस लक्ष्
Arun tiwari
कमाई करोड़ों में, सामाजिक दायित्व दिखावा
Posted on 03 Aug, 2014 04:25 PM इस सदी में मॉनसून के छठी बार धोखा दिया है। 14 साल में छह बार राज्य में सूखे की मार बहुत बड़ी बात है। हर बार किसानों को फसलों का भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई और वैकल्पिक व्यवस्था में सरकार के खजाने पर बोझ पड़ा। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि कृषि क्षेत्र में कारोबार करने और भारी मुनाफा कमाने वाली कंपनियां कहां हैं, क्या कर रही हैं?
प्राचीन है भारत की बसंत अनुभूति
Posted on 03 Aug, 2014 03:49 PM हम प्रकृति में हैं, प्रकृति के हैं और प्रकृति हम में है। हम सब मधुप
कीट-पतंग और पशु-पक्षी के मौलिक अधिकार
Posted on 03 Aug, 2014 02:53 PM हमारा अस्तित्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से है। भारतीय चिंतन
वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से बढ़ता पर्यावरण संकट
Posted on 03 Aug, 2014 01:08 PM पृथ्वी पर मानव जीवन लंबे समय तक तभी चल सकता है, अगर हम वनों का संरक
सब को भोजन जरूरी बढ़ाएं भूमि की उपयोगिता
Posted on 03 Aug, 2014 12:51 PM

वैज्ञानिकों में भ्रम है कि अगर हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही स

सीएसआर के दायरे में सभी बड़ी कंपनियां
Posted on 03 Aug, 2014 11:15 AM झारखंड-बिहार एक बार फिर सूखे की दहलीज पर खड़े राज्य हैं। अब क्या होगा?
पाठ्यक्रम में शामिल हो गंगा
Posted on 03 Aug, 2014 09:43 AM मंदिरों, आश्रमों का चढ़ावा, घर के हवन की बची सामग्री और राख, दुकान
जल, जीवन और गंगा
Posted on 02 Aug, 2014 10:38 PM भारत में नदियों की पूजा भले की जाती हो, पर उनकी स्वच्छता की चिन्ता नहीं किए जाने से आज देश के 60 हजार गांव प्यासे हैं, और यदि पानी मिलता है तो बीमारियों के साथ। अंधाधुंध विकास की चाहत में भूजल स्तर जिस रफ्तार से कम हो रहा है, उससे भविष्य में पानी के लिये युद्ध होने की आशंकाएं भी कम नहीं हैं। जरूरत है कि हम नदियों से छेड़छाड़ रोककर उनके प्राकृतिक बहाव को महत्त्व दें, नहीं तो हमारी सभ्यता कभी भी तबाह हो सकती है। पेश है भविष्य के संकटों को परखती रिपोर्ट।

राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में गंगा की सफाई की योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा एक्शन प्लान बना। अब तक लगभग बीस हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा का पानी जगह-जगह पर प्रदूषित और जहरीला बना हुआ है।केंद्र की नई सरकार ने गंगा नदी से जुड़ी समस्याओं पर काम करने का फैसला किया है। तीन-तीन मंत्रालय इस पर सक्रिय हुए हैं। एक बार पहले भी राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में गंगा की सफाई की योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा एक्शन प्लान बना। मनमोहन सिंह सरकार ने तो गंगा को राष्ट्रीय नदी ही घोषित कर दिया। मानो पहले यह राष्ट्रीय नदी नहीं रही हो। अब तक लगभग बीस हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा का पानी जगह-जगह पर प्रदूषित और जहरीला बना हुआ है। गंगा का सवाल ऊपर से जितना आसान दिखता है, वैसा है नहीं। यह बहुत जटिल प्रश्न है। गहराई में विचार करने पर पता चलता है कि गंगा को निर्मल रखने के लिए देश की कृषि, उद्योग, शहरी विकास तथा पर्यावरण संबंधी नीतियों में मूलभूत परिवर्तन लाने की जरूरत पड़ेगी। यह बहुत आसान नहीं होगा।
गंगा बैराजों पर जेडीयू की आपत्ति
Posted on 02 Aug, 2014 04:33 PM किसी नदी का तल कितना गहरा अथवा उथला होगा, यह तय करने का काम उसके उद्गम और समुद्र से उसके संगम स्थल की ऊंचाई के बीच के अंतर का काम है। इसी तरह नदी मार्ग में घुमाव, संगम या अवरोध उत्पन्न करने का काम प्रकृति का है। अतः इस बाबत् श्री अनुपम मिश्र जी के नदी जोड़ संबधी बयान से प्रेरणा लेते हुए कहा जाना चाहिए कि श्रीमान नितिन गडकरी जी गंगाजी को गहरा करने व नए बैराज
Ganga barrage
×