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बिहार
फरक्का हटाओ, बिहार बचाओ
Posted on 25 Apr, 2017 12:21 PMफरक्का बराज के कारण गंगा का पेट गाद से लबालब भर गया है। जिसकी वजह से बिहार को प्रतिवर्ष ब
बाढ़ को विकराल हमने बनाया
Posted on 18 Apr, 2017 04:45 PMगौरतलब है कि देश के सर्वोच्च अधिकारियों (आइएएस और आईपीएस) का प्रतिशत सबसे ज्यादा न सही, ल
क्या सिर्फ फरक्का बैराज ही है दोषी
Posted on 14 Apr, 2017 04:40 PMहिमालयी नदियों पर तटबन्ध और बैराजों की परिकल्पना करते वक्त यह
बैराज नहीं, बिहार जल प्रबन्धन भी जाँचे नीतीश
Posted on 14 Apr, 2017 03:55 PM
हमने कभी सिंचाई के नाम पर नदियों को बाँधा और कभी बाढ़ मुक्ति-बिजली उत्पादन के नाम पर। नदी के नफा-नुकसान की समीक्षा किये बगैर यह क्रम आज भी जारी है। एक चित्र में नदियों को जहाँ चाहे तोड़ने-मोड़ने-जोड़ने की तैयारी है, तो दूसरे में भारत की हर प्रमुख नदी के बीच जलपरिवहन और नदी किनारे पर राजमार्ग के सपने को आकार देने की पुरजोर कोशिश आगे बढ़ती दिखाई दे रही है।
नोएडा से गाजीपुर तक गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना को आगे बढ़ाने की मायावती सरकार की पैरोकारी को याद कीजिए। श्री नितिन गडकरी द्वारा परिवहन मंत्री बनते ही गंगा जलमार्ग के नाम पर इलाहाबाद से हल्दिया के बीच हर सौ किलोमीटर पर एक बैराज बनाने की घोषणा को याद कीजिए।
पानी बीच खगड़िया प्यासा
Posted on 14 Apr, 2017 11:15 AM
अनुवाद - संजय तिवारी
खगड़िया सात नदियों की ससुराल है और ससुराल छोड़कर नदियाँ कहीं दूर न चली जाएँ इसलिये सरकारी योजनाओं ने उन्हें बाँधकर रखने की भरपूर कोशिश की है। कोसी, कमला बलान, करेश, बागमती, बूढ़ी गंडक, अधवारा समूह और गंगा। इन सात नदियों पर आठ बाँध बनाए गए हैं।
बागमती पर बना बुढ़वा बाँध और कराची बदला, कोसी पर बदला नागरपारा, गंगा पर गोगरी नारायणपुर, बूढ़ी गंडक पर बूढ़ी गंडक बाँध, कोसी पर बना कोसी बाँध और बागमती की ही एक और सहायक नदी पर बना नगर सुरक्षा बाँध।
सात नदियों पर बने आठ बाँधों के कारण खगड़िया में जल ही जीवन नहीं है, बल्कि जल में ही जीवन है। चारोंं तरफ पानी से घिरा हुआ लेकिन प्यासा। सब तरफ पानी है लेकिन पीने के लिये पानी नहीं है।
बागमती को बाँधने में किसी का हित नहीं
Posted on 11 Apr, 2017 10:09 AM
सत्तर के दशक में जब बागमती नदी पर तटबन्ध बनाया जा रहा था, तब ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। उस वक्त कुछ दूर तक तटबन्ध बने, लेकिन लोगों के विरोध के मद्देनजर काम बन्द कर दिया गया था। इस घटना के लगभग चार दशक गुजर जाने के बाद दोबारा बिहार सरकार बाकी हिस्से पर तटबन्ध बनाना चाहती है और इस बार भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि तटबन्ध बनने से उन्हें फायदे की जगह नुकसान होगा लेकिन सरकार का तर्क है कि वह तटबन्ध बनाकर बाढ़ को बाँध देगी। तटबन्ध की खिलाफत करने वाले लोगों के साथ सरकार की बातचीत हुई, तो तटबन्ध से होने वाले नफा-नुकसान का आकलन करने के लिये विशेषज्ञों की कमेटी बनाने पर सहमति बनी, लेकिन तटबन्ध के खिलाफ आन्दोलन करने वाले लोगों का आरोप है कि किसी भी तरह सरकार तटबन्ध बनाने पर आमादा है और वह आम लोगों के हित नहीं देख रही है।
डीपीआर बनवाया उससे जिसको अनुभव नहीं
Posted on 06 Apr, 2017 03:11 PMबागमती बहुत ही छिछली नदी है। उसके राह बदलने, नई-नई धाराओं के
ठगे से रह गए हैं गंगा के मछुआरे
Posted on 04 Mar, 2017 04:41 PMइस साल जब पटना में गंगा की बाढ़ के प्रवेश करने की हालत बन गई