बिहार

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ऐसे आती है बाढ़
Posted on 26 May, 2017 03:43 PM
उत्तर बिहार को लगातार बाढ़ से बचाने के लिये 1950 के दशक में यहां की नदियों पर तट-बंध बनाने की एक विषद और महत्वाकांक्षी योजना शुरू हुई। यह निश्चय ही एक दुःस्साहसिक कदम था क्योंकि इसके पीछे नेपाल से बिहार के मैदानी इलाकों में अत्यधिक गाद युक्त पानी लाने वाली नदियों से छेड़छाड न करने वाली लगभग सौ साल पुरानी मुहिम को अब धता बता दिया गया था। अंग्रेज इंजीनियरों की बाढ़ नियंत्रण तथा तटबंध विरोधी और बाढ़ समस्या को जल निकासी की समस्या के रूप में देखने वाली लॉबी बड़ी ही समर्थ और सक्रिय थी और उन्होंने ऐसे किसी भी काम का लगभग सफल विरोध किया जिससे बहते पानी के रास्ते में अड़चने पैदा होती हैं।

Thus come the floods
Posted on 26 May, 2017 03:28 PM
There was only 160 kilometer length of embankments in Bihar,
गाद निकालने में सावधानी आवश्यक
Posted on 25 May, 2017 11:45 AM


गंगा के गाद-विमुक्तिकरण के उपाय सुझाने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा गठित चितले समिति ने गाद का वार्षिक बजट बनाने समय कई सिफ़ारिशें की हैं और इस मामले को किसी तकनीकी संस्थान को सौंप देने का सुझाव दिया है जो मोरफोलॉजीकल (आकृति वैज्ञानिक) और बाढ़ की आवृत्ति का अध्ययन करके गाद की पहुँच क्षेत्र में उन स्थलों को चिन्हित करेगा जहाँ से गाद हटाई जा सकती है।

Ganga silt
गंगा के पेट में गाद की ढेर
Posted on 19 May, 2017 01:02 PM


गंगा की पेट में गाद की ढेर जमा है। इसमें विभिन्न तरह की गाद है। इसे हिमालय से बहकर आए पानी के साथ आने वाली महीन मिट्टी भर समझना भूल होगी। शहरों के मैला जल और औद्योगिक कचरा के साथ आने वाली गंदगी भी इकट्ठा है। इस गंदगी का असर गंगा में पलने वाले जलीय जीवों पर पड़ा है। गाद में इस गंदगी के मिले होने का असर गंगा के तटवर्ती इलाके में खेती पर हुआ है। लेकिन यह मसला अभी चर्चा में नहीं हैं। गंगा में जमा गाद के खिलाफ बिहार सरकार का ताजा अभियान मूलतः फरक्का बराज की वजह से गाद का प्रवाहित होकर समुद्र में नहीं जाने और बराज के ऊपर के प्रवाह क्षेत्र में एकत्र होने पर केंन्द्रीत है।

हिमालय से निकली नदियों में पानी के साथ गाद आने की समस्या नई नहीं है। बिहार, बंगाल और आसाम सदियों से इसे झेलते रहे हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई से समस्या बढ़ी है। समस्या केवल पहाड़ों पर वनों की कटाई से नहीं, मैदानी क्षेत्र में वृक्षों के विनाश का असर पड़ा है।

गंगा
मुक्ति की आस में मुक्तिदायिनी फल्गु
Posted on 16 May, 2017 11:16 AM
गंगा पदोदकं विष्णो फल्गुहर्यादि गदाधर:।
स्वयं हि द्रवरूपेण तस्माद्गंगाधिकां विद:।।


(गंगा भगवान विष्णु का चरणामृत है। फल्गु रूप में स्वयं आदि गदाधर ही हैं। स्वयं भगवान द्रव (जल) रूप में हैं। इसलिए फल्गु को गंगा से अधिक समझना चाहिए।)

मुक्तिर्भवति पितृणां कतृणां तारणाय च।
ब्रह्मणा प्रार्थितो विष्णु: फल्गुरूपो भवत्पुरा।।

बिहार में आर्सेनिक के आंकड़े व्यवस्थित नहीं
Posted on 14 May, 2017 12:14 PM

बिहार के भूजल में आर्सेनिक की उपस्थिति का पता चलने के बाद भी उस जलस्रोत का उपयोग करने से

Arsenic
अब पछताये होत क्या
Posted on 11 May, 2017 01:09 PM
भारत गाँवों का देश है; बात गाँवों से ही शुरू होती है। आज से कुछ दशकों पूर्व तक हमारे गाँव बाग-बगीचों, कुओं, तालाबों, आहरों, पोखरों से भरे पड़े थे। मुझे अपने बचपन की बातें याद हैं प्रत्येक किसान का एक बगीचा अवश्य होता था, उसमें इनारा, पोखरा होते थे जोकि गर्मी के दिनों में बगीचा के पटवन एवं पशु-पक्षियों को पीने के तालाब का काम देते थे तथा गाँव आच्छादित थे। आज उन जगहों पर बड़े-बड़े भवन खड
बागमती : बिहार में पहली बार समीक्षा समिति का गठन
Posted on 02 May, 2017 12:07 PM

समस्या यह नहीं है कि बाढ़ को कैसे समाप्त किया जाए, समस्या यह है कि बाढ़ के फाजिल पानी की

Bagmati
बागमती पर तटबंध को लेकर सरकार ने बनायी कमेटी
Posted on 02 May, 2017 11:10 AM
पत्रबागमती नदी पर तटबंध बनाये ज
Bagmati River
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