अरुण तिवारी
जल-जन जोड़ो अभियान के बहाने जल सुरक्षा पर चर्चा
Posted on 09 May, 2015 12:56 PMदिनांक : 13-14 मई, 2015,
स्थान : जवाहरलाल नेहरू युवा केन्द्र (निकट गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान), दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली, नज़दीक मेट्रो स्टेशन: मण्डी हाउस एवं बस स्टैंड : बाल भवन और आईटीओ
आयोजक : जल-जन जोड़ो अभियान
जैसा कि नाम से स्पष्ट है ‘जल-जन जोड़ो अभियान’, जल के भिन्न सरोकारों से जन-जन को जोड़ने के लक्ष्य रखने वाला अभियान है। वर्ष 2012 में शुरू हुआ यह अभियान, जलपुरुष श्री राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में संचालित है।
पहला दिन
पहला दिन प्रातः दस बजे से शुरू होकर सायं 5.00 बजे सम्पन्न होगा। 13-14 मई को प्रस्तावित सालाना मिलन मौके पर पहले दिन आयोजकों की ओर से अभियान की जरूरत, किए गए प्रयास व नतीजों की जानकारी दी जाएगी।
रैंकिंग का बाजारवाद
Posted on 09 May, 2015 12:34 PMनई आर्थिक तरक्की वाले देशों में पर्यावरणीय क्षेत्र में काफी कुछ खोयहिण्डन की सन्तानों ने जगाई सरकार
Posted on 09 May, 2015 11:20 AMजिस दिन हिण्डन में मल व अन्य तरल कचरा आना रुक जाएगा, हिण्डन का प्रवाह नाम मात्र को ही रह जाएगा। हिण्डन को यदि फिर से हरनन्दी बनाना है, तो हिण्डन किनारे के इलाकों में जलशोषण घटाना होगा; जल संचयन बढ़ाना होगा। हरियाली इसमें सहायक होगी ही। कचरे पर रोक के साथ-साथ यह करना ही होगा। अच्छे कदम में हाथ बँटाना और गलत काम को टोकना व रोकना ही उपाय है। हिण्डन के नाम पर यात्राएँ हुईं। हिण्डन के नाम पर संस्थाएँ बनी। हिण्डन के नाम पर आज अपार्टमेंट हैं; प्रतिष्ठान हैं; पत्रिका है; पार्क हैं; नारे हैं; अनशन है; कार्यकर्ता हैं; मुकदमें हैं; आदेश हैं; बजट है; किन्तु दुर्योग है तो बस यही कि हिण्डन का वह स्वरूप नहीं है, जिसके लिये हिण्डन जानी जाती है।हिण्डन का पौराणिक नाम, हरनन्दी है। करीब 260 किलोमीटर लम्बी यह पौराणिक धारा सहारनपुर से निकलकर, गौतमबुद्ध नगर के तिलवाड़ा गाँव में आकर यमुना में मिल जाती है। इस रास्ते में उसे कचरा और मल के अलावा कहीं जल भी मिलता है; यह कहना मुश्किल है। हिण्डन की दुर्दशा, हिण्डन ही नहीं, अब इसके किनारे के रहने वाले भी जानने लगे हैं। बीमारियों के दंश ने उन्हें असली कारण का पता बता दिया है। इस तलाश ने अब तक कई को बेचैन किया है।
ताकि सिर्फ खबर होकर न रह जाए ये खबरें
Posted on 08 May, 2015 04:08 PM“भारत, दुनिया के सर्वाधिक तेजी से बढ़ते बोतलबन्द पानी बाजारों में से एक’’ - यह खबर, बैसाख-जेठ में पानी का प्याऊ लगाकर जलदान को महादान बताने वाले भारत देश की है।
नेपाली तबाही कुछ कहती है
Posted on 27 Apr, 2015 11:40 AMधरती डोली। एक नहीं, कई झटके आए। नेपाल में तबाही हुई। दुनिया की सबसे ऊँची चोटी - माउंट एवरेस्ट को जीतने निकले 18 पर्वतारोहियों को मौत ने खुद जीत लिया। जैसे-जैसे प्रशासन और मीडिया की पहुँच बढ़ती गई, मौतों का आँकड़ा बढ़ता गया। इसका कुछ दर्द तिब्बत, असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश ने भी झेला। दहशत में रात, दिल्लीवासियों ने भी गुजारी। जरूरी है कि हम सभी इससे दुखी हों। यमन की तरह, नेपाल के मोर्चेमानव उत्पत्ति के मूल स्थान का सौभाग्य लौटाने का दायित्व
Posted on 21 Apr, 2015 02:08 PMपृथ्वी दिवस पर विशेष
पंचायत जगाने निकले कुछ कदमों का सन्देश
Posted on 10 Apr, 2015 02:12 PMइलाहाबाद से वाराणसी जाते समय सड़क किनारे एक जगह है - राजा के तालाब। बीते तीन अप्रैल को राजा के तालाब से एक यात्रा चली - तीसरी सरकार संवाद एवं सम्पर्क यात्रा। राजतन्त्र में राजा, पहली सत्ता होता है, प्रजा अन्तिम। लोकतन्त्र में संसद तीसरी सरकार होती है, विधानसभा दूसरी और ग्रामसभा पहली सरकार। इसलिये मैं पंचायती राज की ताकत बताने निकली यात्रा को तीसरी सरकार संवाद एवं सम्पर्क यात्रा के नामकरण से सहम
भू-संशोधन विरोध : इस सवाल का जवाब जरूरी है
Posted on 10 Apr, 2015 02:04 PMभूमि अधिग्रहण सम्बन्धी कानून-2013 के रचनाकार, जयराम रमेश ने ठीक कहा। हकीक़त यह है कि संप्रग सरक