अरुण तिवारी
समय बेढंगा, अब तो चेतो
Posted on 08 Sep, 2014 01:01 PMहाय! समय ये कैसा आया,
मोल बिका कुदरत का पानी।
विज्ञान चन्द्रमा पर जा पहुंचा,
धरा पे प्यासे पशु-नर-नारी।
समय बेढंगा, अब तो चेतो,
मार रहा क्यों पैर कुल्हाड़ी?
गर रुक न सकी, बारिश की बूंदें,
रुक जाएगी जीवन नाड़ी।
रीत गए जो कुंए-पोखर,
सिकुड़ गईं गर नदियां सारी।
नहीं गर्भिणी होगी धरती,
बांझ मरेगी महल-अटारी।
दीनदयाल उपाध्याय जन्मतिथि बनेगी, जल संरक्षण योजना शुभारंभ तिथि
Posted on 07 Sep, 2014 09:33 AMप्रति व्यक्ति उपलब्धता में कमी के मूल कारणों में बढ़ती आबादी, बढताएक छोटे लड़के की कारस्तानी है कम वर्षा
Posted on 31 Aug, 2014 12:40 PMमॉनसून के शुरुआती दिनों को अरब सागर की मॉनसून प्रणाली ‘नानुक’ प्रभावित करती है। मूसलाधार वर्षा
अच्छे दिनों के लिए कितनी अच्छी कम बारिश
Posted on 31 Aug, 2014 12:35 PM‘आइस बकेट चैलेंज’ की जगह ‘राइस बकेट चैलेंज’ - संयोग से भारतीयों के लिए चावल की महत्ता बताने वाली यह चुनौती मंजुलता कलानिधि ने ऐसे समय पेश की है, जब मॉनसून-कम वर्षा, तापमान- 40 डिग्री और धूप-अधिक तीखेपन की चुनौती पेश कर रही है।बिहार को बैराज से बचाओ
Posted on 29 Aug, 2014 10:06 AMसमुद्र से उठने वाले मॉनसून और नदियों के जरिए हिमालय से आने वाली गाददेखना, रोशनी देने का काम फिर होगा रौशन
Posted on 29 Aug, 2014 08:59 AMजलपुरुष श्री राजेन्द्र सिंह से साक्षात्कार पर आधारित लेख
आई बी रिपोर्ट से असहमति जरूरी क्यों
Posted on 04 Aug, 2014 10:57 AMसामाजिक कार्य में धन की कमी रोड़ा बनकर खड़ी हो जाए, तो धन उस लक्ष्गंगा बैराजों पर जेडीयू की आपत्ति
Posted on 02 Aug, 2014 04:33 PMकिसी नदी का तल कितना गहरा अथवा उथला होगा, यह तय करने का काम उसके उद्गम और समुद्र से उसके संगम स्थल की ऊंचाई के बीच के अंतर का काम है। इसी तरह नदी मार्ग में घुमाव, संगम या अवरोध उत्पन्न करने का काम प्रकृति का है। अतः इस बाबत् श्री अनुपम मिश्र जी के नदी जोड़ संबधी बयान से प्रेरणा लेते हुए कहा जाना चाहिए कि श्रीमान नितिन गडकरी जी गंगाजी को गहरा करने व नए बैराजक्यों है खास चातुर्मास
Posted on 28 Jul, 2014 11:06 AMभारत के पारंपरिक ज्ञानतंत्र की इस खूबी को अत्यंत बारीकी से समझने की जरूरत है कि एक ओर तो वह देवताओं के सो जाने का तर्क सामने रखे आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से शुरु चौमासे में विवाह लग्न आदि कई शुभ कार्यों की इजाजत नहीं देता, दूसरी ओर इस पावसी चौमासे मेंं इतने महत्वपूर्ण मौके आते हैं कि उन्हें हम पूरी श्रद्धा और नियम से निभाने का प्रावधान है।यमुना: देव वाणी की चेतावनी सुनो
Posted on 21 Jul, 2014 03:16 PMसूर्य यमुना के पिता हैं; यमराज भाई, ब्रह्म रचयिता और कृष्ण.. यमुना के पिया। यमुना की दुर्दशा देखा आहत् इन देव शक्तियों की वाणी चीख-चीख कर कुछ कह रही हैं। सुन सको, तो सुनो।
सूर्य: मानव! मूर्ख मानव !!
नहीं, नहीं तुम मानव तो हो नहीं सकते। तुम तो दानव हो; विनाश के ज्वालामुखी पर बैठे, क्रूर और अभिमान के मद में चूर दानव!