स्वच्छता

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November 17, 2023 Women's struggle for sanitation equity in rural areas and urban slums India
A training exercise on water and sanitation, as part of an EU-funded project on integrated water resource management in Rajasthan. (Image: UN Women Asia and Pacific; CC BY-NC-ND 2.0 DEED)
October 20, 2023 A holistic approach to Water, Sanitation, and Hygiene (WASH) initiatives
Shantilata uses a cloth to filter out the high iron content in the salty water, filled from a hand pump, in the village Sitapur on the outskirts of Bhadrak, Bhubaneshwar, Odisha (Image: WaterAid/ Anindito Mukherjee)
July 12, 2023 A collective impact effort, the first of its type in India that provides informal waste pickers a chance to live safe and dignified lives, with particular emphasis on gender and equity.
Waste pickers and sorters working hard to extract recyclable value from the waste we throw out (Image: Vinod Sebastian/ Saamuhika Shakti)
February 7, 2023 Budgetary allocations for urban sanitation get an impetus, but Swachh Bharat Mission – Rural (SBM-R) records no change in its budgetary allocation
An amount of Rs 1840 crore has been approved to effecvely implement Water Security Plans through convergence of ongoing/new schemes (Image: Pavitra K B Rao, Wikimedia Commons)
December 13, 2022 WaterAid India’s partnership with USAID and Gap Inc. benefits 2400 villages across 7 districts of Madhya Pradesh and Maharashtra
WaterAid has focused on establishing community-led water quality monitoring & surveillance (Image: Anil Gulati/India Water Portal Flickr)
September 27, 2022 This study found that the sanitary quality of neighbourhood drains, in addition to toilets, affected sanitation and hygiene and incidences of ill-health in rural households.
Dirty drainages, harbingers of illhealth. Image for representation only (Image Source: SuSanA Secretariat via Wikimedia Commons)
मर्यादा बचाने को घर-घर में हो शौचालय
Posted on 15 Sep, 2012 03:47 PM महिलाओं की मर्यादा की बात मुंडेरी तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी भनक आसपास के गांवों को भी लग गई और कुछ ही समय में आसपास के कई ग्राम पंचायतों में अगुवा बहिनी बनकर महिलाएं स्वयं के घरों में शौचालय बनवाने के साथ-साथ दूसरे को भी प्रेरित करने का काम करने लगी हैं। शौचालय बनाने के लिए मंदिर में शपथ लेना बाध्यकारी नहीं है, बल्कि यह प्रतीकात्मक है, जिसकी जिस ईश्वर में आस्था है, वह उनकी शपथ ले रहा है। ‘‘गांव की नई नवेली दुल्हन दिन के उजाले में या घर आए मेहमानों के सामने किसी के सामने नहीं निकलती, पर जब शौच के लिए उसे खुले खेत, नदी या तालाब किनारे जाना पड़ता है, तो वह न केवल उसके लिए बल्कि पूरे घर के लिए अपमानजक स्थिति होती है। घर में शौचालय का होना सिर्फ स्वास्थ्य एवं स्वच्छता का मुद्दा नहीं हैं, बल्कि महिलाओं के सम्मान का मामला है।’’ मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के मुंडेरी गांव की पुष्पा का यह उद्गार कोई भाषण नहीं है, बल्कि उस अभियान की अवधारणा है, जिसका बीजारोपण पिछले साल 2 अक्टूबर को स्थानीय स्तर पर शिवपुरी जिले में किया गया था। इस अवधारणा को मध्यप्रदेश में राज्य स्तर पर अपनाया गया है, जिसे मर्यादा अभियान नाम दिया गया है।
पानी को पॉली कचरे से बचाओ!
Posted on 11 Sep, 2012 01:31 PM ऐसा नहीं है कि बढ़ते पॉलीथीन कचरे को रोका नहीं जा सकता या पॉलीथीन
Poly waste
‘उत्तम प्रदेश’ में जारी अमानवीय कुप्रथा
Posted on 30 Aug, 2012 12:21 PM

सरकार और सामाजिक संगठन अगर ईमानदारी से वास्तव में मानवता के लिए शर्मनाक इस पेशे के उन्मूलन के प्रति संजीदा हैं त

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियानः कहानी अनीता की
Posted on 08 Aug, 2012 03:09 PM

“आधे भारतीय घरों में सेलफोन हैं, किंतु शौचालय नहीं”, घरेलू जनगणना-2011


अनीता बाई नेरे को सुलभ स्वच्छता पुरस्कार देते केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, जयराम रमेशअनीता बाई नेरे को सुलभ स्वच्छता पुरस्कार देते केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, जयराम रमेशस्थान था दक्षिण कोरिया की राजधानी शहर-सिओल का कोरिया डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (के.डी.आई.)। भारत एवं कोरिया के अधिकारियों से भरे एक सम्मेलन–कक्ष में एक लघु फिल्म दिखाई जा रही थी, इस फिल्म में एक सफलता की कहानी प्रदर्शित की जा रही थी कि किस तरह से एक गांव को खुले में शौच करने से मुक्त (ओ.डी.एफ) कराया गया।
भारत की बदबूदार तस्वीर
Posted on 18 Jun, 2012 10:55 AM

भारत के अधिकांश कस्बों एवं नगरों में स्वच्छता की समुचित सुविधाएं न होने के कारण लोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पर

शौचालय मुहैया करा देने से ही सेनिटेशन नहीं आ जाता
Posted on 06 Jun, 2012 10:12 AM आजादी के 64 साल बाद भी देश के सिर्फ 47 प्रतिशत घरों में ही शौचालय की सुविधा मौजूद है। बाकी 53 प्रतिशत यानी देश की आधे से भी ज्यादा जनता खुले में ही निवृत होने को मजबूर हैं। हालांकि पिछले 10 सालों में, इसमें 13 प्रतिशत का सुधार हुआ है। 2001 में सिर्फ 34 प्रतिशत घरों में ही शौचालय था। लेकिन स्थिति अब भी कोई ज्यादा अच्छी नहीं है। महज शौचालय मुहैया करा देने से ही काम पूरा नहीं जाता उसके लिए जरूरी ह
शिप डंपिंग पॉलिसी पर यूरोप का दोहरा रवैया
Posted on 01 Jun, 2012 10:07 AM कबाड़ा और बेकार जहाजों को एशिया के भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के बंदरगाहों पर तोड़ा जाता है। जिससे न केवल पर्यावरणीय नुकसान होता है बल्कि वहां पर काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। जहाजों को तोड़ने पर काफी जहरीला कचरा भी निकलता है। यूरोपीय देश अपने देश में तो कबाड़ा जहाजों को तोड़ने से रोकने के लिए तरह-तरह के नियम-कायदे बना रखे हैं। पर भारत जैसे देशों में अपने कबा
रोजमर्रा के जीवन में कचरा करते हम
Posted on 31 May, 2012 08:59 AM आज जो कचरा हमारे पर्यावरण और भूजल को नुकसान पहुंचा रहा है। उसे हमने ही तो जमा किया है। पेन, शेविंग किट, दूध की थैली, पानी का बोतल आदि सभी चीजें प्लास्टिक में ही आती है जिसे हर हफ्ते कचरा बढ़ाने वाले ‘यूज एंड थ्रो’ के रूप में प्रयोग करते हैं। पूरे देश में हर रोज चार करोड़ दूध की थैलियां और दो करोड़ पानी की बोतलें कूड़े में फेंकी जाती हैं। इस बढ़ते कचरा के बारे में जानकारी दे रहे हैं पंकज चतुर्वे
Plastic Trash
शौचालय या मोबाइल फोन
Posted on 29 May, 2012 04:31 PM अक्सर व्यंग में कहा जाता है और शायद आपने पढ़ा भी हो कि हमारे देश में आज संडास से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। अगर यहां हर व्यक्ति के पास मल त्यागने के लिए संडास हो तो कैसा रहे?
‘ई-कचरे’ पर एक नया कानून
Posted on 28 May, 2012 10:42 AM मशीनीकरण तथा औद्योगिकीकरण के वर्तमान दौर में जैसे-जैसे मनुष्य विकास की ऊंचाइयों का स्पर्श करता जा रहा है, वैसे-वैसे नए रूपों में प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है, जिसमें से ‘इलेक्ट्रानिक कचरा’ भी एक है। इलेक्ट्रानिक कचरा स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। घरों अथवा कल-कारखानों में प्रयोग में लाया जाने वाला इलेक्ट्रानिक सामान जब खराब तथा अप्रोज्य हो जाता है तथा व्यर्थ समझकर उसे फेंक दिया जाता है तो उ
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