स्वच्छता

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August 16, 2024 A recent study finds that majority of the poor in India are likely to have open drains or no drainage systems to convey and treat their waste flows, threatening their health.
Open drains, harbingers of illhealth. Image for representation only (Image Source: SuSanA Secretariat via Wikimedia Commons)
July 28, 2024 The budget allocation for the Department of Drinking Water and Sanitation reflects a steady upward trajectory, underscoring the importance of scaling financial commitments to meet the growing demands of the WASH sector.
Child drinking water from handpump in Guna, Madhya Pradesh (Image: Anil Gulati, India Water Portal Flickr)
November 17, 2023 Women's struggle for sanitation equity in rural areas and urban slums India
A training exercise on water and sanitation, as part of an EU-funded project on integrated water resource management in Rajasthan. (Image: UN Women Asia and Pacific; CC BY-NC-ND 2.0 DEED)
October 20, 2023 A holistic approach to Water, Sanitation, and Hygiene (WASH) initiatives
Shantilata uses a cloth to filter out the high iron content in the salty water, filled from a hand pump, in the village Sitapur on the outskirts of Bhadrak, Bhubaneshwar, Odisha (Image: WaterAid/ Anindito Mukherjee)
July 12, 2023 A collective impact effort, the first of its type in India that provides informal waste pickers a chance to live safe and dignified lives, with particular emphasis on gender and equity.
Waste pickers and sorters working hard to extract recyclable value from the waste we throw out (Image: Vinod Sebastian/ Saamuhika Shakti)
February 7, 2023 Budgetary allocations for urban sanitation get an impetus, but Swachh Bharat Mission – Rural (SBM-R) records no change in its budgetary allocation
An amount of Rs 1840 crore has been approved to effecvely implement Water Security Plans through convergence of ongoing/new schemes (Image: Pavitra K B Rao, Wikimedia Commons)
पेयजल एवं शौचालय बिना कैसे पसंद आए स्कूल
Posted on 31 Dec, 2012 03:56 PM एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले अक्तूबर में सर्वोच्च न्या
‘समुदाय संचालित संपूर्ण स्वच्छता’ मार्गनिर्देशिका
Posted on 14 Dec, 2012 02:39 PM ‘समुदाय संचालित संपूर्ण स्वच्छता’ सीएलटीएस (Community Lead Total Sanitation- CLTS) बहुत से देशों के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है। प्रशिक्षण कार्य में अपना समय और क्षमता लगाने वाले कार्यकर्ताओं तथा कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षकों की बहुत कमी है।
नका जाउ बाहेर शौचाला
Posted on 03 Dec, 2012 02:15 PM सेवाग्राम वर्धा। नवविवाहिता प्रियांश श्री लोहकरे ने ससुराल में आकर खुले में शौच जाने से मना कर दिया। इससे पूरे घर में कोहराम मचा है। परिवार के सारे सदस्य सुबह से मुँह फुलाए बैठे हैं। कोई किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहा है। इधर लोहकरे ने दुबारा इस बात को पंचायत के सामने उठाने की धामकी दे दी। इस बात से घर का माहौल और खराब हो गया। लेकिन वह अपने जिद पर अड़ी रही। उसके भीतर गुस्सा भरा है और पीड़ा भी।
व्यवहार परिवर्तन किये बगैर देश को खुले में शौचमुक्त बनाना संभव नहीं
Posted on 03 Dec, 2012 02:03 PM

देश को खुले में शौच से मुक्ति के लिये व्यवहार परिवर्तन की जरूरत है और उन्हें इस आवश्यकता से जोड़ना होगा। यह काम

जीरो बजट से तैयार शौचालय
Posted on 03 Dec, 2012 12:10 PM जीरो बजट के शौचालय को बनाना बड़ा आसान काम है। खासकर गांवों में लोग थोड़ा बहुत श्रम करके इसे खुद ही तै
zero budget toilet
स्थानीय निकायों में बच्चों की भागीदारी
Posted on 27 Nov, 2012 09:29 AM मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के 15 पंचायतों में समर्थन संस्था ने वाटर एड एवं सेव द चिल्ड्रेन के सहयोग से बच्चों के वॉश अधिकार पर पंचायतों को संवेदनशील करने का कार्य किया है। इसमें गांव में पंचायत एवं अन्य स्थानीय संस्थाओं और समितियों के प्रतिनिधियों के सामने बच्चों के शामिल करते हुए बाल अधिकारों पर बाल संवाद आयोजित किया जाता है। इसमें बच्चे गांव, स्कूल, आंगनवाड़ी एवं घर से जुड़ी समस्याओं, खासतौर से पानी और स्वच्छता के मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं।त्रिस्तरीय पंचायतराज लागू होने से पंचायतों में वंचित समुदाय एवं महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं थी। पर जब संवैधानिक प्रावधानों के बाद चुनाव हुए तब बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाएं पंचायतों एवं नगरीय निकायों में जनप्रतिनिधि बनकर सामने आए। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं की तरह ही समाज का एक ऐसा समूह है, जिसकी आवाज को कोई महत्व नहीं दिया जाता। यह समूह है बच्चों का। शाला में शौचालय, मध्यान्ह भोजन, आंगनवाड़ी एवं शाला में पेयजल की व्यवस्था, खेल का साफ मैदान, घर में एवं गलियों में सफाई, स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि से जुड़ी समस्या का समाधान बच्चे अपनी प्राथमिकता के आधार पर कराना चाहते हैं, जिसे पूरा करने में पंचायतें बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। बच्चों से जुड़ी समस्याओं के समाधान एवं उनकी जरूरतों के लिए बनाए जाने वाले नियमों, व्यवस्थाओं एवं कानूनों में बच्चों की सहभागिता का अधिकार दिए जाने को लेकर कई राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय संधियां एवं समझौते हुए हैं, पर उस पर अमल नहीं होता।
महिलाओं ने संभाली कमान, चंदे से बनायेंगी एक दूसरे का शौचालय
Posted on 09 Nov, 2012 03:31 PM गोरखपुर के सहजनवा स्थित वार्ड न. एक में जब पुरुषों ने यह कह कर टॉयलेट बनाने की बात पर टाल-मटोल करनी शुरू की कि बहू-बेटियों के बाहर शौच जाने से उन पर बहुत फर्क नहीं पड़ता, तो गांव की महिलाओं का आत्म सम्मान जाग उठा। उसी दिन दर्जन भर महिलाओं ने ग्वालियर से गोरखपुर पहुंची निर्मल भारत यात्रा की टीम के साथ मीटिंग कर निश्चय किया कि शौचालय बनकर रहेगा इसके लिए उन्हें पुरुषों से परमीशन लेने की जरूरत नहीं है। यात्रा की आयोजक संस्था क्विकसैंड की इतिका व विवान ने उन महिलाओं को खुले में शौच जाने से होने वाले सामाजिक, आर्थिक नुकसान के साथ इसके कारण होने वाली बीमारियों के बारे में बताया तो जैसे उनकी आंखें ही खुल गई।
आपका स्वास्थ्य आपके स्वच्छ हाथों में है
Posted on 08 Nov, 2012 03:25 PM बचपन से ही हम सब हाथ धोते आये हैं तो इसमें नया क्या है? जी हां, अक्सर जल्दबाजी में हाथ ठीक से नहीं धोते। लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ क्षणों को बचाने की कीमत हमें बाद में लम्बी बीमारी से चुकानी पड़ सकती है। यदि आप अक्सर हाथ नहीं धोते तो आप, बहुत जगहों से कीटाणु ले सकते हैं, और फिर स्वयं को ही नहीं अपने आसपास के लोगों को भी हानि पहुंचा सकते हैं।
ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर
Posted on 08 Nov, 2012 10:09 AM

हाथ में लक्ष्मी, सरस्वती और ब्रह्मा का निवास होता है इसलिए सुबह उठकर लोग सबसे पहले अपने हाथों को देखते हैं। हाथ की सफाई स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी जरूरत है अगर हम अपने हाथ की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दे तो घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे शौच के बाद हाथ धोना, खाना खाने से पहले हाथ धोना आदि सावधानियों को बरत कर अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है, बता रही हैं पूर्णिमा वर्मन।

ऊपर से देखने में अच्छा दिखता है..
Posted on 07 Nov, 2012 04:39 PM ‘वहां से अपना देश कैसा दिख रहा है?’ प्रधानमंत्री ने पूछा।
‘ठीक-ठाक ही दिख रहा है।’ अंतरिक्ष यात्री ने ठंडी प्रतिक्रिया दी।
प्रधानमंत्री निराश होकर बोले, ‘मैं जानना चाहता हूं कि अंतरिक्ष से हमारा देश कैसा लगता है।’
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