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संरक्षण - जल उपयोग को कम करना
नाला बंध निर्माण
Posted on 07 Sep, 2008 07:33 PMचिकनी मिट्टी द्वारा निर्मित यह संरचना नाला के ढलान को काटते हुए बनाई जाती है। यह संरचना अपवाह वेग को कम करने, भूमि में जल रिसाव के बढ़ाने तथा नमी को संरक्षित करने के उद्देश्य से बनाई जाती है। यह संरचना मृदा एंव जल संरक्षण के साथ साथ भूजल का स्तर बढ़ाती है एंव रबी की फसल के लिये सिंचाई का जल भी उपलब्ध करवाती है।कैसे सहज और व्यवस्थित हो तालाब निर्माण
Posted on 06 Sep, 2008 01:32 PMवेब दुनिया - मणिशंकर उपाध्याय/ पिछले एक दशक में भूमिगत पानी के अत्यधिक दोहन तथा अल्प वर्षा के चलते प्रदेश में पानी की कमी को देखते हुए नागरिक इसके संचय और संरक्षण के प्रति जागरूक हुए हैं। प्रदेश शासन ने भी वर्षा जल के संचय, जलस्रोत पुनर्भरण के लिए अनेक योजनाएँ कार्यान्वित की हैं। इनमें से वर्षा जल को तालाबों के माध्यम से सहेजने का प्रयास भी शामिल है। ताला
![pond construction](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/pond%20construction_8.jpg?itok=4Z3ocMSZ)
छत के पानी का एकत्रीकरण (Roof Top Water Harvesting)
Posted on 06 Sep, 2008 11:45 AMवर्षाजल संग्रहण अथवा एकत्रीकरण की इस प्रणाली में घरों की छतों पर पड़ने वाले वर्षा जल को गैलवेनाईज्ड आयरन, एल्यूमिनियम, मिट्टी की टाइलें अथवा कंक्रीट की छत की सहायता से जल एकत्रीकरण के लिये बने टंकियों अथवा भूजल रिचार्ज संरचना से जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार एकत्रित जल का प्रयोग सामान्य घरेलू उपयोग के अलावा भूजल स्तर बढ़ाने में भी किया जाता है।समोच्च खत्तियां (Contour Trenching / basins)
Posted on 06 Sep, 2008 11:23 AMवृक्षारोपण एंव चरागाहों के विकास हेतु नमी सरंक्षण के लिये समोच्च खत्तियां, व्यापक रूप से प्रयोग की जाने वाली विधि है। ढालू भूमि पर समोच्च बिन्दुओं को जोड़ते हुए खत्तियों की पंक्तियों का निर्माण किया जाता है। खत्तियों से निकलने वाली मिट्टी को निचली तरफ मेंड के रूप में लगा दिया जाता है। समोच्च खत्तियां अपवाह वेग को तोड़ती है तथा अपवाह के सम्पूर्ण या कुछ भाग का भवानस्पतिक समोच्च अवरोध (Vegetative contour barriers)
Posted on 05 Sep, 2008 10:28 PMशुष्क क्षेत्रों में वर्षाजल से ही पैदा हो जाने वाली घासें मिट्टी और पानी के संरक्षण का कार्य करती हैं, निरंतर रहने वाली ये घासें और झाड़ियां मृदा अपरदन के अवरोधक का कार्य करती हैं, सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राइ लैंड एग्रीकल्चर, हैदराबाद द्वारा किये गए शोध द्वारा यह स्पष्ट हुआ है कि वानस्पतिक समोच्च अवरोध तकनीक द्वारा जल अपवाह 97 फीसदी से
![Vegetative contour barriers](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Vegetative%20contour%20barriers_8.jpg?itok=7nKBYfDx)
आकाश गंगा न्यास के वर्षा-केन्द्र The rain center का केसस्टडीज
Posted on 05 Sep, 2008 08:03 PM
यह दस्तावेज आकाश गंगा न्यास, चेन्नई के श्री शेखर राघवन से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। केस अध्ययन - , चेन्नई
परिचय
![The rain Center](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/The%20Rain%20Center_8.jpg?itok=3emB03Jp)
अब वर्षाजल पुनर्भरण को अपनाएंगे मुंबई के मकान
Posted on 02 Sep, 2008 02:21 AMभाषा/मुंबई / बिजनेस स्टैंडर्ड: महानगर में आवास निर्माण की मौजूदा रफ्तार को व्यापक स्तर पर नियंत्रित करने के लिए मुंबई में जल्द ही 'इको फ्रैंडली' यानि पर्यावरण अनुकूल इमारतों का निर्माण किया जाएगा।
![rain water harvesting](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/rain%20water%20harvesting_0_57.jpg?itok=BI6JLEFi)
जल नियामक आयोग' की कोशिश
Posted on 01 Sep, 2008 08:29 PMजयपुर राजस्थान, जागरण संवाद केंद्र : विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह की अध्यक्षता में यहां हुई सर्वदलीय समिति की बैठक में 'जल नियामक आयोग' के गठन पर जोर दिया गया जिससे जल नीति निर्धारित कर जनता के हित में जल प्रबंधन को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जा सके। विधानसभा अध्यक्ष ने घटते वन क्षेत्र पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति वर्ष में एक बा
![Rajasthan water](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Rajasthan%20water_9.jpg?itok=h8RoEmV4)
विकसित भारत के लिए भंडारण अवसंरचना के साथ सतत खाद्य प्रणालियों को आकार देना जरूरी
Posted on 24 Feb, 2024 02:07 PMएक अनुकूल भंडारण अवसंरचना कृषि खाद्य प्रणालियों की निरंतरता की कुंजी है जिससे आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास लक्ष्यों के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ियों के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित होगी। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र-विकसित भारत बनने की राह पर है। अनुमान है कि 2047 तक भारत की जनसंख्या 1.64 बिलियन होगी, जिसमें से लगभग 0.82 बिलियन
![विकसित भारत के लिए भंडारण अवसंरचना के साथ सतत खाद्य प्रणालियों को आकार देना जरूरी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-02/wheat.jpeg?itok=RArQsyNm)