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संरक्षण - जल उपयोग को कम करना
जल सुरक्षा नियोजन
Posted on 11 Dec, 2023 05:19 PMजल सुरक्षा नियोजन का प्रस्तावित निरूपण
गांव के सभी निवासियों को भूगर्भ से जलापूर्ति प्रदान करने का प्रस्ताव है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से जल संसाधन विभाग द्वारा जल स्रोतों के निर्माण, इसके उपचार और वितरण के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं। मुख्य रूप से सतह और भूजल दोनों स्रोतों का उपयोग करते हुए। हालांकि इस संबंध में विभिन्न गतिविधिय
जल संरक्षण एवं संवर्धन के उपाय
Posted on 11 Dec, 2023 01:09 PMवर्षा जल संग्रहण पर विशेष ध्यान देते हुए प्रथम प्राकृतिक संसाधनों का संपूर्ण गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन तथा वर्षा जल को बेकार बहने से बचाना एवं इसके लिए जल प्रबन्धन विधियों को अपनाकर ही जल संरक्षण, जल संवर्धन तथा जल संचयन कार्य किया जा सकता है। वर्षा जल संचयन / मृदा क्षरण को हम निम्न विधियों से कम कर सकते हैं-
जल संरक्षण प्रौद्योगिकी का कार्यान्वयन
Posted on 18 Nov, 2023 04:37 PMआज भारत में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में जल उपलब्धता की समस्या विकराल रूप ले रही है। इस समस्या के समाधान हेतु विभिन्न राष्ट्रों की सरकारें तरह-तरह के उपाय कर रही हैं। भारत सरकार भी राष्ट्रीय स्तर पर जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से जल सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक समाधान, लोक सहभागिता के माध्यम से साधने में जुटी है। जलग्रहण क्षेत्र पर आधारित विभिन्न परियोजनाओं के अध्ययनोपरांत यह निष्कर्ष निकला कि
जल संचयन के रंग-ढंग(Types of water harvesting In hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 12:39 PMजैसे कि पहले बताया गया है कि जितनी वर्षा होती है उसका एक भाग सतही प्रवाह के रूप में जलग्रहण क्षेत्र से बाहर निकल कर नालों और नदियों के माध्यम से बहते हुए धीरे-धीरे अंततः समुद्र में मिल जाता है। एक भाग वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वातावरण में चला जाता है और बाकी मृदा में रिसता हुआ भूजल में मिल जाता है। वर्षा जल सतही और भूजल के माध्यम से उपयोग किया जाता है। जल की प्रकृति उच्च ढलान से निम्न ढलान की ओर
जल संचयन के रंग-ढंग (Types Of Water harvesting in Hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 12:39 PMजैसे कि पहले बताया गया है कि जितनी वर्षा होती है उसका एक भाग सतही प्रवाह के रूप में जलग्रहण क्षेत्र से बाहर निकल कर नालों और नदियों के माध्यम से बहते हुए धीरे-धीरे अंततः समुद्र में मिल जाता है। एक भाग वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वातावरण में चला जाता है और बाकी मृदा में रिसता हुआ भूजल में मिल जाता है। वर्षा जल सतही और भूजल के माध्यम से उपयोग किया जाता है। जल की प्रकृति उच्च ढलान से निम्न ढलान की ओर
जल संचयन क्या है(What is water harvesting In hindi)
Posted on 18 Nov, 2023 11:35 AMपरिचय
पृथ्वी का दो तिहाई भाग जल और एक तिहाई भाग थल है। यद्यपि जल इस ग्रह का सर्वाधिक उपलब्ध संसाधन हैं परन्तु मानव उपयोग के लिये यह तीव्र गति से दुर्लभ होता जा रहा है। इस अपार जल राशि का लगभग 97.5% भाग खारा है और 2.5% भाग मीठा है। इस मीठे जल का भी 75% भाग हिमखण्डों के रूप में, 24.5% भूजल, 0.03% नदियों, 0.34% झीलों एवं 0.06% वायुमण्डल में विद्यमान है। ज्यों-ज्यो
जलाभाव की त्रासदी
Posted on 16 Nov, 2023 11:29 AMजलाभाव की समस्या मात्र भारत की ही नहीं अपितु विश्व की सबसे जवलंत समस्या है जब 21वीं सदी के प्रारंभ में ही इस समस्या ने इतना विकराल रूप 'धारण कर लिया है तो आगे आने वाले वर्षों में इसका रूप कितना भयानक होगा यह सोचकर भी दिल दहल जाता है। जन जीवन का पर्याय है। जब पृथ्वी पर पीने योग्य जल ही नहीं होगा तो मानव जीवन की कल्पना करना ही व्यथ है।
अकल्पनीय जल-संकट की ओर बढ़ रहा देश
Posted on 18 Oct, 2023 01:12 PMजलपुरुष राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि देश भर में 10 साल पहले कुल 15 हजार के करीब नदियां थीं। इस दौरान करीब 30 फीसदी नदियां यानी साढ़े चार हजार के करीब सूख गई हैं, ये केवल बारिश के दिनों में ही बहती हैं। वे बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले उनकी टीम ने देश भर में एक सर्वे किया था, जिससे पता चला कि आजादी से लेकर अब तक देश में दो तिहाई तालाब, कुएं, झील, पोखरे, झरने आदि पूरी तरह सूख चुके हैं। आजादी के समय दे
राजस्थान में जल संसाधन संरक्षण एवं विकास
Posted on 12 Oct, 2023 01:51 PMसारांश
राजस्थान राज्य एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित भारत देश के उत्तर-पश्चिम में स्थित है जो क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा राज्य माना जाता है। राजस्थान का अंक्षाशीय विस्तार 23°30" उत्तरी अंक्षाश से 30°12" उत्तरी अक्षाश एवं देशान्तरी विस्तार 69°30" पूर्वी देशान्तर से 78°17" पूर्वी देशान्तर के मध्य है। राज्य की दक्षिणतम सीमा बोरकुण्ड (बाँसवाडा
सीकर जिले में जल संरक्षण की परम्परागत एवं आधुनिक विधियों का एक विशेष अध्ययन
Posted on 11 Oct, 2023 04:55 PMप्रस्तावना
जल आपूर्ति की उपलब्धता, किसी भी क्षेत्र विशेष की प्रमुख आवश्यकताओं में एक है जिस हेतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जल संरक्षण अत्यावश्यक हो जाता है भूमिगत जल संरक्षण एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें जल अनेक प्रक्रियाओं द्वारा भूमि के नीचे पहुंचता है। जल निकासी व प्राकृतिक पुनर्भरण के मध्य असंतुलन की स्थिति में कृत्रिम रूप से जल का संरक्षण किया जाता है। इ