संदूषण, प्रदूषण और गुणवत्ता

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Featured Articles
September 5, 2024 The current state of play regarding sewage treatment standards in India
Clogged pipes: India's sewage treatment crisis (Image: Trey Ratcliff, Flickr Commons; CC BY-NC-SA 2.0)
September 2, 2024 Recommendations made by an expert committee, the NGT's subsequent orders, and a critical analysis of these developments
Drum screens at Bharwara sewage treatment plant (Image: India Water Portal)
August 30, 2024 This article traces the evolution of the legislative framework for water pollution in India and its implications for wastewater treatment standards in the country. 
Open drains in Alwar (Image Source: IWP Flickr photos)
August 22, 2024 The journey of sewage treatment standards and the challenge of treating India’s growing wastewater
Need to fix wastewater effluent standards (Image: Kristian Bjornard)
August 1, 2024 Recognising the limitations of relying solely on herbicides, a strategic shift towards preventive measures is crucial
Relying solely on chemicals to keep weeds at bay isn't sustainable and can harm the environment. (Image: Needpix)
June 12, 2024 Leveraging research to optimise water programs for improved health outcomes in India
Closing the tap on disease (Image: Marlon Felippe; CC BY-SA 4.0, Wikimedia Commons)
दर्द की दो रेखाएं
Posted on 10 Jun, 2011 09:28 AM

हाल के दो सर्वेक्षण बताते हैं कि अब गंगा का पानी कई जगहों पर नहाने के लायक़ भी नहीं रह गया है और यमुना में ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम हो गयी है। बाक़ी नदियों का हाल भी बुरा है। काशी से तन-मन की शुद्धि की धारणा पर विश्वास करने वालों को सदमा लग सकता है कि काशी की डुबकी उन्हें बीमार कर सकती है। काशी ही नहीं, अब अधिकतर जगहों पर गंगा का पानी नहाने के लायक भी नहीं रह गया है। यह किसी गंगा-प्रेमी की चिं

जल में जहर
Posted on 01 Jun, 2011 09:31 AM

यमुना में पिछले कुछ सालों से गंदगी का स्तर इस कदर बढ़ता गया है कि बाहर से आने वाले पानी में मि

अब तो मां का दूध भी जहर हो गया है
Posted on 21 May, 2011 01:14 PM

देश की सोना उगलने वाली कृषि भूमि और पानी तो प्रदूषित हो ही चुका है, मगर अब मां के अमृत रूपी दूध में भी विषैले तत्व पाए गए हैं। महाराष्ट्र के रत्नागिरी के चिपलुन के डीबीजे कॉलेज के जिओलॉजी विभाग के एक अध्ययन के मुताबिक, मां के दूध में रसायनों की मात्रा खतरनाक स्तर तक पाई गई है। विभाग ने कोटावली सहित इलाके के सात गांवों अवाशी, लोटे, गुनाडे, गनुकंड, सोनगांव और पीरलोटे में वर्ष 2003 से 2004 के बीच

इंडोसल्फान नहीं, खेती को उद्योग बनने से बचाया जाए
Posted on 18 May, 2011 12:58 PM

भूजल का बेतरबीत तरीके से दोहन करके, अत्यधिक रासायनिक उवर्रक और रासायनिक कीटनाशकों को इस्तेमाल म

सावधान, आप सीवर का पानी पी रहे हैं!
Posted on 11 Mar, 2011 12:15 PM

लोक स्वास्थ्य विभाग का खुलासा

सहिजन और अजवाइन सस्ते-सुलभ वाटर प्यूरीफायर
Posted on 07 Oct, 2010 09:03 AM सुरजना, सैजन, सहजन की फली (ड्रमस्टिक)देश में क्लोरीन से, उबालकर, फिटकरी से और न जाने किन-किन तरीकों से पानी शुद्ध करने की विधियां प्रचलित हैं। यहां आपको दो आयुर्वेदिक विधियां बताई जा रही हैं जो आपके पीने के पानी को न सिर्फ शुद्ध करेंगी बल्कि उसे एक टॉनिक के रूप में भी बदल देंगी। यह पानी जो जीवन देता है यही जब प्रदूषित हो जाता है तो जीवन ले भी लेता है। बरसात के मौसम में उफनती हुई नदियां, तालाब, पोखरे न जाने कहां-कहां की और कैसी-कैसी गंदगियां बहाए लिए आ रहे हैं, हम नहीं जान पाते। नल और बोरिंग से आने वाला पानी कितना शुद्ध है, यह भी आम आदमी को ज्ञात नहीं। वाटर प्यूरीफायर तो शायद देश की पूरी आबादी का एक प्रतिशत भी प्रयोग नहीं करता है। एक स्लोगन है कि दुर्घटना से सावधानी भली, तो हमें इसी रास्ते पर चलना चाहिए और अपने पानी की चिंता खुद करनी चाहिए।

सुरजना, सैजन, सहजन की फली (ड्रमस्टिक)
सहजन के बीजों का जल परिशोधन हेतु उपयोग
Posted on 16 Sep, 2010 04:23 PM
मोरिंगा ओलीफ़ेरा जिसे सामान्य भाषा में सहजन कहा जाता है, एक वृक्ष है जो अफ्रीका, केंद्रीय तथा दक्षिणी अमेरिका, भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में उगाया जाता है। सहजन के बीजों में 30 से 50 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है जो बढ़िया खाद्य तेल भी है और उसका उपयोग बायोडीज़ल बनाने के लिए भी किया जाता है जिसमें NOX उत्सर्जन कम होते हैं और ईंधन में भी स्थायित्व होता है।
लौट रही महक जिंदगी की
Posted on 14 Aug, 2010 11:48 AM
जलवायु परिवर्तन के इस दौर में प्रदूषण पर काबू पाकर वापी ने सामूहिक प्रयासों की नई इबारत ही लिख डाली है
पीथमपुर ही क्यों?
Posted on 27 Jul, 2010 08:16 AM
स्पष्ट है कि यूनियन कार्बाइड का कचरा मानव जीवन के लिए खतरनाक है। तब यह सवाल उठता है कि आखिर पीथमपुर और उसके आसपास के लोगों को ही इसका शिकार क्यों बनाया जा रहा है?

पीथमपुर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, जहां प्रदेश की सरकार यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा नष्ट करने जा रही है। प्रदेश सरकार का यह फैसला किसी एक स्थान पर किसी कारखाने के कचरे को नष्ट करने मात्र का नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण और मानव जीवन पर एक गंभीर आघात है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के कल्याणकारी
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