फिटकरी मिलाकर शुद्ध कर रहे पानी

शहर में सप्लाई होने वाला पानी लोगों के लिए स्लो प्वाइजन है यह हम नहीं कर रहे बल्कि पानी में घुली टीडीएस (टोटल डीजॉल्व सोलिड्स) की मात्रा स्वयं बयान कर रही है। जानकारों की माने तो टीडीएस की मात्रा वाले पानी अक्सर ही पात्रों में सफेदी छोड़ जाते हैं। घरों में पानी वाले बर्तनों में इस तरह के लक्षण देखे जा रहे हैं। शहर स्थित 39 वार्डों में फिल्टर प्लांट से पानी दूषित ही हमारे घरों तक पहुंच रहा है। वजह है फिल्टर प्लांट वर्षों से बंद होना। जिसकी वजह से अनुमानित फिटकरी व ब्लीचिंग पाउडर डालकर कर्मचारी पानी को शुद्ध कर रहे हैं। ऐसा करने में नियम व मानक की परवाह नहीं की जा रही है। जिससे पानी बिना शुद्ध हुए हमारे घरों तक पहुंच रहा है। जानकारों की मानें तो यह पानी धीरे-धीरे हमें बीमार कर देगा। पत्रिका ने फिल्टर प्लांट पर जाकर जांच पड़ताल की तो मामला उजागर हुआ।

तीन साल से बंद


फिल्टर प्लांट विगत कुछ वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर पानी में फिटकरी व ब्लिचिंग पाउडर डालकर पानी को साफ कराने व घरों तक पहुंचाने का काम कर रहा है। लेकिन कर्मचारियों के मनमानी से यह व्यवस्था चरमरा रही है।

गंदगी की भरमार


प्रशासन द्वारा बंद प्लांट में भले ही दूषित पानी को पीने योग्य बनाने का दावा किया जा रहा हो लेकिन यहां की हालत देखकर ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा। प्लांट में पानी, स्टोर करने वाली जगह की वर्षों से सफाई नहीं कि गई है जिस वजह से यहां तीन से चार इंच काई जमी हुई है। ऐसे में पानी इन काईयों के साथ ही घरों तक जा रहा है।

पानी में व्याप्त गंदगी को दूर कर इसे पीने योग्य बनाने के लिए कितने लीटर पानी में कितनी फिटकरी व ब्लिचिंग पाउडर मिलाना है इसकी जानकारी फिल्टर प्लांट में उपस्थित कर्मचारियों को नहीं है मानक की जानकारी न होने से प्लांट से पानी बिना साफ हुए घरों तक जा रहा है।

टीडीएस पांच सौ के पार


जानकारों की मानें तो नपा द्वारा सप्लाई किए जाने वाला पानी का टीडीएस पांच सौ के पार पहुंच चुका है। जबकि दुकानों में बिकने वाले बोतल बंद पानी का टीडीएस 90 से 110 तक होता है। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि प्रशासन द्वारा पानी को लेकर किस तरह की घोर लापरवाही बरती जा रही है।

लोगों का कहना है कि शहर में बिछे पाइप लाइन कई वर्षों से बदली नहीं गई है जिससे यह कई बार टूटी और जुड़ी। ऐसे में गंदा पानी भी इन पाइपों से होकर घरों तक पहुंच रहा है। जिसे पीने से बीमारी हो रही है।

स्वीकृत है 37 करोड़ की योजना


नपा अधिकारी के अनुसार शहरवासियों को पानी व अन्य समस्या से निजात दिलाने के लिए 37 करोड़ की योजना प्रस्तावित है। जिसकी स्वीकृति भी मिल चुकी है। इसमें पाइप लाइन समेत फिल्टर प्लांट भी शामिल है।

प्रत्येक शनिवार को किया जाता है मापन


नपा अधिकारियों के अनुसार प्लांट पर तैनात कर्मचारियों को समय-समय पर इंजीनियर द्वारा गाइडलाइन दी जाती है इसके अलावा प्रत्येक शनिवार को पानी के शुद्धीकरण की माप की जाती है।

बढ़ रहे पेट के बीमार


डॉक्टरों की मानें तो बीते कुछ समय से जिले के अस्पतालों में पेट के मरीज बढ़े हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इसकी वजह दूषित पानी है। पानी किडनी पर सीधा असर करता है और इससे स्टोन की समस्या उत्पन्न होती है। इसके अलावा अन्य बीमारी भी हो रही है।

लोगों का कहना


मैं वाटर प्लांट जाकर आया वहां पानी देखने के बाद इसे पीने का मन नहीं करेगा। जबकि यह पानी जस की तस हमारे घरों तक पहुंच रहा है। (हबीब खान, मां गंज स्कूल)

पानी के बर्तन में एक दिन में ही सफेदी दिखाई देने लगती है। बीते दिन पानी की स्वच्छता की जांच कराई तो टीडीएस 500 से अधिक आया। (हेमंत रैकवार, पलंदी चौराहा)

नया प्लांट तैयार होना है जो चुनाव के बाद ही संभव हो पाएगा। योजना में नई पाईप लाइन भी बीछाई जानी है। वर्तमान समय में जो पानी सप्लाई हो रही है वह भी साफ है इसे कुशल इंजीनियरों द्वारा चेक कराया जाता है। (सुधीर सिंह, मुख्य नपा अधिकारी, दमोह)

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