क्या पानी में मौजूद रसायनों से लोगों को कैंसर हो रहा है

संघ के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अप्रकाशित शोध के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर लिए गए नमूनों में से संयुक्त राज्य के एक तिहाई से अधिक जल केंद्रों के पेयजल में 18 अनियमित रसायनों का पता लगाया गया है।

सबसे अधिक पाए जाने वाले परफ्ल्यूरिनेटड रसायनों का उपयोग, नॉन स्टिक, दाग-प्रतिरोधी, खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग, कपड़ों और रसोई के काम आने वाले सामानों के निर्माण सहित विभिन्न प्रकार की औद्योगिक इकाइयों, प्रक्रियाओं में बड़े स्तर पर होता है। जल केंद्रों में सबसे अधिक मिले दो परफ्ल्यूरिनेटड मिश्रण पीएफओएस और पीएफओए, यूएस के लगभग सभी लोगों के रक्त में पाए गए हैं। पर्यावरण समाचारों के मुताबिक इनमें 11 परफ्ल्यूरिनेट, एक शाकनाशी, दो विलायक, कैफीन, जीवाणुनाशक मिश्रण, धात्विक और विषाद के लिए ली जाने वाली दवाओं में प्रयुक्त होने वाले तत्व शामिल है। अपशिष्ट जल में बढ़ते नए जहरीले तत्वों के अध्ययन की रिपोर्ट के डाटा का एक हिस्सा पेयजल के संबंध में भी है। प्रोजेक्ट में स्वेच्छापूर्वक हिस्सा ले रहे अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण और अमेरिकी पर्यावरण रक्षा एजेंसी के शोधार्थियों ने 25 अमेरिकी जल केंद्रों से शोधित और गैर शोधित जल के सैम्पलों का निरीक्षण किया।

कम से कम 9 केंद्रों के शोधित जल में प्रति दस खरबवें हिस्से की कम सांद्रता पर, 21 प्रदूषकों का पता चला। चूंकि संघ के सुरक्षित पेयजल एक्ट के अंतर्गत 18 रसायनों को नियमित नहीं किया गया है, इस वजह से केंद्रों को उनकी सीमा निर्धारित करने या उनकी निगरानी करने की आवश्यकता भी नहीं है। अध्ययन में भाग लेने वाली यूएसजीएस की जल विज्ञानी डाना कॉल्पिन कहती हैं कि, यह एक अच्छी खबर है कि इन रसायनों की सांद्रता का स्तर बेहद कम है। लेकिन, वह अभी भी अज्ञात ही हैं। क्या इन रसायनों की न्यूनतम स्तर की उपस्थिति के खुलासे का कोई दूरगामी परिणाम निकलेगा? बहुत से प्रदूषकों में से कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी बहुत थोड़ी सी मात्रा भी मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। लेकिन, पश्चिमी वर्जीनिया के रसायन प्लांट से दूषित हुए पानी के कारण लोगों में हो रही विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का संबंध पीएफओए के तौर पर जाने जाने वाले परफ्ल्यूरिनेटड मिश्रणों से पाया गया है, इन समस्याओं में कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ तक शामिल है।

वैज्ञानिकों ने 251 रसायन, बैक्टीरिया, वायरस और विषाणुओं का निरीक्षण किया, इनमें से 117 किसी भी शोधित जल में नहीं पाए गए। 25 संस्थानों में से एक तिहाई से अधिक, 9 या अधिक, केंद्रों के जल में 21 प्रदूषक पाए गए और 113 प्रदूषक एक तिहाई से कम, 8 या कम, केंद्रों में पाए गए।

सैम्पलों में पाए गए 4 रसायन- मेटल स्ट्रांटियम, हर्बिसाइड मेटोलैक्लर, पीएफओएस और पीएफओए, ईपीए की पेयजल मानकों के लिए रसायनों की लिस्ट में विचाराधीन है। ईपीए की अगले वर्ष अपनी लिस्ट में से कम से कम पांच प्रदूषकों के संबंध में निर्णय लेने की योजना है। अध्ययन में भाग लेने वाले यूएसजीएस के वैज्ञानिक एडवर्ड फर्लांग का कहना है कि, हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस काम के जरिए हम एक अत्यधिक प्रभावशाली प्रदूषकों की लिस्ट तैयार कर लेंगे और पेयजल संयंत्रों के लिए नए तरीके और जरूरतें विकसित कर सकेंगे।

सबसे अधिक पाए जाने वाले परफ्ल्यूरिनेटड रसायनों का उपयोग, नॉन स्टिक, दाग-प्रतिरोधी, खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग, कपड़ों और रसोई के काम आने वाले सामानों के निर्माण सहित विभिन्न प्रकार की औद्योगिक इकाइयों, प्रक्रियाओं में बड़े स्तर पर होता है। जल केंद्रों में सबसे अधिक मिले दो परफ्ल्यूरिनेटड मिश्रण पीएफओएस और पीएफओए, यूएस के लगभग सभी लोगों के रक्त में पाए गए हैं। वैज्ञानिकों के एक दल ने निष्कर्ष निकाला है कि पेयजल में मौजूद पीएफओए और कोलेस्ट्रॉल, यूक्लेरेटिव कोलाइटिस, थायरॉइड बीमारियों, टेस्टिकुलर कैंसर, किडनी कैंसर और गर्भावस्था के दौरान होने वाले उच्च रक्तचाप के मध्य संभावित संबंध है। यह निष्कर्ष मिड ओहियो वैली स्थित समुदायों के लोगों पर हुए शोध पर आधारित हैं, जहाँ का जल ड्यूपॉन्ट प्लांट के कारण पीएफओए से प्रदूषित हो चुका है। पीएफओएस तब तक स्कॉटगार्ड में प्रयुक्त होता रहा, जब तक 3 एम चरण में 2002 में इसे बाहर नहीं कर दिया गया, इसका संबंध बच्चों में ध्यान की कमी और पुरुषों में थायरॉइड की समस्या से पाया गया। शोधित तथा गैर शोधित जल में परफ्ल्यूरिनेटेड मिश्रणों की एक समान सांद्रता जल के उपचार या शोधन तकनीक की असफलता की ओर संकेत है। केवल एक ही प्लांट में यह सफलतापूर्वक दूर किया जा सका था, इसमें सक्रिय कार्बन विधि से उपचार किया गया।

प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रही ईपीए की शोध रसायनज्ञ सुसैन ग्लासमेयर कहती हैं कि सक्रिय कार्बन, ओजोन और यूवी उपचार विधियां, परंपरागत क्लोरीन उपचार विधि से कहीं बेहतर हैं, लेकिन यह तकनीकें काफी महँगी हैं। लोग पानी के लिए भुगतान करने पर अप्रसन्न होंगे। यह माना जाता कि यह ईश्वर द्वारा दिया गया अधिकार है कि हमें जितने की जरूरत है, उतना प्राप्त होना चाहिए लेकिन यदि आप स्वच्छ जल चाहते हैं तो इन तकनीकों के लिए भुगतान करना होगा। हार्वर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ की एसोसिएट शोधार्थी लॉरेल शेडर कहती हैं कि कभी-कभी उपचार के दौरान मिश्रण किसी अन्य नए रूप में भी परिवर्तित हो सकता है। क्लोरीनीकरण तथा दूसरी विधियां कुछ प्रदूषकों को तो बाहर करेंगी लेकिन दूसरे तत्वों के साथ प्रतिक्रिया भी करेंगी। ग्लासमेयर कहती हैं कि जल केंद्रों में छोटी-बड़ी और विभिन्न प्रकार की अनाम जल उपचार तकनीकों का प्रयोग किया गया। अध्ययन के शुरुआती परिणाम वैज्ञानिकों ने पिछले माह टॉक्सिकोलॉजी कॉन्फ्रेन्स, नशविले में प्रस्तुत किए थे, अध्ययन के अगले वर्ष तक प्रकाशित हो जाने की आशा है।

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