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October 24, 2019 An intern with Watershed Organisation Trust narrates his field experience from the villages of Madhya Pradesh, where farmers are using farm ponds to conserve water.
A farm pond constructed by Sheshrao Dhurve in Karaghat Kamti village of Madhya Pradesh
October 22, 2019 A forum discusses the need to stop illegal land transfers and land alienation of the poor.
The maldharis from kutch on their own road trip (Image: Malay Maniar, Flickr Commons, CC BY-NC-ND 2.0)
September 13, 2019 While farm ponds in Jharkhand have helped farmers increase yields, they have also exposed them to the risk of price fluctuations, highlighting the need for ‘beyond the farm’ interventions.
Farm ponds are one way to deal with water scarcity (Image Source: India Water Portal Flickr photos)
November 3, 2018 The Himalayan wetlands are under threat due to unregulated urbanisation and unsustainable tourism. Urgent attention at the policy level is the need of the hour.
A view of the Himalayas. (Source: IWP Flickr photos--photo for representation purpose only)
October 23, 2018 A study shows lack of awareness and poor regulatory mechanisms among various reasons behind irrational use of antibiotics in livestock by farmers.
Small scale farmers with their livestock (Image Source: India Water Portal)
September 12, 2017 Increasing epidemic scare, loss of livelihood and no place to defecate. There seems no end to the miseries of the flood affected in Assam and Bihar even when the water recedes.
A boy stands in front of houses destroyed by flood in Karimganj district, Assam.
पशुधन बना आमदनी का साधन
इस ब्लॉग में जानिए कि कैसे किसानों की आमदनी दोगुनी करने में पशुधन प्रमुख भूमिका निभाते हैं | In this blog know how livestock plays a major role in doubling the income of farmers Posted on 06 Mar, 2024 02:43 PM

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आय का सबसे सशक्त माध्यम कृषि है. देश की आधी से अधिक ग्रामीण आबादी कृषि पर निर्भर करती है. इसके बाद जिस व्यवसाय पर ग्रामीण सबसे अधिक निर्भर करते हैं वह है पशुपालन. बड़ी संख्या में ग्रामीण भेड़, बकरी और मुर्गी पालन कर इससे आय प्राप्त करते हैं.

पशुधन बना आमदनी का साधन
पानी के बाहर भी रह सकती है ‘मडस्किपर’मछली
Posted on 10 Nov, 2010 10:30 AM
‘मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है, हाथ लगाओ डर जाएगी, बाहर निकालो मर जाएगी’, यह कविता बच्चों के मुख से आपने अवश्य सुनी होगी। दरअसल पानी से बाहर मछली के जीवित रहने की कल्पना भी नहीं की जा सकती किन्तु प्रशान्त महासागर में पाई जाने वाली ‘मडस्किपर’नामक प्रजाति की मछलियां इस मामले में अपवाद हैं। हालांकि पानी से बाहर यह मछली भी सांस नहीं ले सकती किन्तु फिर भी यह पानी से बाहर निकलकर खूब मजे से
जैव विविधता का संरक्षण सबसे बड़ी चिंता
Posted on 30 Aug, 2010 08:02 PM जैव विविधता के संरक्षण का सवाल पृथ्वी के अस्तित्व से जुड़ा है। इसे ध्यान में रखते हुए 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है।
सिर्फ हमारा नहीं है यह विश्व
Posted on 28 Aug, 2010 07:44 AM प्रकृति हमें वह सबकुछ प्रदान करने में समर्थ है, जिसकी हमें सामान्य तौर पर आवश्यकता पड़ती है। अनादिकाल से प्रकृति पर विजय पा लेने की आकांक्षा आधुनिक विज्ञान युग में हमें फलीभूत होते दिखाई पडने लगी है। हमारे इस घमंड ने ही हमें विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि हम अपनी इस जिद को छोड़कर प्रकृति की छाया में मानवता को बचाना चाहते हैं या नहीं।स्तुशिल्पी प्रकृति से अत्यधिक प्रेरणा लेते हैं। उन्हें लम्बे पेडों से ऊँचे भवनों के बारे में सोचने में मदद मिली और उड़ने वाले चिडरा (डेगन लाय) से हेलिकॉप्टर बनाने की प्रेरणा मिली थी। हमारी अधिकांश उपलब्धियाँ प्रकृति से हैं परंतु हम यह समझ ही नहीं पाते। सक्रिय कार्यकर्ता, दार्शनिक और रचनाशील जेनी बेनीयस ने यह अपना मिशन ही बना लिया है कि बताया जाए कि हम प्रकृति से क्या-क्या लेते हैं। उन्होंने तथा अन्य वैज्ञानिकों ने अमेरिका के मोन्टाना में ‘बायो मिमिकरी इंस्टिट्यूट‘ (जैव नकल संस्थान) के माध्यम से प्रकृति के सिद्धान्त पर आधारित बनी वस्तुओं के बारे में पुनः सीखने का उपक्रम प्रारंभ भी कर दिया है। बेनीयस का विचार है कि प्रकृति के अवलोकन तथा उन्हें समझने और इन प्रक्रियाओं और डिजाइनों की नकल करने से मनुष्यों की
आ जा चिड़िया आ जा री, चुग-चुग दाना खा जा री
Posted on 23 Aug, 2010 12:05 PM
अपने नाती के मुंह में ग्रास डालते हुए मैं वही गाना गाती हूं जो बरसों पहले उसकी मां के लिए गाती थी- 'आ जा चिड़या आ जा री / चुग-चुग दाना खा जा री / आती हूं मैं आती हूं / फुदक-फुदक कर आती हूं / चुग-चुग दाना खाती हूं / झट ऊपर उड़ जाती हूं।' पर एक भी चिड़िया नहीं आती। लेकिन तब तो आंगन भर जाता था। एक ग्रास बच्चे के मुंह में डालती और एक के नन्हे-नन्हे टुकड़े कर के आंगन में छितरा देती। बड़ों के नाश
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