मानसून
कमजोर ‘लैला’ से प्रभावित हो सकता है मानसून
Posted on 12 Jul, 2010 10:10 AMचारों ओर लैला की ही चर्चा है। हर कोई लैला के बारे में ही बात कर रहा है। कोई इसे जबर्दस्त चक्रवाती तूफान करार देता है, तो कोई इसके कमजोर होने पर राहत महसूस कर रहा है। अब तक करीब 25 जानें लेने वाला यह तूफान भले ही कमजोर पड़ गया हो, पर सच तो यह हे कि इसके हमारे मेहमान मानसून का मिजाज बिगाड़ दिया है। अब मानसून हमसे रुठ जाएगा, जो पहले आने वाला था, अब उसे आने में कुछ देर हो जाएगी। हमारे देश में मानसून एक ऐसी शक्ति है, जो अच्छे से अच्छे बजट को बिगाड़ सकती है। कोई भी तुर्रमखाँ वित्तमंत्री इसके बिना अपना बजट बना ही नहीं सकता। पूरे देश का भविष्य मानसून पर निर्भर करता है। इसलिए इस बार मानसून को लेकर की जाने वाली तमाम भविष्यवाणियों को प्रभावित कर
घनन-घनन घिर-घिर आए बदरा
Posted on 05 Jul, 2010 04:28 PMबादलों की पूरी सज-धज के साथ आखिर फिर आ गई बरसात। धरती ने धानी चुनर ओढ़ ली है तो मेघ-मल्हार और कजरी की उत्सवधर्मिता का भी यह आगाज है। उमड़ते-घुमड़ते, गरजते-बरसते बादल वन-उपवन, खेत-खलिहान, पर्वत-मैदान हर कहीं हरियाली की सौगात लेकर आते हैं, तो बाजवक्त डराते भी हैं। बारिश न हो तो जिंदगी न हो और बारिश ज्यादा हो जाए तो भी जिंदगी पर बन आए। इंद्रधनुषी मौसम के असल रंग कितने हैं, क्या समझ पाना इतना आसान है
कृष्ण जब जन्मे तब अंधेरी रात थी, लेकिन आकाश जलभरे बादलों से भरा हुआ था। काले-काले मेघों की पंचायत जुटी थी और काला अंधेरा उनसे मिलकर कृष्ण का सृजन कर रहा था। राधा उनकी वर्षा बनीं और कृष्ण बरस कर रिक्त हो गए। राधा भी बरस कर रिक्त हो गईं। काले मेंघों की उज्ज्वल वर्षा ने बरस-बरस कर पृथ्वी को उर्वर बनाकर रस से भर दिया। यही रस भारतीय साहित्य,जल प्रबंधन है मॉनसून की समस्या का समाधान
Posted on 14 Feb, 2010 02:24 PMमॉनसून और आने वाले जल संकट से निबटने के लिए सबसे जरूरी यह है कि बारिश के पानी की हर बूंद का संरक्षण किया जाए। इसका भंडारण ताल-तलैया और यहां तक कि हर घर की छत पर किया जाए। इस बारे में विस्तार से बता रही हैं
आखिर 2009 का मॉनसून आ ही गया। पर प्रतिशोध की भावना के साथ। कई जगहों पर बाढ़ आ गई और लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।
कैसे होती है कृत्रिम बारिश
Posted on 01 Dec, 2009 04:14 PMजुलाई के अंत में थोड़ी-सी बारिश के बाद मुम्बई नगर निगम ने अपनी उन छ: झीलों को भरने के लिए, जिनसे शहर भर को पीने का पानी मिलता है, ‘क्लाउड-सीडिंग’ का प्रयोग करने की सोची। दावा किया गया है कि मोदक सागर बांध पर मौसम की पहली क्लाउड-सीडिंग के चलते 7 अगस्त 09 को 16 मि.मी.वर्षा के दिन लगातार कम हो रहे हैं
Posted on 26 Sep, 2009 10:22 PMभोपाल. राजधानी में मानसून के दौरान वर्षा के दिन लगातार कम हो रहे हैं। इस साल मानसून में अब तक 3 मिमी से अधिक बारिश वाले दिनों की कुल संख्या 31 रही है जो पिछले 20 सालों में सबसे कम है। इससे पहले 1991 में यह संख्या सबसे कम 36 दिन थी।
किसानों से सीखें मौसम का पूर्वानुमान
Posted on 08 Sep, 2009 06:17 PMवे ऋतुओं के आधार पर गणना करते हैं, मौसम विज्ञान विभाग पश्चिम की नकल करता है
विगत आठ अप्रैल (09) को मौसम विज्ञान विभाग ने कहा था कि इस साल मानसून वक्त से पहले आ रहा है, बारिश अच्छी होगी। लेकिन ढाई महीने बाद 24 जून को उसी मौसम विभाग ने कहा कि मानसून डिले है और बारिश भी इस साल कम होगी। मौसम विभाग की किस भविष्यवाणी को सही माना जाए, यह समझ से परे है।
मनमौजी मानसूनी वर्षा
Posted on 03 Sep, 2009 04:44 PMयह सर्व ज्ञात सत्य है कि जमीन पर तापमान में अन्तर के चलते मानसूनी हवाएं चलती हैं। इस विचारधारा के अनुसार यदि पृथ्वी पर या उसके सम्पूर्ण धरातल पर जल का या केवल स्थल का ही वितरण होता तो मानसून की उत्पत्ति न होती, किन्तु यह युक्ति ठीक वैसी ही है जैसे ``न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। ´´ अत: जमीन पर तापमान के अंतर के चलते मानसूनी हवाएं चलती हैं। वायुमण्डलीय ताप और दाब से गति उत्पन्न होती है। वाय