मानसून
भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून और पूर्वानुमान पद्धति
Posted on 13 Jul, 2013 12:29 PMमानसून की परिभाषा है – हवा के प्रवाह में आने वाला मौसमी बदलाव और तदनुरूपी निःसादन परिवर्तन और जमीन तथा समुद्र का असमान रूप समानसून का विज्ञान
Posted on 09 Jul, 2013 02:43 PMभारतीय मानसून हवाओं की उत्पत्ति पर अनेक मत हैं लेकिन आधुनिक विचारधारा को सर्वाधिक समर्थन प्राप्त है। इस विचारधार
भारत की मानसून अर्थव्यवस्था
Posted on 07 Jul, 2013 02:44 PMभारत पूर्व में ‘मानसून अर्थव्यवस्था’ के नाम से जाना जाता था। परंतु अब ऐसा नहीं है। 1970 के दशक के मध्य तक वर्ष के पूर्वाद्ध में विकासदर ऋणात्मक (नकारात्मक) हुआ करती थी और उत्तरार्द्ध में 3 से 4 प्रतिशत की दर से अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती थी। यही औसत हिंदू विकास दर कहलाता था। परंतु उसके बाद से केवल दो वर्षों में ही हमारी विकास दर 3 प्रतिशत से कम रही। अरविंद पाणिग्रही का कहना है कि अर्थव्यवस्था मेमानसून मिशन
Posted on 05 Jul, 2013 12:29 PM ग्रीष्मकालीन वर्षा के मौसम में वर्षा की मात्रा में विभिन्नता का एमानसून की भविष्यवाणी और चुनौतियां
Posted on 05 Jul, 2013 12:22 PM जून से सितंबर के दौरान ग्रीष्मकालीन मानसूनी वर्षा मुख्यतः दो बुनियादी तापीय स्रोतों से घनीभूत होती हैमेघ बीजन
Posted on 12 May, 2013 01:00 PM मेघ बीजन का उपयोग केवल वर्षा कराने के लिए ही नहीं किया जाता है, बएक पहेली मानसून
Posted on 07 Feb, 2013 02:43 PMभारत में मानसून समय पर हो, यह यहां पर खेती व्यापार सबके लिए जरूरी है। भारत के मौसम विभाग के ऊपर सालाना तीन सौ करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं और आये दिन उनके किये जाने वाले मौसम के अनुमान गलत साबित होते हैं। हालांकि मौसम विभाग का काम ‘मौसम प्रभावित होने वाली कृषि और सिंचाई जैसी गतिविधियों के लिए मौसम संबंधी पूर्वानुमान तथा जानकारी मुहैया कराना’ है। पर देखा ये गया है कि उनके पूर्वानुमान और भविष्यमानसून का मतलब है जीवन
Posted on 09 Aug, 2012 10:44 AMजब मानसून केरल से कश्मीर की ओर या फिर बंगाल से राजस्थान की ओर बढ़ता है तो लोगों की धड़कनें बढ़ने लगती हैं। इसलिए
कमजोर मानसून के बाद
Posted on 08 Aug, 2012 09:28 AMमौसम विभाग के हवाले से खबरें आ रही हैं कि मानसून कमजोर है। जून में मानसून की बारिश 31 फीसद कम हुई है। एक खबर के मुताबिक पिछले तीस सालों में इतना कमजोर मानसून कभी नहीं रहा। बाजार में खाने-पीने चीजों में महंगाई का तेज रुख शुरू हो गया है। कुछेक हफ्तों पहले जिन बाजारों में आलू-टमाटर 20 रुपये प्रति किलो मिल रहे थे, वो 30 रुपये प्रति किलो हो गए।
पृथ्वी को वसुंधरा बनाती वर्षा
Posted on 04 Jul, 2012 11:10 AMयह ज्येष्ठ मास है। ग्रीष्म अपने पूर्ण प्रताप में है। इस ताप में वर्षा की इच्छा बसी है। कहते हैं-‘जब जेठ तपै निरंता, तब जानौ बरखा बलवंता।’
निराला ने इस स्थिति-द्वंद्व का चित्रण इन पंक्तियों में किया है-
‘जला है जीवन यह आतप में दीर्घ काल
सूखी भूमि सूखे तरु सूखे सिल आल बाल
बंद हुआ अलि गुंज धूलि धूसर हुए कुंज
किंतु देखो व्योम-उर पड़ी बंधु मेघ-माल।’
कहने की जरूरत नहीं कि कविता में चित्रित जलने वाला जीवन निराला का भी है और लोक और प्रकृति का भी। इस घोर ताप का ही फल है आकाश (और निराला के कंठ में भी) पड़ने वाली मेघ माला (निराला के पक्ष में यश की माला) इस द्वंद्व में जीवन-राग है। यह राग कभी-कभी विलाप भी बनकर रह जाता है किंतु यह सच है, प्रकृति का नियम है,ग्रीष्म और वर्षा का कारण-कार्य संबंध।