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September 9, 2022 Highlights from a new report released by iFOREST
An old coal-fired power plant has been dumping vast quantities of ash out in the open for many years. (Image: Lundrim Aliu/ World Bank; CC BY-NC-ND 2.0)
December 16, 2020 While sandmining is increasingly killing rivers in India, what is the state of rivers in western India?
River sand continues to be plundered for the construction industry (Source: P Jeganathan/Wikimedia Commons)
October 21, 2013 Policy matters this week: One-third of the Western Ghats declared eco-sensitive zone, Narmada canals' water to go to industry and the government to construct godowns for food grains under MNREGA.
Shola grasslands in Western Ghats Source:Wikipedia
मरे नहीं मार दिये गये संत निगमानंद
Posted on 15 Jun, 2011 08:57 AM

एचआईएचटी अस्पताल में जांच पड़ताल शुरू हुई तो विष देने के लक्षण दिखाई देने लगे। इसलिए अस्पताल ने स्वामी जी का ब्लड सैंपल दिल्ली के डॉ लाल पैथ लैब भी भेजा। चार मई को जारी लैब रिपोर्ट में साफ कहा गया कि ऑर्गोनोफास्फेट कीटनाशक उनके शरीर में उपस्थित है।

हरिद्वार के संत निगमानंद की मौत सत्याग्रह और उपवास से हुई या उन्हें जहर दिया गया जो उनकी मौत का कारण बना? अब जबकि गंगा के लिए अनशन करने वाले मातृसदन के संत निगमानंद इहलोक से विदा हो गये हैं, इस बात की गंभीरता से जांच किये जाने की जरूरत है कि निगमानंद की हत्या के पीछे कौन लोग हैं। हरिद्वार में दर्ज एफआईआर को आधार मानें तो उत्तराखंड प्रशासन की मिलीभगत से संत निगमानंद को जहर दिया गया जिसके कारण पहले वे कोमा में चले गये बाद में करीब सवा महीने बाद उनकी मौत हो गयी। संत निगमानंद मातृसदन से जुड़े थे और मातृसदन का आश्रम 1997 में हरिद्वार में बना। जब से कनखल में आश्रम बना है यहां के संत क्रमिक रूप से पिछले 12 सालों से लगातार अनशन कर रहे हैं। संत निगमानंद 19 फरवरी 2011 से अनशन पर थे। उनके अनशन के 68वें दिन 27 अप्रैल 2011 को अचानक आश्रम में पुलिस पहुंचती है और संत निगमानंद को जबरदस्ती जिला अस्पताल में भर्ती करा देती है।

हरिद्वार की गंगा में खनन अब पूरी तरह बंद
Posted on 27 May, 2011 04:49 PM

नैनीताल उच्चन्यायालय ने भी माना कि स्टोन क्रशर से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है

बिन बालू सब सून
Posted on 02 May, 2011 09:50 AM

हाल ही में महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने नदियों के खनन के खिलाफ आदेश जारी किया। उस आदेश के मुताबिक नदियों से दो मीटर से ज्यादा बालू निकालने की इजाजत नहीं है। पर बिहार की नदियों से 7-8 मीटर की गहराई तक बालू निकाली जा रही है

बिहार नदियों का प्रदेश रहा है। नदियों ने यहां के लोगों को पाला-पोसा है। लोगों के जीवन से घुली-मिली रही हैं। फिर क्या वजह है कि सदियों से बहने वाली यहां की नदियां अपना रास्ता बदलने लगी हैं। वे कहीं या तो सूख रही हैं या फिर विकराल रूप लेकर गांव के गांव हर साल नष्ट कर देती हैं। फल्गु हो या पुनपुन, दरधा हो या मंगुरा या महाने, दुर्गावती हो, सोन हो या गंडक, इन नदियों में पानी की सतहें रेत में बदल गई हैं। अन्य नदियों के पानी का रंग मटमैला हो गया है। तमाम दिशाओं से आने वाली नदियों ने अपनी आंखें मूंद ली हैं। जिन नदियों में बारहो माह पानी का साम्राज्य रहता था, टाल के गांव टापुओं की तरह दिखते थे वहां अब पानी का नामोनिशान नहीं है। बस्तियां सूखी पड़ी हैं। भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि बिहार की नदियों से अंधाधुंध बालू निकालने के कारण नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
संसाधन संरक्षण की सामान्य विवेचना की झाँकी में जल संरक्षण की उपयोगिता एवं उपाय
देश काल क्षेत्र एवं परिस्थितियों के अनुसार संसाधनों की उपलब्धता वहाँ की जनसंख्या, उसकी मांग एवं जीवन स्तर, विदोहन, उपयोग की दिशा तथा परिमाण पर निर्भर है तथा इसका अविवेकपूर्ण दोहन तथा अनियंत्रित उपयोग अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है। या तो वे सम्पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेंगे अथवा रूप परिवर्तन अथवा प्रदूषण के फलस्वरूप निष्प्रभावी हो जायेंगे और नहीं तो पर्यावरणीय समस्या पैदा कर देंगे। Posted on 07 Sep, 2023 11:25 AM

प्रस्तावना

'संसाधन' अथवा 'रिसोर्स' का दृष्टिकोण वास्तव में बहुत व्यापक है। इसका अर्थ है - लंबी अवधि का साधन । परन्तु सही अर्थों में इस अर्थ के पीछे मनुष्य मात्र की आवश्यकता की पूर्ति का दृष्टिकोण समाहित है । यह कहीं दृष्टव्य है तो कहीं अदृश्य। समय के साथ-साथ यह परिवर्तनशील है। किसी समय यदि कोई वस्तु मानव आवश्यकता की पूर्ति में सक्षम है तो अन्य किसी समय में कोई

प्राकृतिक संसाधन
गंगा किनारे डंप हो रहा कूड़ा, पालिका फंसी
Posted on 16 Mar, 2020 11:35 AM

गंगा नदी के किनारे कचरा डंप करने के मामले में उत्तरकाशी (बाड़ाहाट) पालिका फिर विवाद में है। नमामि गंगे डीजी ने भी मामले के लेकर खासी नाराजगी जताते हुए सरकार से शिकायत की है। डीएम ने जांच कमेटी का गठन कर पालिका के ईओ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है।

गंगा किनारे डंप हो रहा कूड़ा
सौंग, जाखन में खनन बंद
Posted on 25 May, 2019 12:20 PM

देहरादून की मुख्य नदी सौंग और जाखन में 26 मई से खनन नहीं होगा। केन्द्र से खनन के लिए मिली 10 साल की मंजूरी 25 मई को खत्म हो रही है। फिलहाल दोबारा अनुमति की उम्मीद नहीं है।

वन निगम को सौंग नदी में तीन और जाखन नदी में दो लाॅटों के लिए खनन की मंजूरी 26 मई 2009 में मिली थी। जो 10 साल के लिए वैध थी, 25 मई के बाद यहां खनन नहीं होगा।

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