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खनन
नदियों के किनारे अवैध खनन से बढ़ रहा है प्रदूषण
Posted on 07 Dec, 2011 09:41 AMखनन माफिया लगातार रेत निकाल रहा है और सोन समेत कई नदियां तबाह हो रही हैं। बिहार सरकार ने पत्थर
मनमर्जी की मंजूरी
Posted on 03 Oct, 2011 10:10 AMएक विशेषज्ञ समिति ने पिरना का दौरा किया तो उसे वेदांत या सेसा गोवा के दावों की असलियत पता चली।
बारुद के हवाले ब्रजभूमि
Posted on 12 Sep, 2011 10:53 AMभारत की जनता वनों, पर्वतों एवं गांव-गांव में स्थित आस्था के छोटे-छोटे केन्द्रों के बल पर ही अपन
मनमानी खुदाई पहाड़ बना खाई
Posted on 01 Aug, 2011 03:19 PMउत्तर प्रदेश के एक-तिहाई खनन क्षेत्र वाले बुंदेलखंड में जहां भी पहाड़ हैं, वहां बेधड़क धमाके क
जमीन की कोख लूटने का गोरखधंधा
Posted on 01 Aug, 2011 11:57 AMकर्नाटक के लोकायुक्त एन संतोष हेगड़े ने पूरे देश में एक नए घोटाला नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। कर्नाटक में अवैध खनन में राजनीतिज्ञों, अधिकारियों और व्यापारियों की मिलीभगत बताने वाली उनकी हजारों पन्नों की रिपोर्ट से पता चलता है कि यह पूरे देश की कहानी है। खनन का यह अवैध कारोबार अभी तक इस रूप में लोगों के सामने नहीं आया था। इसे सिर्फ कर्नाटक के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। यह हर उस राज्य का किस्साअसल संत की अंत कथा
Posted on 14 Jul, 2011 06:28 PMगंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है। स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल
कटाल्डी खनन प्रकरण: खनन माफियाओं के साथ न्यायपालिका से भी संघर्ष
Posted on 14 Jul, 2011 04:06 PMटिहरी गढ़वाल के कटाल्डी खनन विरोधी आन्दोलन से जुड़े वन पंचायत सरपंच कलम सिंह खड़का, स्व. कुँवर प्रसून व मेरे सिर पर पाँच साल से न्यायालय की कथित अवमानना के जुर्म की सिविल जेल की सजा लटकती रही, जिसे जिला न्यायाधीश टिहरी गढ़वाल ने अन्ततः 25 अक्टूबर 2009 को निरस्त कर दिया।निर्मल गंगा और कितने भगीरथ
Posted on 20 Jun, 2011 10:42 AMअवैध खनन के लिए जिम्मेदार माफिया से टकराना कठिन
गंगा के लिए एक आहुति
Posted on 15 Jun, 2011 12:47 PMएक ओर गंगा को लेकर सरकार और समाज की चिंताएं सातवें आसमान पर हैं, दूसरी तरफ इसी मुद्दे को लेकर 19 फरवरी से अनशन कर रहे एक युवा संन्यासी की ओर सबका ध्यान तब गया, जब उन्होंने इस संसार को छोड़ कर चले गए। हालत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर जिला अस्पताल में ला पटका। उन्हें राज्य के एक बड़े अस्पताल में करीब 10 दिन पहले तब दाखिल किया गया, जब उनके बच पाने की उम्मीद नहीं थी। हरिद्वार के स्वामी निगमानंद भले ही कोई ग्लैमरस बाबा नहीं थे, लेकिन गंगा को लेकर उन्होंने जो मुद्दे उठाए थे, वे बुनियादी और गंभीर थे। हरिद्वार में गंगा अपनी गति और त्वरा को नियंत्रित कर देती है। पहाड़ों में अठखेलियां करती उसकी चंचल छवि यहां पहुंचकर एक शांत, गंभीर और लोकमंगलकारी सरिता में परिवर्तित हो जाती है।