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जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन, कोपनहेगन और हम
Posted on 10 Dec, 2009 07:27 AMभारत की सरकार ने अपनी नीति जरूर तय कर ली कि वह सन् 2020 तक 25 प्रतिशत और 2037 तक 37 प्रतिशत कटौती कार्बन उत्सर्जन में करेगा; परन्तु इस नीति को तय करने में लोकतांत्रिक नहीं बल्कि आर्थिक-राजनीतिक रणनीति अपनाई गई। भारत के पर्यावरण मंत्री ने भारत की संसद को सूचित किया कि हम कोपनहेगन में अपने इन लक्ष्यों को सामने रखेंगे परन्तु सवाल यह है कि इन लक्ष्यों पर संसद में बहस क्यों नहीं हुई, जन प्रतिनिधियों
कोपनहेगन का कड़वा सच
Posted on 10 Dec, 2009 06:39 AMकोपेनहेगन सम्मेलन में विकासशील और विकसित देशों का अपनी-अपनी मांगों को लेकर अड़ियल रवैया अपनाना ही है। उनके इसी रवैए के कारण नवंबर में प्रस्तावित बार्सिलोना सम्मेलन खटाई में पड़ गया है। इस सम्मेलन के खटाई में पड़ने का एक प्रमुख कारण दक्षिण अफ्रीकी देशों की पर्यावरण को लेकर विकसित देशों से तोल-मोल करने की रणनीति भी है।
कोप 15 : कोपेनहेगन के कोपभाजन का शिकार कौन होगा?
Posted on 08 Dec, 2009 09:50 AMकोपेनहेगन में दुनियाभर के लगभग सभी देश इकट्ठा हो रहे हैं. हमारे अखबार हमें बता रहे हैं कि कोपेनहेगन में कुछ देशों को कोपभाजन का शिकार होना पड़ सकता है. अखबारों की सदिच्छा और इच्छा अपनी जगह लेकिन कोपेनहेगन में वे देश शेष देशों के कोपभाजन बनेंगे जिन्हें सचमुच बनना चाहिए, ऐसा लगता नहीं है.जलवायु परिवर्तन का गायन
Posted on 29 Nov, 2009 08:32 AMउलटी गिनती शुरू हो चुकी है. 7 से 18 दिसंबर 2009 तक कोपेनहेगेन शहर में होने वाला संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, जिसे कोप-15 कहा जा रहा है, उत्साह का संचार कर रहा है.डूब जाएगी दुनिया
Posted on 23 Nov, 2009 08:36 AMपिघलते ग्लेशियर्स का ड्रैकुला मुंह फाडे मालदीव को निगलने के लिए बढ़ रहा है। हालात इसी तरह रहे तो मालदीव जल प्रलय का पहला शिकार बन सकता है। मालदीव ने दुनिया को यही संदेश देने के लिए अपने कैबिनेट की बैठक समुद्र के भीतर की। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर इसी तरह पृथ्वी का वायुमंडल गरम होता रहा तो सन् २०२१ तक मालदीव समुद्र में समा जाएगा। १७ अक्टूबर को संपन्न हुई मालदीव कैबिनेट की यह बैठक करीब आधे
जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं, इस बात का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है - जयराम रमेश
Posted on 22 Nov, 2009 08:42 AMआखिर इसके निहितार्थ क्या हैं? पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश द्वारा जारी की गई रिपोर्ट हिमालयन ग्लेशियर्स के अनुसार इस बात का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इस अध्ययन की कोई जिम्मेदारी न लेते हुए जयराम रमेश ने बड़ी तत्परता से इसमें जोड़ा कि इसका मतलब इस विषय पर चर्चा को आगे बढ़ाना था।सुंदरवन का चौथा द्वीप भी डूबने के कगार पर
Posted on 15 Oct, 2009 06:07 PMतीन दशकों के दौरान सुंदरवन के लोहाचारालौटें मिट्टी की ओर
Posted on 04 Oct, 2009 07:30 PM' हमने जो भी किया, कहा या गाया है वह सब हमें अपनी मिट्टी से मिला है।'