जलवायु परिवर्तन

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July 10, 2024 Millions of trees are fast disappearing from India's farmlands. What are its implications for agriculture and the environment?
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Ocean ecosystem (Image: PxHere, CC0 Public Domain)
June 6, 2024 एक अध्ययन से पता चलता है कि समुद्री लू या हीटवेव (असामान्य रूप से उच्च समुद्री तापमान की अवधि) जो पहले हर साल लगभग 20 दिनों तक होती थी (1970-2000 के बीच), वह बढ़कर 220 से 250 दिन प्रति वर्ष हो सकती है। जानिए क्या होंगे इसके परिणाम?
गर्म होते महासागर
May 31, 2024 From scorching to sustainable: Building resilience against heatwaves
A multifaceted approach to urban heatwaves (Image: Sri Kolari)
April 30, 2024 As temperatures soar, what should India do to adapt to changing conditions to mitigate the adverse impacts of climate change?
Heat waves sweep across India (Image: Maxpixel, CC0 Public Domain)
April 25, 2024 Understanding the impact of heat on our world
Rising temperatures, rising risks (Image: Kim Kestler, publicdomainpictures.net)
रेगिस्तान में जल
Posted on 15 Sep, 2011 01:30 PM

”शुष्क तथा अर्धशुष्क जलवायु के क्षेत्रों में धरती की सतह का जल तथा धरती के अंदर स्थित जल का चक

रेगिस्तानी संसाधन
Posted on 15 Sep, 2011 12:19 PM

“रेगिस्तान में स्थापित अधिकतर उद्योग हाइड्रोकार्बन व खनिज के निष्कासन से संबंधित हैं। इनके अला

रेगिस्तानी स्थलाकृतियां
Posted on 15 Sep, 2011 10:30 AM

‘‘रेगिस्तान के संदर्भ में आम धारणा यह नहीं है कि वहां बजरी बिछी हुई है अथवा तेज हवाओं ने पर्वत

संसार के विशाल रेगिस्तान
Posted on 15 Sep, 2011 08:45 AM

”रेगिस्तान उच्च वायुमंडलीय दाब के क्षेत्र में, जैसे सहारा या ठंडी महासागरीय धाराओं द्वारा महा

कैसे बने रेगिस्तान?
Posted on 14 Sep, 2011 11:26 AM

”चट्टानों के अध्ययन से यह स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि रेगिस्तान का अस्तित्व करोड़ों वर्षों

रेगिस्तान क्या हैं?
Posted on 14 Sep, 2011 10:06 AM

”रेगिस्तान का अर्थ ऐसी दृश्यावली प्रस्तुत करता है जहां रेत के आधारहीन गुबार एक ओर से दूसरी ओर उ

रेगिस्तान
Posted on 14 Sep, 2011 09:44 AM

प्रस्तावना

चौमासा के बारहमासी फल
Posted on 06 Sep, 2011 09:38 AM

हमारे पंचांग का सबसे अनूठा समय है चौमासा। कुल जितना पानी बरसता है हमारे यहां, उसका 70-90 प्रतिशत चौमासे में ही गिर जाता है। जिस देश में ज्यादातर लोग जमीन जोतते हैं, उसमें चौमासे की उपज से ही साल-भर का काम चलता है। केवल किसानों का ही नहीं, कारीगरों और व्यापारियों का और उनसे वसूले कर पर चलने वाले राजाओं का, राज्यों का भी।

बीत चला है अब चौमासा। आते समय उसकी चिंता नहीं की जिनने, वे उसके बीतने पर क्या सोच पाएंगे? फिर भी इसे विलंब न मानें। चौमासा तो फिर आएगा। तो आने वाले चौमासे की चिंता अब जरा आठ माह पहले ही कर लें। इसी पर टिका है हमारे पूरे समाज का, पूरे देश का भविष्य। जमीन और बादल का यह संबंध हमारे नए लोगों ने, नए योजनाकारों ने नहीं समझा है। पर इस संबंध को समझे बिना हमारा भविष्य, हमारी जमीन, हमारा आकाश निरापद नहीं हो पाएगा और जब आपदाएं बरसेंगी तो आज की नई अर्थ व्यवस्थाओं के रंग-बिरंगे छाते हमें बचा नहीं पाएंगे। भागवत पुराण हमें बतलाता है: भगवान विष्णु राजा बलि को दिए वचन का पालन करते हुए चार महीने के लिए सुतल में उनके द्वार पर चले जाते हैं।
जमीनी प्रदूषण का आसमानी समाधान
Posted on 17 Aug, 2011 04:03 PM

विकसित देश अपने यहां कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के बजाए ऐसी तकनीक पर निवेश करना चाहते हैं, ज

ऋतु परिवर्तन क्या है?
Posted on 26 Jul, 2011 12:10 PM

कल्पना करें कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान आप पिकनिक के लिए जा रहे हैं। आप यह सोच कर ही पसीने-पसीने हो जाते हैं। और यह भी सोच कर कि आपके माता-पिता ने बचपन में इससे बेहतर और कुछ नहीं चाहा होता। सच, पिछले कुछ दशकों के दौरान हुआ ऋतु परिवर्तन वाकई विस्मयकारी है।

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