सुंदरवन का चौथा द्वीप भी डूबने के कगार पर

तीन दशकों के दौरान सुंदरवन के लोहाचारा, सुपारी भांगा समेत बेडफोर्ड द्वीप जलमग्न हो गए। अब घोड़ामारा की बारी है। घोड़ामारा सुंदरवन के सबसे बड़े द्वीप सागरद्वीप और हल्दिया बंदरगाह के बीच बंगाल की खाड़ी में स्थित है। इसका आयतन 29 हजार बीघा था, जो घटते-घटते कुल ढाई हजार बीघा रह गया है। नदी विशेषज्ञों ने खतरे की घंटी बजा दी है कि निम्न दबाव के चलते बंगाल की खाड़ी के चक्रवाती तूफान और उफनते सामुद्रिक ज्वार इस द्वीप को बस निगलने ही वाले हैं।
कोलकाता, [जागरण ब्यूरो] संसार के सबसे समृद्ध दलदली जंगल [मैंग्रोव फारेस्ट] सुंदरवन के कुल एक सौ चार द्वीपों में अब चौथे द्वीप के समुद्र में समाने के आसार बन गए हैं। यानी सुंदरवन के समक्ष अस्तित्व का गहरा संकट मुंह बाए खड़ा है। भारतीय सुंदरवन का पंद्रह फीसदी और बांग्लादेशी सुंदरवन का 17 फीसदी क्षेत्र हमेशा-हमेशा के लिए समुद्र में समा गया है। सुंदरवन के सबसे बड़े द्वीप सागरद्वीप पर भी आफत के काले बादल मंडरा रहे हैं। इसी सागरद्वीप पर हर साल गंगासागर मेला लगता है जहां पूरे देश के लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। दरअसल गंगासागर मेला के भी उजड़ने के संकेत हैं।

कोलकाता के यादवपुर यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ ओशियनोग्राफिक स्टडीज ने अपने अध्ययन में इस आशय की आशंका जताई गई है। यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने सुंदरवन की परिवर्तनशील पारिस्थितिकी [इकोलॉजी] का गहराई से अध्ययन किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, तीन दशकों के दौरान सुंदरवन के लोहाचारा, सुपारी भांगा समेत बेडफोर्ड द्वीप जलमग्न हो गए। अब घोड़ामारा की बारी है। घोड़ामारा सुंदरवन के सबसे बड़े द्वीप सागरद्वीप और हल्दिया बंदरगाह के बीच बंगाल की खाड़ी में स्थित है। इसका आयतन 29 हजार बीघा था, जो घटते-घटते कुल ढाई हजार बीघा रह गया है। नदी विशेषज्ञों ने खतरे की घंटी बजा दी है कि निम्न दबाव के चलते बंगाल की खाड़ी के चक्रवाती तूफान और उफनते सामुद्रिक ज्वार इस द्वीप को बस निगलने ही वाले हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, 1965 से सुंदरवन के द्वीप समूहों का तापमान एक डिग्री से भी अधिक बढ़ गया है। जिसके कारण चक्रवाती तूफानों की तबाही से सुंदरवन के द्वीपों में प्रलंयकारी बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। साथ ही पानी के भी खारा हो जाने की आशंका है। गंगासागर मेले के कारण प्रसिद्ध सागरद्वीप के तीस किलोमीटर क्षेत्र को समुद्र पहले ही निगल चुका है। कुदरत के इस कहर के निशाने पर कोलकाता व समीपवर्ती इलाकों को भी बताया जा रहा है। 2001 में विशेषज्ञों के आश्चर्य का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा, जब उपग्रह से प्राप्त चित्रों में घोड़ामारा द्वीप नदारद नजर आया। सरकारी दस्तावेजों में दर्ज सुंदरवन के एक सौ चार द्वीपों में सिर्फ सौ द्वीपों का अता-पता ही मिला। जाहिर है कि चार द्वीपों का कोई अस्तित्व नहीं रहा। हालांकि चौथा द्वीप अब संकट में है। सुंदरवन के बारह अन्य द्वीपों का आयतन भी लगातार घट रहा है। पिछले साल बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सुंदरवन के जलवायु परिवर्तन पर संपन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में चिंता जताई गई थी कि हिमालय में बर्फ जिस दर से पिघल रही है, उससे बंगाल की खाड़ी के जलस्तर में देखते-देखते करीब एक मीटर की बढ़ोतरी हो सकती है और पूरा सुंदरवन बर्बाद हो सकता है। साथ ही गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदानी क्षेत्र भी इस संकट की चपेट में हैं।

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