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/topics/quality-standards-and-testing
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एक शोध के अनुसार, प्लास्टिक के अत्यंत महीन कणों को जिनका आकार पांच मिलीमीटर या उससे कम होता है, ‘माइक्रोप्लास्टिक’ कहा जाता है। शोध के अनुसार, हर साल प्लास्टिक के करीब एक करोड़ टन टुकड़े जमीन से समुद्र में पहुंच रहे हैं, जहां से वो वायुमंडल में अपना रास्ता खोज लेते हैं। देखा जाए तो बादलों में इनकी मौजूदगी एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। एक बार बादलों में पहुंचने के बाद यह कण वापस ‘प्लास्टिक व
छत्तीसगढ़, जल जीवन मिशन के विजन के लिए प्रतिबद्ध है और यह 2024 तक 'हर घर जल' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से काम कर रहा है। क्षेत्र स्तर पर हर संभव प्रयास करके, छत्तीसगढ़ सरकार, जेजेएम के प्रत्येक घटक अर्थात पानी की गुणवत्ता की पर्यवेक्षण और निगरानी (डब्ल्यूक्यूएमएस), डीपीएमयू और एसपीएमयू की स्थापना और विशेषज्ञों की नियुक्ति, केआरसी को नियोजित करने, नियोजित आईएसए के लिए प्रशिक्षण
पेड़ वायुमण्डल को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। पेड़ों से वायुमण्डल का तापमान कम होता है। पेड़ वर्षा-लाने में सहायक होते हैं। वर्षा से खेती होती है। पेड़ों की अनगिनत संख्या से सघन वनों का निर्माण होता है। पेड़ों के उगने और विकसित होने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीव के लिए जल आवश्यक है। जल जीवन का आधार है।
जल विज्ञान और जल गुणवत्ता की जांच किसी भी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिवनाथ उप बेसिन, महानदी बेसिन की सबसे लंबी सहायक नदी है। शिवनाथ उप बेसिन का कुल जलग्रहण क्षेत्र 29,638.9 वर्ग किलोमीटर है। शिवनाथ उप-बेसिन 80 डिग्री 25' से 82 डिग्री 35' पूर्व देशांतर तथा 20डिग्री 16' से 22 डिग्री 41' उत्तर अक्षांश के बीच एवं औसत समु
बिजली परियोजनाओं के फ्लाई एश की कांक्रीट से सड़क बनाने की कारगर तकनीक की खोज कर ली गई है. यह सड़क बारिश का पानी सोखेगी. कार्बन को कम करेगी और भूगर्भ का जलस्तर भी बढ़ाएगी.
भारत में भूजल की उपयोगिता पिछले कुछ दशकों के दौरान बढ़ी है। अत्यधिक भूजल दोहन के कारण कई जगहों पर भूजल तालिका में गिरावट पायी जा रही है और यह दीर्घकालिक चिन्ता का विषय है। ऐथ्रोपोजेनिक गतिविधियों के कारण देश के कई हिस्सों में भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा है। पहले गांवों में तालाब कई उद्देश्यों के लिए अर्थात् पीने, स्नान और सिंचाई आदि कार्यों में प्रयोग होते थे लेकिन अब तालाव दिन-प्रतिदिन प्रदूषित
" पृथ्वी, वायु, भूमि और जल हमारे पूर्वजों से विरासत में नहीं हैं बल्कि हमारे बच्चों से हम पर ऋण हैं। इसलिए हम उन्हें उसी तरह से सौंपना होगा, जैसा हमें सौंपा गया था।" गांधी
अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में बायोफिल्म बैक्टीरिया का उपयोग
पृथ्वी की सतह का एक तिहाई हिस्सा पानी से आच्छादित है, जिसमें से लगभग 98% पानी महासागरों और अन्य खारे जल निकायों में मौजूद है, जबकि अधिकांश मीठा पानी बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के रूप में मौजूद है। मीठे पानी के आसानी से उपलब्ध स्रोतों में नदी, झीलें, आर्द्रभूमि और जलभृत शामिल हैं। मानवजनित और अन्य गतिविधियों के कारण, जल निकायों में प्रदूषकों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। जल निकायों में प्रदूषक