गुणवत्ता, मानक और परीक्षण

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September 2, 2024 Recommendations made by an expert committee, the NGT's subsequent orders, and a critical analysis of these developments
Drum screens at Bharwara sewage treatment plant (Image: India Water Portal)
January 30, 2024 The workshop provided inputs into the newly formed committee for “Standard Operation Procedure for Quality Testing of Drinking Water Samples at Sources and Delivery Points”
Sector partners come together to supplement the efforts of the government on water quality and surveillance (Image: Barefoot Photographers of Tilonia)
October 4, 2023 वैज्ञानिकों को पहली बार बादलों में सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। शोधकर्ताओं का भी मानना है कि इसका जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
बादलों में प्लास्टिक के कण
July 8, 2022 Indian rivers are experiencing rising temperatures, which can lower the oxygen carrying capacity of their waters and spell doom for living organisms, small and large living in the waters.
The Karamana river in Thiruvanathapuram, Kerala (Image Source: India Water Portal)
June 22, 2021 Nonylphenol and its ethoxylates in drinking water: A health challenge
Water treatment facilities are incapable of removing many chemical compounds and need to be upgraded (Image: PxHere)
बादलों में प्लास्टिक के कण
वैज्ञानिकों को पहली बार बादलों में सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। शोधकर्ताओं का भी मानना है कि इसका जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
Posted on 04 Oct, 2023 01:02 PM

एक शोध के अनुसार, प्लास्टिक के अत्यंत महीन कणों को जिनका आकार पांच मिलीमीटर या उससे कम होता है, ‘माइक्रोप्लास्टिक’ कहा जाता है। शोध के अनुसार, हर साल प्लास्टिक के करीब एक करोड़ टन टुकड़े जमीन से समुद्र में पहुंच रहे हैं, जहां से वो वायुमंडल में अपना रास्ता खोज लेते हैं। देखा जाए तो बादलों में इनकी मौजूदगी एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। एक बार बादलों में पहुंचने के बाद यह कण वापस ‘प्लास्टिक व

बादलों में प्लास्टिक के कण
जल गुणवत्ता पखवाड़ा : जल गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के लिए 15 दिवसीय अभियान
इस अभियान के माध्यम से पानी की गुणवत्ता, भंडारण, सुरक्षित जल रख-रखाव और प्रबंधन से संबंधित नियंत्रण उपायों के बारे में जागरूकता का प्रसार करने के लिए 1,00,000 जल बहिनियां, 273 पैनल में शामिल आईएसए और 19,000+ वीडब्ल्यूएससी राज्य के 19,676 गांवों में पहुंचेंगी। Posted on 18 Sep, 2023 02:37 PM

छत्तीसगढ़, जल जीवन मिशन के विजन के लिए प्रतिबद्ध है और यह 2024 तक 'हर घर जल' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से काम कर रहा है। क्षेत्र स्तर पर हर संभव प्रयास करके, छत्तीसगढ़ सरकार, जेजेएम के प्रत्येक घटक अर्थात पानी की गुणवत्ता की पर्यवेक्षण और निगरानी (डब्ल्यूक्यूएमएस), डीपीएमयू और एसपीएमयू की स्थापना और विशेषज्ञों की नियुक्ति, केआरसी को नियोजित करने, नियोजित आईएसए के लिए प्रशिक्षण

पानी की गुणवत्ता की पर्यवेक्षण और निगरानी
पेड़ों द्वारा जल का शुद्धीकरण
पेड़ वायुमण्डल को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। पेड़ों से वायुमण्डल का तापमान कम होता है। पेड़ वर्षा लाने में सहायक होते हैं। वर्षा से खेती होती है। पेड़ों की अनगिनत संख्या से सघन वनों का निर्माण होता है। पेड़ों के उगने और विकसित होने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीव के लिए जल आवश्यक है। जल जीवन का आधार है। Posted on 14 Sep, 2023 06:38 PM

पेड़ वायुमण्डल को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। पेड़ों से वायुमण्डल का तापमान कम होता है। पेड़ वर्षा-लाने में सहायक होते हैं। वर्षा से खेती होती है। पेड़ों की अनगिनत संख्या से सघन वनों का निर्माण होता है। पेड़ों के उगने और विकसित होने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीव के लिए जल आवश्यक है। जल जीवन का आधार है।

पेड़ों द्वारा जल का शुद्धीकरण
जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल द्वारा शिवनाथ उप - बेसिन के समस्याग्रस्त जल ग्रहण क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु सुझाव
इस अध्ययन क्षेत्र में आमतौर पर वार्षिक वर्षा 700 से 1500 मिमी के बीच होती है तथा औसत वार्षिक वर्षा 1080 मिमी है। इस अध्ययन क्षेत्र के समग्र वातावरण को सब ट्रॉपिकल रूप में वर्गीकृत किया गया है। शिवनाथ उप बेसिन के मोर्फोमेटिक गुणों की स्थिति की जानकारी एकत्रित की गई तथा इनका विश्लेषण भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के माध्यम से किया गया। इस अध्ययन में कन्टीन्युअस डिस्ट्रिब्यूटेड पैरामीटर मॉडल जिसे सोइल एण्ड वाटर असेसमेंट टूल (एसडब्लूएटी) यानि स्वाट के नाम से जाना जाता है। Posted on 08 Jun, 2023 04:25 PM

प्रस्तावना

जल विज्ञान और जल गुणवत्ता की जांच किसी भी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिवनाथ उप बेसिन, महानदी बेसिन की सबसे लंबी सहायक नदी है। शिवनाथ उप बेसिन का कुल जलग्रहण क्षेत्र 29,638.9 वर्ग किलोमीटर है। शिवनाथ उप-बेसिन 80 डिग्री 25' से 82 डिग्री 35' पूर्व देशांतर तथा 20डिग्री 16' से 22 डिग्री 41' उत्तर अक्षांश के बीच एवं औसत समु

जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल,PC-Shutterstock
बारिश का पानी सोख लेगी फ्लाई एश कांक्रीट की सड़क
फ्लाईएश के पोरस कांक्रीट से बनी सड़क पर पानी डालने की जरूरत नहीं पड़ती है और 7 दिनों में सड़क बनकर तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस पोरस कॉक्रीट की सड़क की उम्र सीमेंट सड़क के बराबर रहेंगी Posted on 09 May, 2023 11:11 AM

बिजली परियोजनाओं के फ्लाई एश की कांक्रीट से सड़क बनाने की कारगर तकनीक की खोज कर ली गई है. यह सड़क बारिश का पानी सोखेगी. कार्बन को कम करेगी और भूगर्भ का जलस्तर भी बढ़ाएगी.

बारिश का पानी सोख लेगी फ्लाई एश, Pc-FIH
हिंडन की कायाकल्प के लिए 407.39 करोड़ खर्च करेगी सरकार
शामली जिले में यमुना नदी की सहायक नदी हिंडन की स्वछता के लिए 407.39 करोड़ की चार परियोजनाएं की स्वीकृती दी गई है। ये परियोजनाएं व्यापक रूप से  हिंडन कायाकल्प योजना का हिस्सा हैं।
Posted on 19 Apr, 2023 02:03 PM

हिंडन नदी
मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन 
यह शोध पत्र मसाही गाँव, तहसील रुड़की, जिला हरिद्वार, उत्तराखण्ड के भूजल और तालाब की गुणवत्ता के मूल्यांकन को प्रस्तुत करता है। तालाब और भूमिगत जल से पानी के नमूने, पानी पीने के उद्देश्य के लिए उपयुक्तता की जाँच करने के लिए अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए थे Posted on 17 Apr, 2023 10:29 AM

भारत में भूजल की उपयोगिता पिछले कुछ दशकों के दौरान बढ़ी है। अत्यधिक भूजल दोहन के कारण कई जगहों पर भूजल तालिका में गिरावट पायी जा रही है और यह दीर्घकालिक चिन्ता का विषय है। ऐथ्रोपोजेनिक गतिविधियों के कारण देश के कई हिस्सों में भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा है। पहले गांवों में तालाब कई उद्देश्यों के लिए अर्थात् पीने, स्नान और सिंचाई आदि कार्यों में प्रयोग होते थे लेकिन अब तालाव दिन-प्रतिदिन प्रदूषित

मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन,PC-amuj
जल गुणवत्ता जीवन के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण पहलू
जल प्रदूषण के लिए प्राथमिक कारण जल का अत्यधिक दोहन है जिसने जल प्रदूषण को काफी हद तक बढ़ाया है। पानी की गुणवत्ता संदूषण के विभिन्न कारणों से प्रभावित होती है, जिसमें शहरी और औद्योगिक अपशिष्टों की निकासी और खेतों से जल का बहना शामिल है नये अपशिष्ट पदार्थ इसी तरह जलमार्गों और झीलों में घुल जाते हैं। इस तरह के प्रदूषण मानव जीवन में प्राकृतिक तरीके से प्रवेश कर प्रभावित करते हैं और तब तक एकत्रित होते हैं जब तक कि वे खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंच जाते जल प्रदूषण जलीय जीवों और कशेरुकियों की मृत्यु का भी कारण बनते हैं। Posted on 08 Apr, 2023 12:04 PM

 

 " पृथ्वी, वायु, भूमि और जल हमारे पूर्वजों से विरासत में नहीं हैं बल्कि हमारे बच्चों से हम पर ऋण हैं। इसलिए हम उन्हें उसी तरह से सौंपना होगा, जैसा हमें सौंपा गया था।" गांधी  

जल गुणवत्ता जीवन के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण पहलू,Pc-krishi alert
जल प्रदूषण की पर्यावरणीय सफाई में बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया की भूमिका (Part 2)
सूक्ष्मजीव प्राकृतिक या कृत्रिम दोनों सतहों से जुड़कर और पॉलीसेकेराइड, प्रोटीन व वाह्य डीएनए से मिलकर एक जटिल मैट्रिक्स बनाते हैं। वाह्य कोशिकीय बहुलक पदार्थों की सहायता से सतहों पर इन माइक्रोबियल संयोजनों को बायोफिल्म के रूप में जाना जाता है। ये वाह्य कोशिकीय बहुलक पदार्थ बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया को कई तरह पर्यावरणीय खतरों से बचाता है। बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया प्रदूषण के अच्छे संकेतक माने जाते हैं और जल निकायों में प्रदूषण उपचार के लिए सबसे अच्छे उम्मीदवार भी हैं। बायोफिल्म से विभिन्न बैक्टीरिया की पहचान की गयी है जिनका उपयोग जलीय पर्यावरण से प्रदूषकों को हटाने के लिए जैविक उपचार की प्रक्रिया में सफलतापूर्वक किया गया है। Posted on 06 Apr, 2023 01:04 PM

अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में बायोफिल्म बैक्टीरिया का उपयोग

जल प्रदूषण की पर्यावरणीय सफाई में बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया की भूमिका,Pc- Frontiers
जल प्रदूषण की पर्यावरणीय सफाई में बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया की भूमिका (Part 1)
सूक्ष्मजीव प्राकृतिक या कृत्रिम दोनों सतहों से जुड़कर और पॉलीसेकेराइड, प्रोटीन व वाह्य डीएनए से मिलकर एक जटिल मैट्रिक्स बनाते हैं। वाह्य कोशिकीय बहुलक पदार्थों की सहायता से सतहों पर इन माइक्रोबियल संयोजनों को बायोफिल्म के रूप में जाना जाता है। ये वाह्य कोशिकीय बहुलक पदार्थ बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया को कई तरह पर्यावरणीय खतरों से बचाता है। बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया प्रदूषण के अच्छे संकेतक माने जाते हैं और जल निकायों में प्रदूषण उपचार के लिए सबसे अच्छे उम्मीदवार भी हैं। बायोफिल्म से विभिन्न बैक्टीरिया की पहचान की गयी है जिनका उपयोग जलीय पर्यावरण से प्रदूषकों को हटाने के लिए जैविक उपचार की प्रक्रिया में सफलतापूर्वक किया गया है। बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया पर आधारित बायोरिएक्टर इन दिनों पारंपरिक तरीकों की तुलना में प्रदूषित पानी की सफाई के लिए अधिक कुशल तरीके से उपयोग में लिये गये हैं। यह समीक्षा जलीय पारिस्थितिक तंत्र में प्रदूषक के उपचार में बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया की क्षमता और उपयोग का वर्णन करती है।

Posted on 06 Apr, 2023 11:53 AM

पृथ्वी की सतह का एक तिहाई हिस्सा पानी से आच्छादित है, जिसमें से लगभग 98% पानी महासागरों और अन्य खारे जल निकायों में मौजूद है, जबकि अधिकांश मीठा पानी बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के रूप में मौजूद है। मीठे पानी के आसानी से उपलब्ध स्रोतों में नदी, झीलें, आर्द्रभूमि और जलभृत शामिल हैं। मानवजनित और अन्य गतिविधियों के कारण, जल निकायों में प्रदूषकों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। जल निकायों में प्रदूषक

जल प्रदूषण की पर्यावरणीय सफाई में बायोफिल्म बनाने वाले बैक्टीरिया की भूमिका,Pc-hmoob
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