पेड़ों द्वारा जल का शुद्धीकरण

पेड़ों द्वारा जल का शुद्धीकरण
पेड़ों द्वारा जल का शुद्धीकरण

पेड़ वायुमण्डल को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। पेड़ों से वायुमण्डल का तापमान कम होता है। पेड़ वर्षा-लाने में सहायक होते हैं। वर्षा से खेती होती है। पेड़ों की अनगिनत संख्या से सघन वनों का निर्माण होता है। पेड़ों के उगने और विकसित होने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीव के लिए जल आवश्यक है। जल जीवन का आधार है।

मनुष्य का पेड़ों से बहुत पुराना और गहरा संबंध रहा है। मनुष्य के दैनिक जीवन में पेड़ बहुत उपयोगी होते हैं। पेड़ मनुष्य की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
सर्वप्रथम पेड़ भोजन की आपूर्ति करते हैं। खाने योग्य पदार्थ पेड़ों से ही प्राप्त होते हैं। ये पदार्थ गेहूँ, जौ, मक्का, बाजरा, चना, चावल, विभिन्न दालें, सब्जियां, फल हैं। ये पदार्थ शरीर के विकास और सुरक्षा के लिए आवश्यक अवयवों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन्स, रेशे, जल से परिपूर्ण होते हैं ।

दूसरे पेड़ सीधे या परोक्ष रूप में ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। परिश्रम करने के लिए और जीव-क्रियाओं के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा विभिन्न खाद्य पदार्थों से प्राप्त होती है।

अर्वाचीन काल में पेड़ों के बड़े-बड़े पत्ते शरीर को ढकने का कार्य किया करते थे। शरीर को स्वस्थ रखने मैं पेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका है। बहुत से पेड़ों के विभिन्न भाग रोगों से बचाव और रोगों को समाप्त करने में सहायक होते हैं। आयुर्वेद की अधिकतर औषधियां पेड़ों से ही प्राप्त की जाती तीसरी मौलिक आवश्यकता मकान की पूर्ति भी पेड़ करते हैं। मकान बनाने में पेड़ों के भागों का उपयोग किया जाता था। आज भी दरवाजे, चौखट, किवाड़ व अन्य फर्नीचर पलंग, कुर्सी, मेज, सोफा आदि पेड़ों की लकड़ी से बनाये जाते हैं। इतना ही नहीं मकानों की छत, सीढ़ियां भी लकड़ी से बनाई जाती हैं।

पेड़ वायुमण्डल को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। पेड़ों से वायुमण्डल का तापमान कम होता है। पेड़ वर्षा लाने में सहायक होते हैं। वर्षा से खेती होती है। पेड़ों की अनगिनत संख्या से सघन वनों का निर्माण होता है। पेड़ों के उगने और विकसित होने में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीव के लिए जल आवश्यक है। जल जीवन का आधार है।पेड़ जीव के लिए आवश्यक प्राण वायु को भी प्रदान करते हैं। पेड़ 'वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित कर समाप्त कर देते हैं। पर्यावरण शुद्ध बन जाता है। शुद्ध पर्यावरण स्वास्थ्य के लिए हितकर है।

विभिन्न कारणों से जल अशुद्ध हो जाता है। अशुद्ध जल जीवन के लिए अहितकर होता है। विभिन्न साधनों का उपयोग कर जल को शुद्ध करते हैं। शुद्ध जल ही स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होता है अशुद्ध जल के उपयोग से विभिन्न रोग उत्पन्न हो जाते हैं। कभी ये रोग महामारी का रूप धारण कर लेते हैं। तब घातक हो जाते हैं। जल की सफाई के लिए भौतिक रूप से फिल्टरेशन और रासायनिक रूप से कोग्यूलेशन क्रिया अपनाते हैं। समान्यतया एलम (फिटकरी) का उपयोग कर जल से उपस्थित बालू, क्ले का कोम्यूलेट करते हैं, इसे छानकर पृथक कर देते हैं। जिससे जल शुद्ध हो जाता है।

केन्या फोरेस्ट्री रिसर्च इन्सटीट्यूट नेरीबी के बायोटेक्नोलोजी के अध्यक्ष डॉ. डेविड ओडी (Dr. David Odee) के अनुसार ड्रमस्टिक (Drumstick) पेड़ बहुत ही गुणकारी और उपयोगी हैं। प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि ड्रमस्टिक पेड़ प्राकृतिक कोग्यूलेट के गुण प्रदर्शित करता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि एक लीटर प्रदूषित जल को शुद्ध करने के लिए 50 मि.ग्रा. इमस्टिक पेड़ के बीज की आवश्यकता होती हैं। यह भी पाया गया कि ड्रमस्टिक और मोरिंगा ओलीफेरा के उपयोग से जल से टोक्सिन (विषैले पदार्थ) जैसे आर्सेनिक, लैड, कैडमीयम, डाइज (Dyes) को पृथक किया जाता है। ड्रमस्टिक पेड़ मोरिंगेसी कुल से संबंध रखता है। भारत में इसे विभिन्न नामों से जानते हैं जैसे बेन्जोलिय (Benzolive), केलोर (Kelor), मारानंगो (Marango), मेलोनगी (Melongi), म्यूलेनगे (Mulangay), साइजहान (Saijhan ), सजना (Sajna ), बेन ऑयल ट्री साधारणतया इसे मोरिंगा (Moringa) कहते हैं।

ड्रमस्टिक पेड़ बहुत लाभकारी हैं। इसके विभिन्न भाग जैसे पत्ती, फल, जड़ उपयोग में लाये जाते हैं। इनका उपयोग दवा के रूप में भी किया जाता है जल को शुद्ध करने में इमस्टिक पेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनके उपयोग से वातावरण प्रदूषित नहीं होता है साथ ही बचा हुआ भाग बहुत कम होता है।.

'सन् 2000 में वैज्ञानिकों मुईबी (Muyibi) और एवीशन (Evison) ने पाया कि ड्रमस्टिक के बीजों को प्रदूषित जल में मिलाने पर कोग्यूलेशन होता है। दो घन्टे रखे रहने पर गदलापन (Turbidity) भारीपन (Hardness) 60-70 प्रतिशत कम हो जाती है। मोरिंगो में बफर (Buffer) गुण होने के कारण जल की क्षारीयता 30 प्रतिशत कम हो जाती है।'

मोरिंगा विषैला नहीं होता है। यह अशुद्धियों को सरलता से जीवाणुओं द्वारा विघटित कर देता है। अतः यह बायोडिग्रेडेबिल (Biodigradeble) हैं यह वातावरण का मित्र है जल को मोरिंगा से शुद्ध करने पर जल की पी. एच. (Ph) और चालकता में परिवर्तन नहीं होता है स्लज ( Sludge) की मात्रा कम उत्पन्न होती है। सन् 2000 में मुईबी (Muyibi) और एवीशन (Evison ) नामक वैज्ञानिकों ने पाया कि ड्रमस्टिक के बीजों को प्रदूषित जल में मिलाने पर कोग्यूलेशन होता है। दो घन्टे रखे रहने पर गदलापन (Turbidity) भारीपन (Hardness) 60-70 प्रतिशत तक कम हो जाती है। मोरिंगो में बफर (Buffer) गुण होने के कारण जल की क्षारीयता 30 प्रतिशत कम हो जाती है।

2004 में डॉ. के. एस. ऊषा देवी की टीम ने पाया कि ड्रमस्टिक के बीजों में डाइज (Dyes), कैल्शियम, मेग्नीशियम और जिंक को पृथक करने की क्षमता होती है। 2005 में वैज्ञानिकों ने पाया कि ड्रमस्टिक के बीजों में एन्टीबायोटिक और एन्टीओक्सीडेन्ट गुण होते हैं। 2006 में आगरा के वैज्ञानिकों ने पाया कि मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa Oleifera) के बीज विषैली धातुओं जैसे लेड, कैडमीयम, निकिल, कॉपर, जिंक को पृथक करने की क्षमता रखते हैं।

2007 में डी.आर.डी.ओ. के वैज्ञानिकों ने बंगाल में विषैली धातु आर्सेनिक को जल से पृथक करने में मोरिंगा के बीजों का उपयोग किया और सफलता प्राप्त की जल से आर्सेनिक का विषैला प्रभाव समाप्त हो गया। ड्रमस्टिक के उपयोग से जल से जिंक को पृथक किया गया। 2008 में स्पेन के वैज्ञानिकों ने मोरिंगा ओलीफेरा के बीजों का उपयोग कर दूषित जल से पोल्यूटेन्ट (Pollutant) जैसे सोडियम ल्योरायल सल्फेट (Sodium Lauryl Sulphate) को पृथक किया। इतना ही नहीं विभिन्न एजोडाईस को भी जल से मोरिंगा ओलीफेरा द्वारा पृथक किया।

2008 में जर्मनी के वेटनरी डॉक्टरों की टीम ने मोरिंगा ओलीफेरा के बीजों को सामान्य खाने में मिलाकर भेड़ों को खिलाया। इससे पाया कि भेड़ों की पाचन क्रिया सुदृढ़ हुई और शरीर की वृद्धि और विकास सामान्य से अधिक हुआ। मोरिंगा ओलीफेरा का उपयोग कर डाई उद्योग में प्रदूषित जल से 80 प्रतिशत कारमाइन इन्डिगो ( Carmine Indigo) को पृथक किया। यह कार्य 2009 में स्पेन में हुआ।
2009 में ब्राजील के वैज्ञानिकों ने डेयरी उद्योग के प्रदूषित जल को मोरिंगा ओलीफेरा के उपयोग कर शुद्ध किया। ब्राजील के वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि जल में उपस्थित घातक मच्छरों के लाखों (Larvao) को समाप्त करने में मोरिंगा ओलीफेरा का महत्वपूर्ण योगदान है।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि विशिष्ट पेड़ ड्रमस्टिक, मोरिंगा पेड़ ओलीफेरा का उपयोग कर दूषित जल को शुद्ध कर सकते हैं। शुद्ध जल स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है। अच्छा स्वास्थ्य प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है अच्छे स्वास्थ्य से उमंग, उत्साह उल्लास जीवन को सरस, सुन्दर, सुखमय, आनन्ददायक सम्पन्नता से पूर्ण बनाता है अन्यथा जीवन अभिशाप बन जाता है। शुद्ध जल ही जीवन है।

संपर्क करें: डॉ. ए.के. चतुर्वेदी 26- कावेरी एन्क्लेव फेज- II स्वर्ण जयन्ती नगर, रामघाट रोड, अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश ) - 202001 मो. न. 08954926657,

08273772063

स्रोत जल चेतना खण्ड 8 अंक 1 जनवरी 2019
 

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Post By: Shivendra
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