अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में बायोफिल्म बैक्टीरिया का उपयोग
बायोफिल्म बैक्टीरिया अपशिष्ट जल के जैविक उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपशिष्ट जल के उपचार के लिए विभिन्न जैविक उपचार तकनीकों का उपयोग किया जाता है। बायोफिल्म रिएक्टर ऐसी इकाइयाँ हैं जिनमें अपशिष्ट जल के उपचार के लिए बायोफिल्म बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता है। बायोफिल्म रिएक्टरों को रिएक्टर में शामिल चरणों (गैस, तरल व ठोस) की संख्या में जिस प्रकार बायोफिल्म स्थायी या गतिमान वाहक से जुड़ा होता है, के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। बायोफिल्म रिएक्टरों को उनके इलेक्ट्रॉन दाता या स्वीकारकर्ता के लागू होने के इस आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है। विभिन्न प्रकार के बायोफिल्म रिएक्टरों का उल्लेख नीचे किया गया है"।
ट्रिकलिंग फिल्टर: यह एक तीन चरणों वाली प्रणाली है, जिसमे स्थिर बायोफिल्म से लदी वाहक, अत्यधिक पानी और हवा शामिल है। ट्रिकिंग फिल्टर बायोफिल्म रिएक्टर का उपयोग आमतौर पर नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों के जैविक निष्कासन के लिए किया जाता है। इसमें बायोफिल्म की सतह पर पानी छलकता है और तीसरे चरण में हवा ऊपर की ओर या नीचे की ओर जाती है।
जलमग्न फिक्स्ड बेड बायोफिल्म रिएक्टर अपफ्लो या डाउनफ्लो : यह तीन चरणीय प्रणाली जिसमें स्थिर (या अर्ध स्थिर) बायोफिल्म से लदी वाहक, अत्यधिक पानी और हवा शामिल है, के रूप में संचालित होती है। पानी और गैस के बुलबुले (एरोबिक और बायोएक्टिव फिल्टर) बायोफिल्म रिएक्टर के माध्यम से बहते हैं। इस प्रणाली मे बजरी स्थिर मीडिया और पॉलीस्टाइरीन मोटी अर्ध-स्थिर मीडिया के रूप में कार्य करते हैं।
एरोबिक मूविंग बेड बायोफिल्म रिएक्टर या एम. बी. बी.आर.:, यह एक तीन चरणीय प्रणाली है जिसमे बायोफिल्म से लदी वाहक, अत्यधिक पानी और हवा शामिल है। इस प्रणाली मे बायोफिल्म रिएक्टर के माध्यम से पानी बहता है और गैस के बुलबुले के रूप में हवा दी जाती है। एम. बी. बी. आर. का उपयोग सिंगल स्टेज या मल्टीस्टेज रिएक्टर के रूप में किया जाता है। ये रिएक्टर कार्बन ऑक्सीकरण, नाइट्रीफिकेशन और डीनाइट्रिफिकेशन के लिए पानी की गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में कुशल भूमिका निभाते हैं।
डिनाइट्रीफिकेशन फ्लूइडाइज्ड बेड बायोफिल्म रिएक्टर या एफ.बी.बी.आर.:, यह एक दो चरणीय प्रणाली है जिसमें गतिशील बायोफिल्म से लदी वाहक और अत्यधिक पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रणाली मे इलेक्ट्रॉन दाता और इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता के साथ बायोफिल्म रिएक्टर से पानी प्रवाहित किया जाता है।
विनाइट्रीकरण फिल्टर, यह भी दो चरण प्रणाली के अंतर्गत आती है जिसमे निश्चित बायोफिल्म से लदी वाहक सामग्री और अत्यधिक पानी शामिल है। इलेक्ट्रॉन दाता और स्वीकर्ता के माध्यम से पानी को रिएक्टर में बहने दिया जाता है।
मेम्ब्रेन बायोफिल्म रिएक्टर या एम.बी.एफ.आर., यह थ्री फेज मेम्ब्रेन सिस्टम के अंतर्गत आता है। यह एक माइक्रोपोर्स छिद्रयुक्त झिल्ली से बना होता है जिसमें झिल्ली के एक तरफ पानी और बायोफिल्म होती है तथा दूसरी तरफ गैस होती है जिसे झिल्ली के माध्यम से बायोफिल्म में प्रसारित किया जाता है।
बायोफिल्म-आधारित माइक्रोबियल ईंधन सेल या एम. एफ. सी., यह दो चरण वाली मेम्ब्रेन सिस्टम प्रणाली है, इसमें एक प्रोटॉन आदान प्रदान करने वाली मेम्ब्रेन होती है जो एक वर्गीकृत बायोफिल्म से लदे एनोड को एक वर्गीकृत कैथोड से दोनों तरफ पानी के साथ अलग करता है। इस झिल्ली के द्वारा इलेक्ट्रॉन दाता को इलेक्ट्रॉन स्वीकर्ता से भी अलग किया जाता है।
बायोफिल्म आधारित उपचार संयंत्रों की सीमाएं
आम तौर पर कुछ बायोफिल्म आधारित बायोरिएक्टर महंगे होते हैं। विकसित बायोफिल्म की परत को निरंतर निगरानी और समय समय पर रख-रखाव की आवश्यकता होती है। हालाँकि, इस समस्या को कई भौतिक तरीकों जैसे बैक वाशिंग, मैकेनिकल स्क्रबिंग आदि का उपयोग करके सुधारा जा सकता है। पाइपों की सतह पर बायोफाउलिंग भी एक आम समस्या है। इन सभी समस्यायों के बावजूद भी बायोफिल्म आधारित बायोरिएक्टर और बायोरेमेडिएशन प्रौद्योगिकियों को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि वर्तमान समय में हमारे घटते जल निकायों को प्रदूषण मुक्त करने का यह एक बहुत ही अच्छा तरीका है।
जल निकायों से प्रदूषकों को बायोफिल्म बैक्टीरिया द्वारा हटाने के लाभ
जल निकायों से प्रदूषकों को हटाने में बायोफिल्म बैक्टीरिया बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बायोफिल्म बैक्टीरिया न केवल प्रदूषक की सांद्रता को प्रभावी ढंग से कम करते हैं, बल्कि अंत- उत्पादों को गैर विषैले, हानिरहित और स्थिर पदार्थों में भी परिवर्तित कर देते हैं, जिससे जल में रहने वाले जीवों को कोई समस्या नहीं होती है। भौतिक उपचार की तुलना में, सूक्ष्म उपचार अति सुरक्षित, स्वच्छ और अत्यधिक टिकाऊ प्रक्रिया है। रासायनिक प्रक्रियाओं के जगह जैविक प्रक्रिया का उपयोग करके प्रदूषण के स्तर को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है। बायोफिल्म बैक्टीरिया द्वारा प्रदूषकों को हटाने में अक्सर एंजाइमी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। एंजाइम एक प्रकार का सक्रिय प्रोटीन होता है जिनमे एक निश्चित सब्सट्रेट के लिए उच्च विशिष्टता होती है। एंजाइम कम उप-उत्पादों के साथ अत्यधिक कुशल जैव निम्नीकरण की प्रक्रिया में मदद करता है।
रासायनिक प्रक्रियाओं की तुलना में, जिन्हें अक्सर उच्च तापमान और दबाव की आवश्यकता होती है, बायोडिग्रेडेशन एक लागत प्रभावी प्रक्रिया है। बायोफिल्म बैक्टीरिया द्वारा प्रदूषकों को हटाने के सिद्धांत के आधार पर विभिन्न प्रकार के वाणिज्यिक बायोरेमेडिएशन एजेंट (जैसे कि ऑयल स्पिल ईटर II) विकसित किए गए हैं, जो प्रदूषकों को हटाने के बाद तेजी से विघटित हो जाते हैं और दूसरे सूक्ष्मजीवों द्वारा पोषक स्रोत के रूप में उपयोग कर लिए जाते हैं। वाणिज्यिक माइक्रोबियल एजेंटों को एक मॉडल के रूप में माइक्रो- रेमेडिएशन पर आधारित अलग-अलग प्रौद्योगिकियां आसानी से बाजारों में उपलब्ध करा सकती हैं और इन तरिकों को दुनिया भर में अपनाई जा सकती हैं।
नवीन प्रायोगिक तकनीकों के विकास के साथ साथ, आधुनिक तकनीकों को माइक्रो- रेमेडिएशन प्रक्रिया में समन्वित किया जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण की दिशा में पर्यावरण के अनुकूल सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरियल बायोफिल्म्स) का अनुप्रयोग करना एक सराहनीय कदम है। अनुसंधान संस्थानों को हमें प्रदूषक हटाने के तंत्र की जांच करने और जलीय पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अधिक प्रभावी और लागत प्रभावी सूक्ष्मजीवों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
निष्कर्ष
बायोफिल्म सतह से जुड़े, संरचित माइक्रोबियल समुदाय होते हैं जिनमें कोशिकाएं एक-दूसरे से तथा सतह से जुड़े (बैक्टीरिया और / या कवक) होते हैं जो पॉलीसेकेराइड (ई.पी.एस.), डीएनए और अन्य घटकों से बना एक स्व-निर्मित वाह्य मैट्रिक्स में अंतर्निहित होते हैं। जलीय पारिस्थितिक तंत्र में लगभग सभी प्रकार के कार्बनिक और अकार्बनिक प्रदूषकों के आत्मसात, जैव-अवशोषण और जैव निम्नीकरण के लिए इन माइक्रोबियल समुदाय का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। बायोफिल्म में मौजूद वातापेक्षी / ऐरोबिक सूक्ष्मजीव पानी में आवश्यकता से अधिक मौजूद पोषक तत्वों का उपयोग और भंडारण करके पानी को पोषक तत्वों के प्रदूषण से मुक्त करती हैं। कपड़ा उद्योग से निकलने वाले रंग जलीय स्रोतों को प्रदूषित करते हैं, जिनका निम्नीकरण बायोफिल्म बैक्टीरिया द्वारा किया जाता है। फेनोलिक यौगिक जोकि विषैले प्रवृति के होते हैं तथा जिनका क्षरण आसानी से नहीं हो पता है, को भी बायोफिल्म मे रहने वाले बैक्टीरिया आसानी से जल से निराकरण करने में सक्षम हैं। बायोफिल्म आधारित बायोरिएक्टरों का उपयोग दशकों से अपशिष्ट जल उपचार के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों के रूप मे किया जाता रहा है। प्रदूषण उपचार के लिए बायोफिल्म के आशाजनक उपभेदों को बायोस्टिम्युलेट करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। प्रतिरोधी जीनों की पहचान में जैव-तकनीकी हस्तक्षेपों का उपयोग करने की भी आवश्यकता है जिनका उपयोग अकार्बनिक और कार्बनिक प्रदूषकों के निराकरण करने में किया जा सकता है।
आभार
1. लेखक विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एस.ई.आर. बी.), नई दिल्ली द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता (जी.ए.पी. 2125/सी.आर.जी./2020/000542) के लिए आभार व्यक्त करते हैं।
2. सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई संप्रेषण संख्याः 105/2022
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