मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन 

मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन,PC-amuj
मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन,PC-amuj

भारत में भूजल की उपयोगिता पिछले कुछ दशकों के दौरान बढ़ी है। अत्यधिक भूजल दोहन के कारण कई जगहों पर भूजल तालिका में गिरावट पायी जा रही है और यह दीर्घकालिक चिन्ता का विषय है। ऐथ्रोपोजेनिक गतिविधियों के कारण देश के कई हिस्सों में भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा है। पहले गांवों में तालाब कई उद्देश्यों के लिए अर्थात् पीने, स्नान और सिंचाई आदि कार्यों में प्रयोग होते थे लेकिन अब तालाव दिन-प्रतिदिन प्रदूषित हो रहे हैं। यह शोध पत्र मसाही गाँव, तहसील रुड़की, जिला हरिद्वार, उत्तराखण्ड के भूजल और तालाब की गुणवत्ता के मूल्यांकन को प्रस्तुत करता है। तालाब और भूमिगत जल से पानी के नमूने, पानी पीने के उद्देश्य के लिए उपयुक्तता की जाँच करने के लिए अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए थे। पानी के नमूनों में पीएच, मलिनता, विद्युत चालकता (ई.सी.) टीडीएस, क्षारीयता, कठोरता, सोडियम (Na+), पोटेशियम (K), कैल्शियम (Ca2+), मैग्नीशियम (Mg2+), बाइकार्बोनेट (HCO3-), सल्फेट (SO2-4), क्लोराइड (CI-), नाइट्रेट (NO₃⁻ ), फॉस्फेट ( Po4 3-  ). बायोकेमिकल ऑक्सीजन मांग (BOD) के लिए विश्लेषण किया गया है। भारतीय मानक ब्यूरो के निर्धारित पेयजल मानक के साथ परिणाम की तुलना की गयी है और यह पाया है कि भूजल पीने के प्रयोजनों के लिए उपयुक्त है जबकि तालाब का पानी पीने के प्रयोजनों के लिए उपयुक्त नहीं है। परिणाम से यह भी पता चलता है कि तालाव अत्यधिक यूट्रोफिक (eutrophic) है।

प्रस्तावना

भारत में भूजल का उपयोग ग्रामीण आबादी में 80%, शहरी आबादी में 50% और कृषि क्षेत्र में 60% किया जाता है। 2 लाख से अधिक भूजल निकासी संरचनाओं का प्रयोग घरेलू, औद्योगिक और कृषि गतिविधियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। भूमिगत जल की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है।

विभिन्न प्रयोजनों के लिए भूजल की उपलब्धता के साथ-साथ गुणवत्ता का भी उतना ही महत्व है। (सिआवो एट अल., 2006., सुवरमणी एट अल. 2005)। मोटे तौर पर मानवजनित (anthropogenic) विभिन्न गतिविधयां जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा और घरेलू अपशिष्ट उर्वरक इत्यादि के कारण भूजल प्रदूषित होता है ( कौशिक और कौशिक, 2006)। जल भण्डारक में इन पदार्थों के दर्ज होने के बाद अवांछनीय घटकों के जल में नियंत्रित करना कठिन होता है (जॉनसन 1979, शास्त्री, 1994) उचित भूमिगत जल प्रबंधन के लिए स्थायी उपयोग आवश्यक है। वर्तमान शोध पत्र में भूजल और तालाब के पानी की गुणवत्ता के लिए, रुड़की तहसील के मसाही गांव, जिला हरिद्वार में पीने के प्रयोजनों के लिए उपयुक्ता की जांच करने के लिए मूल्यांकन किया गया है।

सामग्री एवं विधि
अध्ययन क्षेत्र का स्थान मानचित्र चित्र 1 में दर्शाया गया

सामग्री एवं विधि

अध्ययन क्षेत्र (मसाही गांव) सिपला नदी, हलजोरा नदी, वाटरशेड जिला हरिद्वार (उत्तराखंड) के तहत आता है। अध्ययन क्षेत्र का स्थान मानचित्र चित्र 1 में दर्शाया गया है। सिपला नदी, हलजोरा नदी, 'वाटरशेड 29°55 से 30° 05' उत्तर अक्षांश और 77°50' से 77°55' पूर्वी देशान्तर के अन्तर्गत स्थित है (सर्वे ऑफ इंडिया टोपोशीट एमआई 53F/16 और 53 G/13) मसाही राजस्व गांव का क्षेत्रफल 14.26 km है जो कि सिपला नदी, हलजोरा नदी, वाटरशेड का एक चौथाई हिस्सा है। मसाही राजस्व गांव के अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत निम्नलिखित पांच उप गांव आते हैं इब्राहिपुर, मसाही, बेल्की, इनायतपुर, हलजोरा । मसाही गांव तालाब और भूजल गुणवत्ता असेसमेंट के लिए चयनित किया गया है। अध्ययन क्षेत्र सोलानी नदी जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा है।

परिणाम एवं विवेचना

मसाही गांव तालाब एवं भूजल की गुणवत्ता सारणी में और पानी 1 की गुणवत्ता के बी. आई. एस. मानक सारणी 2 में दर्शाए गए हैं। पीएच (pH) अम्लता एवं क्षारीयता की तीव्रता दर्शाता है एवं इसका हाइड्रोजन आयन की मात्रा के आधार पर मूल्यांकन किया जाता  है  पीएच के ज्यादा होने से हीटिंग तंत्र में स्केल का गठन हो जाता है और क्लोराइड की जर्नीसाइड क्षमता भी कम हो जाती है। पीएच 6.5 से नीचे हो तो पाइप लाइन को प्रभावित करता है (त्रिवेदी एवं गोयल 1986)। तालाब पानी के नमूने में pH 6.99 से 7.98 तक पाया गया और भूजल में 7.20 से 7.30 तक पाया गया।

विद्युत चालकता (EC) का उपयोग पानी में घुलनशील लवण की कुल मात्रा ज्ञात करने के लिए किया जाता है । परिणाम यह दर्शाते हैं कि तालाब की विद्युत चालकता 1005 से 1027 us / cm क बदलती है, जबकि भूजल में 554 से 703 us/cm तक बदलती है ( हरिलाल एट ऑल 2004 ) ।

मलिनता (Turbidity) तरल की एक ऑप्टिकल विशेषता है जो आमतौर पर स्पष्टता का वर्णन करती है। मलिनता रंग से संबंधित नहीं है, बल्कि निलंबित कण, कोलाइडल सामग्री, या दोनों के प्रभाव के कारण पारदर्शिता के नुकसान से संबंधित है। भूजल में मलिनता की मात्रा 1 से 5.8 NTU तक पायी जाती है जबकि तालाब के पानी में मलिनता 32 से 85 NTU तक पायी जाती है। टीडीएस भूजल में 190 से 275 mg/L तक पाया गया तथा तालाब में 480 से 582mg/L तक पाया गया।
बाइकार्बोनेट्स, कार्बोनेट्स या हाइड्राऑक्साइड्स की उपस्थिति में चट्टानों का अपक्षय क्षारीयता का संभावित स्रोत है। यह मिट्टी के नुकसान को दर्शाता है और फसल पैदावार कम कर देता है। इसलिए ज्यादा क्षारीयता वाला पानी सिंचाई के लिए हानिकारक होता है। भूजल में क्षारीयता की मात्रा 322 से 336 mg/L तक पायी गयी तथा तालाब के पानी में 453 से 485 mg/L तक पायी गयी ।

कठोरता (Hardness), मुख्य रूप से कैल्शियम और मैगनीशियम के कारण होती है। अधिक कठोरता वाले पानी में कपड़ों की धुलाई के दौरान अधिक साबुन का प्रयोग होता है। भूजल में कठोरता की मात्रा 281 से 363 mg/L तक पायी गयी तथा तालाब में 280 से 396mg/L तक पायी गयी।

भूजल में सभी सोडियम यौगिक पानी में घुलनशील हैं और जलीय घोल में रह जाते हैं। आग्नेय चट्टानों के साथ संपर्क के कारण पानी में सोडियम पाया जाता है। पानी में सोडियम आयन की उच्च मात्रा, दिल की समस्याओं का कारण हो सकती है। सिंचाई के पानी में उच्च सोडियम आयन की मात्रा होने से लवणता की समस्या हो सकती है।
तालाब के पानी के नमूनों में सोडियम आयन की मात्रा 72 से 75mg / L तथा भूजल में 20 से 30mg/L तक पाया गयी है।

कैल्शियम और मैग्नीशियम, प्राकृतिक जल में चट्टानों, औद्योगिक अपशिष्ट और सीवेज के कारण पाया जाता है। झीलों के जल में कैल्शियम 62 से 65mg / I और मैग्नीशियम 56 से 329mg / L जबकि भूजल में कैल्शियम 80 से 105 mg L और मैग्नीशियम 19 से 24 mg/L तक पाया गया।

पानी में उच्च क्लोराइड की मात्रा सीवेज और नगरपालिका अपशिष्ट का कारण हो सकती है। क्लोराइड की अधिक मात्रा नमकीन स्वाद प्रदान करती है ( रवि प्रकाश एवं कृष्णाराव, 1989 ) । तालाब के पानी में क्लोराइड की सीमा 64 से 82mg / L, जबकि भूजल में 12 से 42 mg/L तक पायी गयी।

सल्फेट स्वाभाविक रूप से पीने के पानी में होता है। तालाब के पानी में सल्फेट की मात्रा 7 से 8mg/L, जबकि भूजल में 3 से 12mg / L तक पायी गयी।

हाल में विश्व बैंक द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार, आगे आने वाले कुछ वर्षों में पेय जल की समस्या विकराल रूप धारण करेगी और विश्व के सभी देश स्वच्छ जल को पाने के लिए युद्ध करेंगे। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के भूमिगत जल और सतह के पानी में नाइट्रेट की मात्रा सामान्य रूप से कम होती है, लेकिन कृषि अपवाह, शरण डंप मानव या पशु अपशिष्ट संदूषण के परिणामस्वरूप उच्च स्तरों तक पहुँच सकते हैं। जब नाइट्रेट की मात्रा 45mg / L से ऊपर हो जाती है, तो Methamoglobinemia अथवा 'ब्ल्यू बेबी' नाम का रोग बच्चों में हो जाता है। तालाब के पानी में नाइट्रेट की मात्रा 2.2 से 44mg/L पायी गयी जबकि भूजल में नाइट्रेट की मात्रा 2.2 से 14.52mg / L तक पायी गयी।

मसाही गांव  के  पानी गुणवत्ता का संक्षित परिणाम
मसाही गांव  के  पानी गुणवत्ता का संक्षित परिणाम 

 

फॉस्फोरस पौधों और जानवरों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है। फॉस्फोरस संयंत्र जीवन के लिए एक अनिवार्य तत्व है, लेकिन यह पानी में बहुत ज्यादा होने पर झीलों में eutrophication को तेज कर सकते हैं। फॉस्फोरस कई रूपों में मापा जा सकता है। फॉस्फोरस संवर्धन के लिए एक संकेत के रूप में बतजीव फॉस्फेट का विश्लेषण किया गया है। झीलों में फॉस्फोरस की मात्रा 10.4 से 13.23mg/L तक पायी गयी जो कि बहुत अधिक है।

BOD पानी में घरेलू कचरे इत्यादि के कारण कार्बनिक सामग्री की मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए पानी में मौजूद बैक्टीरिया अवक्रमण ऑक्सीजन की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। इस प्रकार जल में BOD की वृद्धि हो जाती है। तालाब के पानी में BOD फॉस्फेट का स्तर वर्तमान अध्ययन के अनुसार 2.8 से 8.7 mg/L तक पाया गया।

 

पानी की गुणवत्ता के मानक
पानी की गुणवत्ता के मानक 

निष्कर्ष

इस अध्ययन में मसाही गांव क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से भूजल और तालाब के पानी के नमूने एकत्र किए गये और उनमें फिजियो-रासायनिक और BOD के लक्षणों का अध्ययन किया गया। भूजल और तालाब के पानी की गुणवत्ता का आंकलन करने के लिए प्रत्येक पैरामीटर का आंकलन भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा (बी. आई. एस. 105002012 ) निर्धारित मानक के अनुसार किया गया। अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि भूजल पीने के प्रयोजन के लिए अनुमत श्रेणी में है। भूजल में निम्नलिखित प्रमुख धनायनों का अनुक्रम इस प्रकार है : कैल्शियम > मैग्नीशियम > सोडियम > पोटेशियम प्रमुख ऋणानयनों का क्रम है:  बाइकार्बोनेट > क्लोराइड >सल्फेट तालाब के पानी की गुणवत्ता खराब है जो यह दर्शाती है कि सीवेज का पानी तालाब में प्रवाह कर रहा है। विभिन्न गतिविधियों जैसे सीवरेज को न जाने देना, जानवरों को न जाने देना इत्यादि द्वारा तालाब का संरक्षण हो सकता है। 

सन्दर्भ

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  3. हरिलाल सीसी, हाशिम ए, अरुण पीआर, हाइड्रो-जियोकमिस्ट्री ऑफ टू रीवर्स ऑफ केरला विद स्पेशल रेफरेंस टू ड्रिंकिंग वाटर क्वालिटी, जं. इकाल घेरना कंजर्व 10 (2) (2001) 187-192 
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  6.  सुबरामनी टी. एलेन्गो एल एवं दामोदरसेमी एस आर ग्राउंड वाटर क्वालिटी एण्ड इट्स सूटेबिलिटी फार ड्रिंकिंग एण्ड एग्रीकल्चरल यूज इन चीवर रीवर बेसिन, तमिलनाडु, इण्डिया, एनवायरनमेंटल जियोलॉजी, 47 (2005) 1099-1110.
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  8. कौशिक ए एवं कौशिक सी पी, परस्पक्टीव इन एनवायरॉनमेंटल स्टडीज, न्यू एज इन्टरनेशल पब्लिशर्स, 21 (2006) 4-21.
  9. बी. बाई. एस. इंडियन स्टैन्डर्ड ड्रिंकिंग वाटर (स्पेशिफिकेशन आई. एस. -10500 2012.
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Post By: Shivendra
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