जल शक्ति मंत्रालय ने रष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति की 48वीं बैठक में लगभग 638 करोड़ रुपये की आठ परियोजनाओं को मंजूरी दी है। जिसमें से शामली जिले में यमुना नदी की सहायक नदी हिंडन की स्वछता के लिए 407.39 करोड़ की चार परियोजनाएं की स्वीकृती दी गई है। ये परियोजनाएं व्यापक रूप से हिंडन कायाकल्प योजना का हिस्सा हैं। वही समिति द्वारा इन परियोजनाओं को मंजूरी देने का मकसद है कि कृष्णा नदी में प्रदूषित पानी को रोका जा सके ।
शामली जिले की चार परियोजनाओं में
- बाबरी और बनतीखेड़ा गांव में 50 लाख लीटर प्रति दिन (एमएलडी) सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (निर्मल जल केंद्र), 5 केएलडी सेप्टेज को-ट्रीटमेंट सुविधा, अवरोधन एवं पथांतरण (आईएंडडी) और अन्य कार्य
- बनत कस्बे में 5 एमएलडी एसटीपी, 5 केएलडी सेप्टेज को-ट्रीटमेंट सुविधा , अवरोधन एवं पथांतरण (आईएंडडी) एवं अन्य कार्य
- शामली कस्बे में 40 एमएलडी एसटीपी, 20 केएलडी सेप्टेज को-ट्रीटमेंट सुविधा , अवरोधन एवं पथांतरण (आईएंडडी) एवं अन्य कार्य
- थानाभवन कस्बे में 40 एमएलडी एसटीपी, 20 केएलडी सेप्टेज को-ट्रीटमेंट सुविधा , अवरोधन एवं पथांतरण (आईएंडडी) एवं अन्य कार्य शामिल हैं।
दो साल बाद यानि वर्ष 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में में होने वाले महाकुंभ की तैयारियों के मद्देनजर प्रयागराज में लगभग 7 घाटों के विकास के लिए विभन्न परियोजना को मंजूरी दी गई है, इन घाटों में दशाश्मेध घाट, किला घाट, नौकायन घाट, ज्ञान गंगा आश्रम घाट, सरस्वती घाट, महेवा घाट और रसूलाबाद घाट शामिल हैं। इनमें नहाने के लिए जगह, चेंज रूम, यूनिवर्सल एक्सेस रैंप, पीने के पानी का स्थान , रात के लिए फ्लड लाइट, कियोस्क, लैंडस्केपिंग आदि जैसी सुविधाएं होंगी।
कार्यकारी समिति की 48वीं बैठक में बिहार और मध्य प्रदेश में एक-एक सीवरेज प्रबंधन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। अन्य कार्यों के साथ बिहार में 77.39 करोड़ लागत से बनने वाली एसटीपी (जोन 1 और 2 में 7 एमएलडी, 3.5 एमएलडी और 6 एमएलडी) के निर्माण की एक परियोजना को मंजूरी दी गई है । ये परियोजनाएं गंगा की सहायक नदी किउल नदी में प्रदूषित पानी के प्रवाह को रोकने में मदद करेगी। मध्य प्रदेश में भी अन्य कार्यों के साथ 22 MLD STP, 2.38 MLD कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) को बनाने के लिए 92.78 करोड़ की मंजूरी दी गई है । यह परियोजना यमुना की सहायक नदी क्षिप्रा नदी में प्रदूषित पानी के प्रवाह को रोकने का कार्य करेगी ।बैठक के दौरान एनएमसीजी के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने राज्यों के अधिकारियों से एसटीपी स्थलों पर सौर खेती और निर्मल जल केंद्रों को चलाने के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया है ।
उन्होंने नदियों और नालों में बहने वाले ठोस कचरे को अलग करने और निपटाने के लिए ग्रिल का उपयोग करने का निर्देश दिया साथ ही नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सृजित संपत्तियों के रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को देने के लिए कहा। एनएमसीजी के महानिदेशक द्वारा यह कहा गया है कि मौजूदा घाटों की सफाई के लिए यूएलबी द्वारा अपनाई जा रही मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को एनएमसीजी को सूचित किया जाना चाहिए।
वही देवभूमि उत्तराखंड और धर्मनगरी हरिद्वार के घाटों के विकास के लिए एक और परियोजना को मंजूरी दी गई, जहां कुल 5.50 करोड़ रुपये की लागत से अखंड परम धाम घाट का निर्माण किया जाएगा। परियोजना में दुकान/कियोस्क (घाट पे हाट गतिविधियों के लिए), योग/ध्यान लॉन, विकलांग रैंप, सैरगाह, सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए मंच आदि का निर्माण शामिल है।
'नमामि गंगे कार्यक्रम', एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा जून 2014 में ₹20,000 करोड़ के बजट परिव्यय के साथ 'प्रमुख कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया है। इस परियोजना का लक्ष्य है कि राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण, संरक्षण और कायाकल्प के प्रभावी उद्देश्यों को पूरा करना है।
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