साक्षात्कार

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जैविक खेती समय की जरूरत
Posted on 18 Nov, 2011 08:58 AM

राजस्थान के शेखावाटी इलाके के किसान कुछ साल पहले पानी की समस्या से परेशान थे। खेती में खर्च इतना ज्यादा बढ़ गया था कि फसल उपजाने में उनकी हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती चली गई, लेकिन कृषि के क्षेत्र में यहां एक ऐसी क्रांति आई, जिससे यह इलाका आज भारत के दूसरे इलाकों से कहीं पीछे नहीं है। शेखावाटी में आए इस बदलाव के पीछे मोरारका फाउंडेशन की वर्षों की मेहनत है। फाउंडेशन के इस सपने को पूरा करने का भाग

...बांध बनते गए बर्बादी बढ़ती गई
Posted on 20 Sep, 2011 10:55 AM

तटबंध बाढ़ से होने वाली तबाही को रोकता है या परेशानी का सबब बनता है, यह बहस का मुद्दा है लेकिन इस बात पर कोई संदेह नहीं कि नदियों में बाढ़ आने के साथ ही तटबंध की मरम्मत और तबाही की रोकथाम के नाम पर करोड़ो रुपये का वारा-न्यारा कर दिया जाता है। ठेकेदार, अफसर और सरकारी दलाल के गठजोड़ ने तटबंधों के जरिए उत्तर बिहार का पूरा परिदृश्य बदल कर रख दिया है। हालांकि इसका अर

हमारा फार्मूला चल गया तो सारी व्यवस्था बदल जाएगी
Posted on 31 Aug, 2011 10:03 AM

योगेश अनेजा से साक्षात्कार

हमने तरक्की की नई राह ढूंढ ली है....
Posted on 31 Aug, 2011 09:30 AM

केशव डम्भारे से साक्षात्कार


केशव डम्भारे अभी 54-55 के हैं। 24 साल पहले जब नौसेना की नौकरी छोड़कर वे अपने गाँव पहुंचे तो पानी की विकराल समस्या से उनका आमना-सामना हुआ। तबसे वे लगातार अपने साथियों के साथ मिलकर ग्राम-जल के पुनर्जीवन के लिये लड़ रहे हैं। वे विज्ञान में किसी कारण डिग्री पूरी नहीं कर पाए, पर ग्रामजीवन का विज्ञान उन्हें खूब आता है। उन्हें मालूम है कि किस रसायन में किस तत्त्व के मिलन से ऊर्जा निकलेगी और किस तत्त्व को मिलाने से विस्फोट होगा। वे फ़िलहाल वलनी गाँव के उपसरपंच हैं और राजनितिक-समाजकर्मी ही उनकी जिंदगी का प्रमुख उद्देश्य है।

सब कुछ नदी के हाथ में
Posted on 24 Jun, 2011 12:10 PM कोसी विशेषज्ञ डॉ. दिनेश कुमार मिश्र से द पब्लिक एजेंडा की बातचीत

पायलट चैनल विवाद अगर नहीं सुलझा तो क्या होगा ?
मुझे लगता है कि देर हो चुकी है। मानसून में ज्यादा समय नहीं है। वैसे पायलट चैनल के बन जाने से भी खतरा टल नहीं जायेगा। आज कोई नहीं कह सकता कि कोसी सरकार और इंजीनियरों के नियंत्रण में है।
प्रकृति की पूजा तो करते हैं पर संरक्षण नहीं
Posted on 13 Jun, 2011 09:44 AM

वह अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं। कैबिनेट मंत्री का ओहदा होने के बावजूद वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की छवि पर्यावरण कार्यकर्ता जैसी बन गई है। वह शायद पहले ऐसे मंत्री हैं, जिनसे पर्यावरण का सवाल उठाने वाले लोगों, संगठनों और एनजीओ को सबसे ज्यादा उम्मीद है। वह एक साथ जंगलों के सफाये से पैदा हुई समस्या से लेकर उद्योगों के प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिग जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। विश्व

दिल्ली सुपरबग से दस फीसदी संक्रमित : टॉलमैन
Posted on 18 Apr, 2011 02:38 PM

लाइलाज बैक्टीरिया ‘दिल्ली सुपरबग’ की खोज का दावा करके हलचल मचाने वाले इंग्लैंड के कार्डिफ युनिवर्सिटी के शोधकर्ता मार्क टॉलमैन का कहना है कि यह जानलेवा बैक्टीरिया सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे मध्य एशिया में फैला हो सकता है। ई-मेल के जरिए भास्कर के सवालों के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने बेबाकी से जवाब दिए।

आपने लांसेट में ‘दिल्ली सुपरबग’ पर दूसरा लेख लिखा है। अस्पतालों के बाद दिल्ली के पानी में इस बैक्टीरिया की तलाश के क्या कारण थे?
इस शोध के प्रमुख प्रो. टिम वॉल्श हैं। यह नया शोध ‘दिल्ली सुपरबग’ (एनडीएम-1) पर प्रकाशित हमारे दूसरे अध्ययन पर आधारित है जो पिछले सितंबर में लांसेट में प्रकाशित हुआ था।

हमारी बात नहीं मानेंगे तो पछताना पड़ेगा
Posted on 01 Apr, 2011 01:11 PM

मेधा पाटकर से आलोक प्रकाश पुतुल की बातचीत


नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री और सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का मानना है कि विकास की अवधारणा को ठीक से समझा नहीं जा रहा है, जिससे सामाजिक संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। मेधा पाटकर की राय में सशस्त्र माओवादी आंदोलन के मुद्दे तो सही हैं लेकिन उनका रास्ता सही नहीं है। हालांकि मेधा पाटकर यह मानती हैं कि देश में अहिंसक संघर्ष और संगठन भी अपना काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनके मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है, जिससे इस तरह के आंदोलनों की जगह लगातार कम हो रही है। यहां पेश है, उनसे की गई एक बातचीत।

• देश भर में जब कभी भी विकास की कोई प्रक्रिया शुरू होती है तो चाहे-अनचाहे, जाने-अनजाने उसका विरोध शुरू हो जाता है।

गंगा को बचाने की मुहिम
Posted on 21 Mar, 2011 05:55 PM

स्वामी चिदात्मन जी महाराज बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित ‘सर्व मंगला आध्यात्म योग विद्यापीठ’ के माध्यम से देश-विदेश में लोगों के बीच आध्यात्म का प्रचार-प्रसार करते हैं। इसके अलावा स्वामी जी गाय, गंगा और भारतीय संस्कृति जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर भी खुद को सक्रिय रखते हैं। गत माह स्वामी जी ने नई दिल्ली के बिड़ला मंदिर में ‘गाय, गंगा और भारतीय संस्कृति’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर प

मैला ढोने वाली मालगाड़ी बन कर रह गई हैं नदियाँ: राजेंद्र सिंह
Posted on 10 Mar, 2011 12:08 PM

देश में पानी को लेकर राजेंद्र सिंह ने राह दिखाई है। राजस्थान के कई इलाके जो एकदम बंजर और सूखे हुए थे, वहां आम जनता के श्रमदान से उन्होंने तस्वीर ही बदल दी। आज ऐसे इलाकों में हर तरफ पानी है और हरियाली भी। राजेंद्र सिंह को पानी पर उनके कार्य के लिए प्रतिष्ठित मैगसेसे पुरस्कार से नवाजा गया था। देश में पानी की स्थिति पर उनसे हुई बातचीत।