साक्षात्कार

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अभी और जंग लड़नी है : राधा भट्ट
Posted on 05 Feb, 2010 09:48 AM
फोटो साभार - चौथी दुनियाहिमालय को बचाना है. नदियों, पर्वतों और जंगलों को पैसों के लालची व्यापारियों की भेंट नहीं चढ़ने देना है. चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा भट्ट के दिन रात आजकल इसी जद्दोज़हद में कट रहे हैं. वे लड़ रही हैं. उत्तराखंड की महिलाओं के साथ आंदोलन कर रही हैं.
हर व्यक्ति की अपनी नर्मदा होती है- मेधा पाटकर
Posted on 24 Oct, 2009 08:37 AM सन् सत्तावन के आंदोलन के सक्रिय भागीदार बसंत खानोलकर तथा 'स्वाधार' व अन्य समाजसेवी संस्थाओं से शिद्दत से जुड़ी इंदु ताई की बेटी मेधा साधारण स्त्री होती तो आश्चर्य होता। जिन्होंने नि:स्वार्थ समाजसेवा, देश के लिये पूर्ण समर्पण व दुर्धर्ष कर्मठता के संस्कार जन्मघुट्टी में पाये और वैसे ही स्वस्थ परिवेश में बड़ी हुईं। उनके व्यक्तित्व में जो धार है, वह यशस्वी माता-पिता से मिली। शिक्षा, संस्कार तथा परिवे
मेधा ताई
पानी बचाना ही होगा
Posted on 10 Feb, 2009 06:28 PM

जल प्रबंधन विशेषज्ञ राजेंद्र सिंह से विकास संवाद के प्रशांत दुबे की बातचीत



लोग उन्हें ‘पानी वाले बाबा ’ के नाम से जानते हैं.
सरस्वती क्यों न बही
Posted on 20 Jan, 2009 10:13 AM

....और सरस्वती क्यों न बही अब तक?


वैज्ञानिक प्रमाण, पुरातात्विक तथ्य
1996 में 'इन्डस-सरस्वती सिविलाइजेशन' नाम से जब एक पुस्तक प्रकाश में आयी तो वैदिक सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और आर्यों के बारे में एक नया दृष्टिकोण सामने आया। इस पुस्तक के लेखक सुप्रसिध्द पुरातत्वविद् डा. स्वराज्य प्रकाश गुप्त ने पहली बार हड़प्पा सभ्यता को सिंधु-सरस्वती सभ्यता नाम दिया और आर्यों को भारत का मूल निवासी सिद्ध किया।

saraswati river
कोसी के लिए समझदारी और सावधानी
Posted on 24 Oct, 2008 08:31 PM

जल-विद्युत विशेषज्ञ दीपक ग्यावली, नेपाल के पूर्व जल संसाधन मंत्री रह चुके हैं तथा नेपाल के जल संरक्षण फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं। कोसी की बाढ़ और भविष्य की तैयारियों पर दीपक ग्यावली के बेवाक विचार

कोसी ने अपना तटबंध क्यों तोड़ा? मरम्मत कार्य के लिए कौन जिम्मेदार था, भारत या नेपाल?

दीपक ग्यावली : इस बात को समझने के लिए जरा पीछे मुड़कर देखना ज़रूरी है। तब हमें यह अनुभव होगा कि यह आपदा तीन बातों का नापाक मेल है: 1. इस प्रकार के जल-पारिस्थितिक शासन के लिए गलत टैक्नॉलोजी का चुनाव, 2. कोसी समझौते के परिणामस्वरूप गलत संस्थागत प्रबंध,

जल-विद्युत विशेषज्ञ दीपक ग्यावली
तीर्थ का एक अनमोल प्रसाद
Posted on 19 Oct, 2008 10:26 AM

जल मंदिर का प्रसादजल मंदिर का प्रसादश्री पद्रे

कर्नाटक राज्य के गडग में स्थित वरी नारायण मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि कुमार व्यास ने इसी मंदिर में बैठकर महाभारत की रचना की। यह ऐतिहासिक मंदिर आज एक बार फिर से इतिहास रच रहा है। कई वर्षों में इस मंदिर के कुंए का पानी खारा हो गया था। इतना खारा कि यदि उस पानी में ताबें का बरतन धो दिया जाए तो वह काला हो जाता था। तब मंदिर के खारे पानी के निस्तार के लिए वहां एक बोरवैल खोदा गया। उस कुंए में पानी होते हुए भी उसका कोई उपयोग नहीं बचा था। बोरवैल चलता रहा। और फिर उसका पानी भी नीचे खिसकने लगा। कुछ समय बाद ऐतिहासिक कुंए की तरह यह आधुनिक बोरवैल भी काम का नहीं बचा। कुंए में कम से कम खारा पानी तो था। इस नए कुंए में तो एक बूंद पानी नहीं बचा। मंदिर में न जाने कितने कामों के लिए पानी चाहिए। इसलिए फिर एक दूसरा बोरवैल खोदा गया। कुछ ही वर्षों में वह भी सूख गया।

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