पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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जल-स्तुति
Posted on 11 Mar, 2014 09:57 AM जल हमारी जिंदगी है,
जल हमारी बंदगी है।
हम बचाएं जल, मत बहाएं जल,
हर समस्या का यही है हल।।

पांच तत्वों में वही जल
अपनी आंखों में वही जल।
राष्ट्र की धारा है गंगा,
जिसकी बूंदों में वही जल।।

जल की महिमा जिसने जानी,
वो चतुर है वो ही ज्ञानी,
हमने इतनी बात जानी,
जल ही है सम्बल!
हर समस्या का यही है हल!!
धरती जानती है
Posted on 11 Mar, 2014 09:51 AM धरती जानती है
धरती वह सब भी जानती है
जो हम नहीं जानते।
युगों-युगों से तपी है यह धरती
लगातार तपस्यारत है, तप रही है।
किसी भी संत, महात्मा, ऋषि, ब्रह्मर्षि, फकीर, तीर्थकर, बोधिसत्व
अवतार, पैगम्बर या मसीहा से अधिक तपी है धरती
और अभी तक अंतर्धान नहीं हुई है
शायद असली अवतार, पैगम्बर या मसीहा धरती ही है।
नदी
Posted on 11 Mar, 2014 09:50 AM मैं नदी हूं, मेरी लंबी कहानी है
कभी मेरी तो कभी तेरी जुबानी है।
खेतों खलिहानों रही बहती-घूमती
किसी को प्यासा देख होती परेशानी है।
पहाड़ों से उतर आयीं तुम्हारी पुकार पर
लेकिन जो हो रहा, देख कर हैरानी है
बस्तियां, सभ्यताएं मेरे गोद में बसीं
ये देखो ये गांव, ये राजधानी है।
मेरे अंदर जो बह रहा है जीवन द्रव
वह मेरा रक्त है, तुम कहते हो पानी है।
सहजन के पेड़ कटे
Posted on 11 Mar, 2014 09:47 AM सहजनसहजन के पेड़ कटे
सहजन के पेड़।
जीवन की गठरी में, थे जो अरमान
ले उड़े अचानक ही आंधी-तूफान
पेड़ जो कि रहबर थे, गिरे कटे रोज
महेश्वरा नदी की कहानी
Posted on 09 Mar, 2014 04:08 PM

भौगोलिक परिचय

अब नदी नहीं बहती….
Posted on 09 Mar, 2014 03:36 PM कभी इस
घर के पीछे
एक नदी बहती थी, आज सूख गई है
वह धारा
जो प्रलयंकर वेग से बहकर एक नया प्रकम्पन
उत्पन्न करती थी।
दूर-दूर तक बहा ले जाती थी
करीबी झोपड़ियां
मवेशी और दरवाजे
सोये नन्हें-नन्हें बच्चों
को रात में।
बहा ले जाती थी बड़े-बड़े पेड़
दूर-दूर मीलों तक।
बदल देती थी आसपास
के खेतों की मिट्टी।
शरण लेते थे लोग
मुझे कैसे पता चला कि सूखा है
Posted on 06 Mar, 2014 03:56 PM सूखा है... सूखा है यह मुझे कैसे पता चला
मैने पेपर में पढ़ा कि केंद्र कोई आर्थिक सहायता नहीं दे रहा है
क्या अब पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा
पानी के उपयोग का प्रतिबंध होगा और हम पूल में मस्ती नहीं कर सकेंगे

पर मैं चाय के लिए छोटी-सी होटल में बैठा तो टेबल पर पानी पहले था
शाम को तिराहों पर सभी शॉवर चल रहे थे
आधुनिक विज्ञान के आईने में पारंपरिक तालाबों पर एक किताब
Posted on 02 Mar, 2014 12:36 PM मध्य प्रदेश के पारंपरिक तालाबों पर हाल ही में एक छोटी, किंतु विश्वसनीय पुस्तक प्रकाशित हुई है। पुस्तक का नाम है : ‘भारत का परंपरागत जल विज्ञान’ पुस्तक की सारी सामग्री.. सारा शोध मध्य प्रदेश के तालाबों को आधार बना कर किया गया है; अतः अच्छा होता कि इस पुस्तक का नाम रखा जाता- मध्य प्रदेश का परंपरागत जल विज्ञान। खैर!
book cover page
गागर में सिमटते सागर
Posted on 02 Mar, 2014 09:53 AM

पुस्तक समीक्षा


दफन होते दरिया
पंकज चतुर्वेदी
यश पब्लिकेशंस
1/10753, गली नं. 3 सुभाष पार्क
नवीन शाहदरा
दिल्ली 110032
पृ. 174(सजिल्द) रू. 595/

जल ही जीवन है
Posted on 25 Feb, 2014 03:11 PM
जल ही जीवन है।
जल ही सावन है।
जल ही पावन है।
जल ही उपवन है।

जल के बिना जीवन असंभव है।
जल के बिना विकास असंभव है।
जल के बिना विकास प्रकृति अधूरी है।
जल के बिना दुनिया दुखियारी है।

जल है तो हम सब हैं
जल है तो जीव-जंतु हैं।
जल है तो सृष्टि है।
जल है तो जीवन है।

जल की बचत करें।
जल का सदुपयोग करें।
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