मुझे कैसे पता चला कि सूखा है

सूखा है... सूखा है यह मुझे कैसे पता चला
मैने पेपर में पढ़ा कि केंद्र कोई आर्थिक सहायता नहीं दे रहा है
क्या अब पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा
पानी के उपयोग का प्रतिबंध होगा और हम पूल में मस्ती नहीं कर सकेंगे

पर मैं चाय के लिए छोटी-सी होटल में बैठा तो टेबल पर पानी पहले था
शाम को तिराहों पर सभी शॉवर चल रहे थे
और नालियों में उतना ही पानी बह रहा था जैसा मैं देखता रहा था
मेरी बेटी उतने ही पानी से नहा रही थी यानि आधा घंटा शॉवर में
और दो बाल्टियाँ अलग से भर कर रखती थी
यानि लड़कियों के चेहरों पर बहुत से पानी की ताजगी थी
और लड़कों के चेहरे पर प्यार के सुकून का सुख

सबके पापा को पता था कि भारतीय इकोनामी सूखे से प्रभावित नहीं होती
सब कुछ इंटरनेशनल नेटवर्क से जुड़ा हुआ है
और सबको प्रतिमाह ‘पे’ मिल रही है
केवल थोड़ा-सा किसानों के बारे में-उनकी खरीददारी लो चल रही है
और सब ठीक है घड़ियाँ, जेनसेट और टी.वी. बिक रहे हैं

मुझे कैसे पता चला कि सूखा है
ऐसे नहीं कि किसी डीलर ने नई कार फाइनेंस करने को मना किया हो
न किसी बैंक ने मुझे क्रेडिट कार्ड के लिए मना किया है
मुझे मेरी ‘पे’ पहले की तरह हरे भरे नोटों में मिल रही थी
और मैं अपनी गाड़ी का पेट्रोल टैंक फुल रखता था

मैं पेपर में पढ़ता था पूरा प्रदेश सूखा की चपेट में है
सहायता के लिए केंद्रीय प्रतिनिधि मंडल आया है

स्वयं सेवी संस्थाओं को मैंने चंदा दिया कि सूखा राहत जारी है
केंद्र का प्रतिनिधि मंडल बयान दे गया कि स्थिति गंभीर है
मैं अपने काम पर पूरी मेहनत से चल रहा था
कि सुबह जब मेरी गाड़ी एक पुल के पास खराब हो गई
मैं निश्चिंत रहा कि मौसम सुहाना है और मैं अपने मोबाइल पर हूँ
जब देर हुई तो मेरे अंदर नैसर्गिक पानी को छूने की लता हरी हो गई
और मेढ़ों पर टहलता किसान मेरे पास आ चुका था
मैं पुल के नीचे और कुछ दूर तक बार-बार देख रहा था
वहां पानी नहीं था थोड़ी-सी सूखी रेत, झाड़ियाँ, लताएं और कुछ झुकते हुए पेड़
मुझे फ्रेश होना है भाई पानी कहाँ मिलेगा
उसने कुछ भी आश्चर्य व्यक्त नहीं किया वह मेरा मन्तव्य ताड़ गया था-दिशा मैदान
‘आप उन पेड़ों के ढिगा चले जाओ पानी वहीं मिलेगा’
पिछले साल इस पुल में दस फिट पानी था मानो आज...
मैं पेड़ों की तरफ चल चुका था लेकिन उसके शब्द मेरे पीछे कुछ दूर तक आए
पग रेखा पेड़ों के बीच गहराई में उतरती चली गई
मैं पुरा समा चुका था जहाँ ठंडाई की सिहरन मेरे चारों ओर घिर गई

छोटी-सी झिरिया पर तीन महिलाएँ झुकी हुई थीं
उन्होंने मुझे नजरें उठाकर देखा- काए पानी काए लाने
एक ने मेरी केन को जमीन पर एकत्रित पानी से भर दिया
मैं नवंबर की धूप में बैठ कर खेत की तिनकों जैसी फसल को छू रहा था
ओए! पौधा तो कुछ मिट्टी के कणों के साथ मेरे हाथ में आ गया
उसे वापस रखा और अपने शेष पानी को उसकी जड़ों में डाल दिया

जब लौट कर आया तो वे तीनों अब भी वहीं बैठी थीं
उन्होंने मुझे राख तरफ इशारा किया
उनके बर्तनों में पानी बूंदों की तरह गिर रहा था
उन्होंने मुझे पानी दिया अपना बर्तन हटाया और मेरी तरफ देखने लगीं
मैंने अपना कैन लगा दिया, तीन लीटर कैन ने कई मिनट लिए

आपके गाँव में हैंडपंप नहीं है...
‘भाई साब नैक सा निकले सुबह-सुबह’ सांवली ने कहा है
मैंने गहवर से बाहर आकर सूर्य, सड़क और खेत देखे
महिलाओं ने कहा था उनका गाँव तो पास ही है पर गाँव तो था ही नहीं
वहाँ पास का मतलब तीन किलो मीटर था

मोबाइल सेवा के मैकेनिक ने आकर कहा-सर गाड़ी ओके है
मैं गाड़ी में बैठा और स्टार्ट करके फिर खेतों को देखने लगा

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