मौसम कितना प्यारा है।
सब कुछ नया नजारा है।।
चिडियाँ चहक रही पेड़ों पर, चूँ-चूँ, चिट्-चिट्, कूँ-कूँ कर,
गूँजे उपवन सारा है।
सनन-सनन चलती है वायु, बढ़ा रही है सबकी आयु, ये प्राणों का सहारा है।
सूरज उदित हुआ पूरब में, भर देता है जीवन सब में, ये आँखों का तारा है।
पक्षी चहक उठे कुछ कहकर, जागो तुम भी आलस तजकर ये सन्देशा हमारा है।
आया है कुसुमाकर जबसे, फूल खिले तरूओं पर तबसे, नूतन वस्त्रों को धारा है।
भौंरे डोल रहे फूलों पर, बच्चें झूल रहे झूलों पर,
कोयल ने कुहू उचारा है।
फूलों से जबसे फल आये, बच्चों के हैं मन ललचाये, रंगो की मचे फुहारा है।
झर-झर-झर-झर-निझर झरते, जीवन को संजीवन करते,
हर लेता श्रम सारा है,
कल-कल करती है सरितायें, स्वच्छ नीर सब तक पहुँचायें,
ये अमृत की धारा हैं।
घिर आयी हैं घटा गगन में, छाई हैं खुशियाँ तन-मन में,
मोर ने पंख पसारा है।
दादुर डोल रहे खेतों में, झींगुर, झिल्ली बोलें स्वर में,
पपीहे ने पीउ पुकारा है।
रिमझिम-रिमझिम बारिस बरसे, मेरा मन बूँदों को तरसे,
झूमे तन-मन सारा है।
चमक उठा है चन्दा नभ में, अमृत भर देता है सब में,
ये सब जग का प्यारा है।
नील गगन में जगमग करते, झिलमिल-झिलमिल तारे दिखते,
चहूँ ओर उजियारा है।
सम्पर्क : महेश दत्त उनियाल
सहायक अध्यापक.एल.टी.हिन्दी, रा.इ.का. तैला, सिलगढ, रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड, मो. 9412328227
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