भाष्करा नन्द डिमरी

भाष्करा नन्द डिमरी
जरूरी है भूजल संवर्धन
Posted on 14 Mar, 2016 01:39 PM

एक ओर ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्षा का जलचक्र गड़बड़ा जाने से व
जल संसाधन
Posted on 07 Jan, 2016 01:32 PM

नदी-तालाब और कुएँ,
गाड़-गदेरे और झरने।
यही हमारी प्यास बुझाते,
इन्हीं में आते मेघ जल भरने।।

खाल पोखर और मंगेरे।
चाल-ढाल और धारे-पंदेरे।
कितना सुन्दर कितना निर्मल।
नित चमकता इनमें पानी रे।।

यही हैं स्रोत धरा पर जल के।
यही जीवन में हमारे रस भरते।
ये न होते अगर धरा पर।
कैसे भला हम जीवन जीते।।
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