सावन कृष्ण एकादसी, गर्जि मेघ घहरात।
तुम जाओ प्रिय मालवै, हम जाबै गुजरात।।
भावार्थ- यदि सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मेघ गरज कर घहरायें (गंभीर ध्वनि करें) तो निश्चय ही अकाल पड़ने वाला है। अतः हे प्रिय! तुम, मालवा जाओ और मैं गुजरात जाऊँगी।
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