Posted on 05 Sep, 2012 03:15 PMयह बात तो तय ही थी सरकार कभी भी जमीन के बदले जमीन नहीं दे पायेगी क्योंकि घनी आबादी वाले गांगेय क्षेत्र में 304 गाँव बसाने के लिए जमीन खोजना एक टेढ़ी खीर थी। देबेश मुखर्जी, चीफ इंजीनियर-कोसी प्रोजेक्ट (1963), ने लिखा कि स्थायी पुनर्वास में निम्न बातें शामिल होंगी। “...नदी और तटबन्ध के बीच में बने घरों की कीमत के बराबर घर बनाने के लिए अनुदान दिया जायेगा और पुनर्वासित होने वाले लोगों से उनके पुराने घ
Posted on 05 Sep, 2012 10:39 AM1957 के आम चुनाव का गुबार जब ठंडा पड़ा तब नेताओं में कोसी तटबन्ध के पीड़ितों के बीच थोड़ी सहानुभूति जगी। इन लोगों की पीड़ा को देखते हुये लहटन चौधरी (1957) ने बहुत सी अन्य बातों के साथ इस बात का सुझाव दिया कि,
(1) अविलम्ब सरकार को घोषणा द्वारा इस बात को स्पष्ट कर देना चाहिये कि सारी जवाबदेही उसकी होगी और वह समुचित प्रबन्ध करेगी।