पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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जब नदी पानी समेटना बन्द कर दे
Posted on 13 Sep, 2012 10:50 AM नदी का मूल काम होता है अपने जल-ग्रहण क्षेत्र से वर्षा के पानी की निकासी करना मगर तटबन्धों के बीच कैद नदियों की पेटी ऊपर उठ रही है। कहीं-कहीं यह इतनी ज्यादा उठ चुकी है कि अगर वह तटबन्ध तोड़ कर बाहर आ जाय तो उसे वापस तटबन्धों के बीच ठेलना मुश्किल काम हो जाता है। बिहार की कोसी नदी का एक अध्ययन तटबन्धों की अधिकांश लंबाई के निर्माण के ठीक बाद 1962 में, और इसके 12
नदी द्वारा कटाव
Posted on 13 Sep, 2012 10:38 AM

सरकार ने जरूर ऐसे कटाव पीड़ित, भूमिहीन और दरिद्र लोगों के लिए रिहाइशी जमीन की व्यवस्था करने का

पुनर्वास स्थल
Posted on 12 Sep, 2012 03:07 PM

तटबन्धों के अन्दर रहन

अपराधीकरण
Posted on 12 Sep, 2012 02:58 PM

पुलिस ने महपुरा घाट पर नाव से नदी पार करके उनका पीछा करना चाहा मगर घाट पर कोई नाव ही उस वक्त म

यातायात व्यवस्था और कील गड़ाई
Posted on 12 Sep, 2012 01:00 PM अगर तटबन्ध नहीं रहा होता तो यह बोझ इन लोगों पर नहीं पड़ता और इसके
पलायन
Posted on 12 Sep, 2012 12:48 PM बिहारी मजदूर और कारीगर दक्षिण भारत के प्रदेशों में भी मिल जाते हैं
स्वास्थ्य सेवाएं
Posted on 12 Sep, 2012 11:25 AM बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में और खास कर तटबन्धों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में कुछ कहना हताशा को ही न्यौता देना है। यह समस्या भी बच्चों की शिक्षा व्यवस्था से ही मिलती जुलती है कि अव्वल तो बच्चे स्कूल पहुंच ही नहीं पायेंगे और अगर किसी तरह से पहुंच भी गये तो वहां अध्यापक नदारद मिलेंगे। यहां भी मरीज स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल तक नहीं पहुंच सकता और अगर पहुंच भ
बाल मजदूरी
Posted on 12 Sep, 2012 09:40 AM बच्चे जब कालीन पट्टी से लौट कर आते हैं तब उनके लिए अपने गांव या आ
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और शौच व्यवस्था
Posted on 11 Sep, 2012 03:48 PM बाढ़ या जल-जमाव वाले इलाकों में ऐसे लोगों को एक बहाना भी मिल जाया
पशुपालन
Posted on 11 Sep, 2012 03:40 PM तालाबों और पोखरों की उपेक्षा से मछलियों के उत्पादन में कमी आई है।
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