उत्तराखंड

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उत्तरांचल में जल स्रोतों की स्थिति
Posted on 01 Sep, 2015 09:52 AM

उत्तरांचल के मध्य हिमालयी क्षेत्रों के अधिकतर जनसंख्या बाहुल्य ग्रामों में तो वर्ष भर जल स्रोतो

चौमास की बारिश
Posted on 31 Aug, 2015 11:15 AM

बीड़ी का सुट्टा लगाते हुए मधिया देहरी पर बैठ गया। उसका मन भी बेचैन था। मधिया के चेहरे की बेचैनी

संकट की जड़ हमारी तटस्थता है
Posted on 11 Aug, 2015 03:43 PM मेरे मन में पहाड़ किसी अपराध बोध की तरह नहीं है और न ही मैं पहाड़ को लेकर किसी अतिरिक्त चिन्ता का शिकार रहा हूँ। यदि पहाड़ के सौंदर्य का या वहाँ की गरीबी का रोमांटिक शोषण मेरे लिए कुफ्र रहा है तो मैदानी सुविधाओं और समृद्धि का नयनाभिराम वर्णन भी मेरे लिए अपराध रहा है। मैंने जहाँ तक हो सका है स्थितियों को उनके परिप्रेक्ष्य में देखने का प्रयत्न किया है। सच्चाई
दारमा घाटीः नम्छम् कू नलमाँ दमलन नां दीनीं
Posted on 11 Aug, 2015 03:26 PM इन लोगों का दूसरा प्रमुख कार्य खेती करना है, ये प्रायः ऐसी फसलें पै
नामिक किससे करे निवेदन
Posted on 11 Aug, 2015 01:46 PM कभी यहाँ वन, वनस्पति, जीव-जन्तु देखने आओगे तो रह लेना हमारी चाख में
पूर्वी गौला पारः भाबर म्वाव
Posted on 11 Aug, 2015 11:30 AM नैनी क्षेत्र का हल्द्वानी विकासखण्ड के अन्तर्गत एक भाग गौलापार उर्फ भाबर उर्फ म्वाव है, जो काठगोदाम शहर के पास ही गौला बैराज से शुरू होकर गौला नदी से पूर्व दिशा में फैला है। यह भाग भीमताल व ओखलकाण्डा विकास खण्ड की अन्तिम सीमा बनाता हुआ, चोरगलिया क्षेत्र की सीमा तक फैला है। सम्पूर्ण क्षेत्र की उत्तर से दक्षिण तक लम्बाई 25 किमी.
नैनीतालः बिना ताल बेसुर बेताल
Posted on 11 Aug, 2015 10:46 AM नैनीताल को ढूँढ निकालने वाले बैरन महोदय ने नैनीताल की तीन कारणों से प्रशंसा की थी- स्वच्छ साफ पानी की झील, वन-पशु और नैसर्गिक सौन्दर्य, समय पलट गया। चीनापीक टूट कर गिरा तो ‘फ्लैट्स’ बन गया। विश्वयुद्ध छिड़ा, ज्ञानी-ध्यानी कहते हैं कि इस कारण यहाँ अपने बच्चों के लिये स्कूल अंग्रेजों ने खोले, सेण्ट जोसेफ, शेरवुड, सेण्ट मेरीज, आल सेण्ट्स आज भी चल रहे हैं। फ्लेण
प्रकृति का अद्भुत उपहार सरुताल
Posted on 10 Aug, 2015 02:01 PM

उत्तराखण्ड हिमालय सदैव प्रकृति प्रेमियों के लिये आकर्षण का केन्द्र रहा है। इस दौरान हम आपको ऐसी वादियों से परिचित कराएँगे जहाँ ना तो कोई होटल है और ना ही कोई फास्ट फूड का रेस्तराँ। बस प्रकृति के गोद में अपने आपको मौजूद पाना ही जीवन की सबसे बड़ी सफलता ही कही जा सकती है। यहाँ देवदार, भोजपत्र, थुनैर, कैल, खरसू, मौरू के लकदक जंगल निश्चित ऊँचाई के पश्चात एक डोर सी खीचें हैं।

Saru tal
कलियुग की काशीः उत्तरकाशी
Posted on 10 Aug, 2015 01:35 PM झील की कुछ अन्य विशेषता यहाँ पाई जाने वाली एक विशेष मछली ट्राउट (
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