उत्तराखंड

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जल की झल
Posted on 07 Jan, 2016 01:42 PM
जल संसाधन
Posted on 07 Jan, 2016 01:32 PM
नदी-तालाब और कुएँ,
गाड़-गदेरे और झरने।
यही हमारी प्यास बुझाते,
इन्हीं में आते मेघ जल भरने।।

खाल पोखर और मंगेरे।
चाल-ढाल और धारे-पंदेरे।
कितना सुन्दर कितना निर्मल।
नित चमकता इनमें पानी रे।।

यही हैं स्रोत धरा पर जल के।
यही जीवन में हमारे रस भरते।
ये न होते अगर धरा पर।
कैसे भला हम जीवन जीते।।
पानी को चाहिए प्रबन्धन
Posted on 07 Jan, 2016 01:25 PM
संयुक्त राष्ट्र की संस्था भूमण्डलीय जल आँकलन द्वारा जारी शोध आख्या के अनुसार भविष्य में तेल के बजाय पानी के लिये युद्ध होंगे। यदि कृषि में स्वच्छ जल आवश्यकता से अधिक प्रयोग होता रहा तो सन 2020 तक स्वच्छ जल स्रोतों की दशा चिन्तनीय हो जायेगी। नदियों के पानी में मछली व अन्य जलचरों का शिकार होते रहने से समुद्री व नदीय जल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जल का विकल्प न होने के कारण इसका दुरुपयोग रोकन
जल प्रदूषण कारण, कारण, समस्याएँ एवं समाधान | Water pollution - Causes, Effects and Solutions in Hindi
इस ब्लॉग में जल प्रदूषण के कारणों, प्रभावों, और उनके समाधान के बारे में जानकारी प्राप्त करें | Get information about the causes, effects, and solutions of water pollution in hindi. Posted on 05 Jan, 2016 03:16 PM

जल प्रदूषण कारण, कारण, समस्याएँ एवं समाधान
चुनौती होगी जल की बढ़ती खपत से निपटना
Posted on 05 Jan, 2016 03:02 PM
child drinking waterहमारे ग्रह पृथ्वी के लिये जल का मह
संस्कृतियों की जननी-नदियाँ
Posted on 05 Jan, 2016 02:36 PM
नदीनदी प्रकृति की विशिष्ट एवं सुरम्य रचना है। प्रकृति की यह अनुप
मेरा पानी
Posted on 05 Jan, 2016 09:57 AM
जगमग करती बिजली का उपहार दिया है पानी ने
हर सुख-सुविधा से भरा हुआ संसार दिया है, पानी ने

झर-झर कर ज्वाला में जल कर
कितना पानी भाप बना
काला बादल बनकर घूमा फिर सतरंगा चाप बना है
ऊपर जाकर भी माटी से प्यार किया है, पानी ने।

जगमग करती बिजली का उपहार दिया है पानी ने
हर सुख सुविधा से भरा हुआ संसार दिया है पानी ने
जल-संरक्षण तो विश्व-धर्म होना चाहिए
Posted on 04 Jan, 2016 01:43 PM
जल वस्तुतः जीवन है, जल सृष्टि का मूल है और विश्व के सभी धर्मों के अनुरूप जल ही वस्तुतः ब्रह्म भी है। विज्ञान के अनुसार जल मूलतः प्राणदायी ‘ऑक्सीजन’ और ‘हाइड्रोजन’ का एक और दो के अनुपात में सम्मिलित रूप है, लेकिन सामान्य प्राणी के लिये तो जल सचमुच ही जीवन है, जीवन का आधार है।
पाखण्डियों के पाखण्ड से त्रस्त गंगा
Posted on 26 Dec, 2015 02:40 PM
(प्रस्तुत आलेख उत्तराखण्ड आज की टीम प्रस्तुति है। आलेख के कई टिप्पणियों से असहमति के होते हुए भी यह आलेख शेयर किया जा रहा है, किसी को इस आलेख पर कोई टिप्पणी करना है तो उत्तराखण्ड आज से संपर्क करे। सम्पर्क; सम्पादक - पंकज बौड़ाई, ईमेल - uttrakhandaaj@gmail.com, 9319704350, 9897079841)
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