गर्विता

गर्विता
जल की झल
Posted on 07 Jan, 2016 01:42 PM

बूँद-बूँद पानी बचाने का विशेष प्रयास
Posted on 28 Dec, 2015 04:40 PM

एक जमाने की मशहूर साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग में कार्टून कोना डब्बूजी के रचनाकार एवं कई लोकप्रिय साहित्यिक कृतियों के रचियता आबिद सुरती पिछले तीन साल से हर रविवार को सुबह नौ बजे अपने साथ एक प्लम्बर (नल ठीक करने वाला) एवं एक महिला सहायक (चूँकि घरों में अक्सर महिलाएँ ही दरवाज़ा खोलती हैं) लेकर निकलते हैं और तब तक घर नहीं लौटते, जब तक किसी एक बहुमंजिला इमारत के सभी घरों के टपकते नलों की मरम्मत क
महिलाओं ने बदली गाँव और खेतों की किस्मत
Posted on 22 Dec, 2015 11:43 AM

काम शुरू करने से पहले इन लोगों ने गाँव की महिलाओं का एक संगठन बनाया। इन लोगों को पता था कि इस कठिन चुनौती को अकेले पार नहीं पाया जा सकता है। नहर खोदने वाली महिलाओं के इस संगठन का नेतृत्व राजकली नाम की एक महिला ने किया। सबसे पहले आम बैठक कर सभी सदस्यों को गाँव की समस्या और उसके निदान के बारे में जानकारी देकर उत्साहित किया गया। काम के बारे में सभी महिलाओं को पहले से ही पता था। योजना के मुताबिक मेहनत मजदूरी करने के बाद जो भी वक्त मिलता था महिलाएँ नहर की खुदाई के काम में लग जाती थीं।

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में लालगंज क्षेत्र की आदिवासी महिलाओं ने जिले के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।

दरअसल यहाँ पर इन महिलाओं ने तीन किलोमीटर लम्बी नहर खोदकर गाँव-घर और खेतों तक पानी पहुँचा दिया है। जंगलों में बेकार बह रहे पानी की धारा का रूख बदलने से यहाँ ना केवल पेयजल की समस्या से निजात मिली है बल्कि इलाके का जलस्तर भी बढ़ चला है।

भूजल स्तर ऊपर आने से बंजर पड़ी जमीनों में जान लौट आई है और इससे खेतों में खड़ी फसलें लहलहाने लगी हैं। महिलाओं की इन नायाब कोशिशों के बदौलत क्षेत्र के किसानों में मुस्कान लौट आई है और वे खुशी के गीत गाने लगे हैं।
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