डाॅ. योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरूण'

डाॅ. योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरूण'
जल-संरक्षण तो विश्व-धर्म होना चाहिए
Posted on 04 Jan, 2016 01:43 PM

जल वस्तुतः जीवन है, जल सृष्टि का मूल है और विश्व के सभी धर्मों के अनुरूप जल ही वस्तुतः ब्रह्म भी है। विज्ञान के अनुसार जल मूलतः प्राणदायी ‘ऑक्सीजन’ और ‘हाइड्रोजन’ का एक और दो के अनुपात में सम्मिलित रूप है, लेकिन सामान्य प्राणी के लिये तो जल सचमुच ही जीवन है, जीवन का आधार है।
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