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/regions/uttarakhand-1
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आज की भौतिकवादी सभ्यता ‘पानी’ को व्यावसायिक दृष्टि से आँकने लगी है। इस परिस्थिति में जल संस्कृति को जीवित रखना बहुत कठिन कार्य होता जा रहा है। एक तरफ लोग पानी से व्यवसाय कमाना चाह रहे हैं। दूसरी तरफ लोगों का मानना है कि जल एक प्रकृति प्रदत्त पदार्थ है।
जिस ग्लेशियर के आस-पास जोर से आवाज लगाना भी प्रतिबन्धित है उसी ग्लेशियर पास में ऐसे नव-नि
उत्तराखण्ड हिमालय को ‘वन सम्पदा’ के लिये समृद्ध राज्य कहते हैं। होगा भी क्यों नहीं, यहाँ से गंगा और यमुना, काली और गोरी जैसी सदानीरा नदियों का उद्गम स्थल जो है। इन्हें तरोताजा करने के लिये यहाँ की ‘वन सम्पदा’ ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जी हाँ! जहाँ वन है वहीं प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता भी होती है।