मधुकर मिश्र
मधुकर मिश्र
अब आस्था के साथ आकर्षण का केंद्र बनेगी गंगा
Posted on 17 Dec, 2016 11:48 AMकेंद्रीय जल संसाधन विकास एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती जब गंगा दशहरा के मौके पर हरिद्वार के ‘दिव्य प्रेम सेवा मिशन’ पहुँचीं तो उन्होंने गंगा समेत देश की दूसरी बड़ी नदियों को लेकर योजनाओं का खाका 90 दिनों के भीतर खींचने का ऐलान कर दिया। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि तीन साल पहले इसी ‘दिव्य प्रेम सेवा मिशन से गंगा की अविरलता को लेकर अनशन किया था
गंगा के लिये नए भगीरथ बने मोदी
Posted on 17 Dec, 2016 10:24 AM‘न मुझे किसी ने काशी बुलाया है और न ही किसी ने भेजा है। मैं गंगा मैया के बुलावे पर आया हूँ।’ कुछ इसी अंदाज से गंगा के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हुए मोदी ने वाराणसी से अपनी सियासी पारी शुरू की थी। चुनावी जीत हासिल करने के बाद उन्होंने गंगा आरती में शामिल होकर ऐलान किया था कि वह 2019 तक गंगा को प्रदूषण मुक्त बना देंगे। साबरमती की तरह गंगा को साफ करके उसकी सूरत बदलने का दावा करने वाले नरेंद्र
यमुना की ‘शुद्धि’ या सियासत
Posted on 13 Dec, 2016 09:45 AMयमुना मुक्ति को लेकर उत्तर प्रदेश के ब्रजमंडल से शुरू हुए आंदोलन की लहरों ने पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में भी खलबली पैदा कर दी। इस बार आंदोलनकारी यमुना को ‘मुक्त’ कराने के लिये आर-पार की लड़ाई की बात कर रहे हैं। यमुना रक्षक दल के संत जयकृष्ण दास के मुताबिक, यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने पर 2000 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी अब तक एक बूँद यमुना जल ब्रज क्षेत्र में नहीं पहुँच सका है। ‘छोटी न
चुनावों में नदियों का मुद्दा नदारद है
Posted on 25 Apr, 2014 03:26 PMअपने अस्तित्व के लिए जूझती छोटी-बड़ी नदियां तमाम कोशिशों के बावजूद चुनावी मुद्दा नहीं बन सकी हैं। नदियों की निर्मलता और अविरलता का दावा करने वाले वे लोग भी नदारद हैं, जो समय-समय पर खुद को भगीरथ बताते हुए अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते हैं। नदियों की सुरक्षा के लिए उसकी जमीन को चिन्हित करने, रीवर-सीवर को अलग रखने, अविरल प्रवाह सुनिश्चित करने, अवैध उत्खनन और अतिक्रमण को लेकर किसी भी ठोस योजना का उल्लेख न करने पर कोई सवाल नहीं उठ रहे हैं। कुछ ही पार्टियों ने जीवनरेखा कही जाने वाली नदियों को अपने घोषणापत्रों में जिक्र करके कर्तव्य की इतिश्री की और कुछ ने इतना करने की जरूरत भी नहीं समझी है। कांग्रेस और भाजपा जैसे बड़े दलों ने भले ही अपने घोषणापत्रों में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने और नदियों को जोड़ने की बात कही है लेकिन किसी ने भी नदियों के पुनर्जीवन की कारगर रणनीति का विस्तार से उल्लेख करना जरूरी नहीं समझा है।इन दोनों बड़ी पार्टियों के नेता भी नदियों के प्रदूषण पर चुनावी मंच से बोलना उचित नहीं समझ रहे हैं। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के सदस्य बी.डी. त्रिपाठी के मुताबिक, नदियों के प्रदूषण का मसला एक वोट बैंक में तब्दील नहीं हो सका है, इसलिए कोई बई राजनीतिक दल इसे प्रमुखता से अपने घोषणापत्र में जगह नहीं देना चाहता है। 1986 में बनारस के राजेंद्र प्रसाद घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा कार्य योजना के प्रथम चरण का उद्घाटन किया था।