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जल शुद्धिकरण प्रोजेक्ट | Water Purification Techniques in Hindi
जल शुद्धिकरण प्रोजेक्ट हेतु उपलब्ध आधुनैक तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करें | Get information about modern technologies available for water purification in hindi. Posted on 24 Dec, 2011 01:04 PM

रिवर्स ऑसमोसिस
नदीपात्र के लिए अनुकूलतम हाइड्रोमैट्रिक नेटवर्क की आवश्यकता और व्यवस्था
Posted on 23 Dec, 2011 04:27 PM किसी भी क्षेत्र में जल पूर्ति सूचना के लिए संपूर्ण सप्तक के पानी संबंधित आंकड़ों की आवश्यकता होती है, जो पानी और मौसम संबंधित स्टेशनों के समूह नेटवर्क द्वारा एकत्रित किया जाता हैं। जल सूचना प्रणाली किसी भी क्षेत्र की जल संसाधन की योजना, रूपरेखा और प्रबंधंन के लिए अपेक्षित आंकड़े उपलब्ध कराती है, जिसमें क्षेत्र की बाढ बचाव प्रचालन और प्रबंधन के उपाय सम्मिलित है। नदी के धारा प्रवाह आंकडे जल पूर्ति स
कृत्रिम भूजल पुनःपूरण
Posted on 23 Dec, 2011 03:19 PM समाप्ति की ओर अग्रसर भूजल संसाधनों (Ground Water Resources) का दक्षतापूर्वक प्रबंधन विश्व के उन सभी वैज्ञानिकों एवं अभियंताओं के लिए चुनौती है जो भूजल संसाधनों के विकास एवं प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत हैं। सामान्य परिस्थितियों में किसी जलभृत (Aquifer) के प्राकृतिक रूप से होने वाले पुनः पूरण एवं तद्नुसार उस जलभृत की सुरक्षित उत्पादक क्षमता (Safe Yield Capacity) में वृद्धि की जा सकती है। जलभृतों
उदयपुर में स्थित झामरकोटरा खनन क्षेत्र का भू-विज्ञानीय अध्ययन
Posted on 23 Dec, 2011 02:56 PM खनिज संसाधन भूगर्भ से निकाले जाने वाले वे पदार्थ हैं जो प्राकृतिक व रासायनिक सहयोग से बनते हैं। खनिज कुछ निश्चित स्थानों पर ही मिलते हैं। भारत में खनिजों का वितरण असमान है। उत्तरी मैदानों में खनिजों की कमी पाई जाती है क्योंकि यहाँ आधार शैलों पर नदियों द्वारा मिट्टी जमा कर दी गई है। हिमालयी क्षेत्रों में भी खनिजों की कमी है एवं इनका खनन मंहगा पड़ता है। यहाँ अधिकतर खनिज पदार्थ प्रायद्वीप भारत में मि
झामरकोटरा खनन क्षेत्र
अति भूजल दोहन क्षेत्र के लिए पेयजल योजना
Posted on 23 Dec, 2011 12:41 PM जल, विशाल पारिस्थितिक पद्धति की क मूलभूत इकाई है। स्वच्छ जल की महत्ता एवं दुर्लभता को दखते हुए सभी वनस्पति, जीव-जन्तुओं को उत्पत्ति के लिए जल ही एक अति आवश्यक मूल-भूत आधार है। इसी पर सबका जीवन निर्भर करता है एवं जल बिना किसी भी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती प्रकृति की यह अनमोल भेंट सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। इस राष्ट्रीय की सुरक्षा, विकास एवं संचयन, वैज्ञानिक तकनीकों से सामाजिक एवं आर्थिक
राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की शुष्क तहसीलों में भू-जल की वर्तमान स्थिति
Posted on 23 Dec, 2011 12:08 PM प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से राजस्थान राज्य का पश्चिमोत्तर भू-भाग अत्यन्त पिछड़ा हुआ है। कम व अनियमित वर्षा, तीव्र हवाएं व भीषण गर्मी इस क्षेत्र के जलवायु को प्रतिकूल बनाने वाले प्रमुख कारक हैं। भू-जल अधिकांश भाग में काफी गहरा व प्रायः लवणीय है जो पेय व खेती दोनों ही दृष्टि से अनुकूल नहीं है। क्षेत्र की मृदाएं प्रायः बलुई व बहुत कम जल धारण क्षमता वाली होती हैं। तेज हवाओं के साथ बलुई मिट्टी एक स
दक्षिण भारत के अर्द्धशुष्क क्षेत्र में पारम्परिक तालाबों पर जल ग्रहण विकास कार्यक्रम का प्रभाव-एक समीक्षा
Posted on 23 Dec, 2011 11:42 AM
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसकी 75% से अधिक जनसंख्या गाँव में रहती है। उसकी जरुरी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये जल संसाधनों का सही तरीके से पूरा विकास किया जाना चाहिये। जल संसाधनों के विकास में उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, मौसम तंत्र, मृदा, वनस्पति व अन्य जरुरतों को ध्यान में रखा गया था। यह विकास इस तरह से किया गया था, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में रह
ट्रीटियम टैगिंग तकनीक द्वारा वर्षा से भूजल पुनः पूरण का आंकलन
Posted on 23 Dec, 2011 11:24 AM
जल संसाधनों के उचित प्रबंधन में भू-जल में रिचार्ज का आकलन एक अत्यन्त महत्वपूर्ण पहलू है। सामान्यतः पर्याप्त आंकड़ों की अनुपलब्धता के कारण व्यवहारिक विधियों द्वारा भू-जल में वर्षा जल अथवा/और सिंचाई जल की वजह से रिचार्ज का आंकलन करना कठिन कार्य है। वर्षा जल अथवा सिंचाई जल का भू-जल में रिचार्ज का आकलन करने के लिए समस्थानिक विधि विशेषतः ट्रीटियम टैगिंग तकनीक भारत के कई क्षेत्रों सहित विभिन्न देश
सॉफ्ट कम्प्यूटिंग तकनीकों द्वारा भू-जल स्तर का आंकलन
Posted on 23 Dec, 2011 11:12 AM
देश के विभिन्न भागों में बढ़ती माँग की पूर्ति करने के लिए भूजल का दोहन किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप भौमजल स्तर में गिरावट आ रही है इस कारण भविष्य में जल उपलब्धता का गंभीर संकट पैदा हो सकता है। भूजल संसाधनों की प्रक्रिया को समझने एवं भविष्य की सम्भावित परिस्थितियों में क्या हो सकता है यह जानने के लिए भूजल प्रतिदर्शों का बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है। भूजल प्रवाह की जटिल समस्याओं पर का
इंदिरा गाँधी नहर परियोजना, चरण-2 के आर.डी. 838 पर मृदा गठन द्वारा मृदा विशिष्टताओं का आंकलन
Posted on 23 Dec, 2011 10:55 AM जलविज्ञानीय विश्लेषणों में अधिकतर मृदा जल के अंतःस्यंदन, चालकता, संचयन एवं पौधा-जल सम्बन्ध का मूल्यांकन शामिल होता है। जलविज्ञानीय मृदा जल के प्रभावों को परिभाषित करने के लिए मृदा चरों जैसे गठन, कार्बनिक पदार्थ एवं संरचना का उपयोग करते हुए जल स्थितिज एवं द्रवीय चालकता के लिए मृदा जल विशिष्टताओं के आंकलन की आवश्यकता होती है। बहुत से जलविज्ञानीय विश्लेषणों के लिए फील्ड या प्रयोगशाला परिमाण कठिन, मंह
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